ETV Bharat / state

घाटे से नहीं उबर पाई डोइवाला शुगर मिल, किसानों की पेशानी पर पड़े बल

लगातार घाटे में चल रही चीनी मिल के कारण किसानों में चिंता दिखाई दे रही है. गन्ना किसानों का कहना है कि डोइवाला चीनी मिल कई दशक पुरानी चीनी मिल है. इस चीनी मिल की पहचान पूरे देश-प्रदेश में है. लेकिन कई वर्षों से घाटे में चल रही मिल के कारण उनकी रोजी रोटी पर भी खतरा मंडरा रहा है.

डोइवाला शुगर मिल
author img

By

Published : Aug 27, 2019, 9:55 PM IST

डोइवाला: लगातार घाटे में चल रही है डोइवाला शुगर मिल पर करोड़ों रुपया का कर्ज है. वहीं, हर साल डोइवाला चीनी मिल को करीब 50 करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है. ऐसे में चीनी मिल से जुड़े हजारों कर्मचारियों और किसानों को आने वाले दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. कर्मचारियों को वेतन और गन्ना किसानों को भुगतान के शुगर मिल को 22 करोड़ रुपये की जरूरत है. नहीं तो यह मिल भी बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी.

पढ़ें:सूरज हत्याकांड: 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी जवान

बता दें कि डोइवाला की पहचान कहीं जाने वाली चीनी मिल का अस्तित्व संकट में दिखाई दे रहा है. वहीं, आगामी पेराई सत्र से पहले चीनी मिल की रिपेयरिंग, किसानों के गन्ने का भुगतान और कर्मचारियों की सैलरी को मिलाकर डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ की आवश्यकता पड़गी. जबकि, सरकार भी डोइवाला चीनी मिल को 36 करोड़ की सब्सिडी प्रदान कर चुकी है .

घाटे से नहीं उबर पाई डोइवाला शुगर मिल.

वहीं, लगातार घाटे में चल रही चीनी मिल के कारण किसानों में चिंता दिखाई दे रही है. गन्ना किसानों का कहना है कि डोइवाला चीनी मिल कई दशक पुरानी चीनी मिल है. इस चीनी मिल की पहचान पूरे देश-प्रदेश में है. लेकिन कई वर्षों से घाटे में चल रही डोइवाला चीनी मिल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

पढ़ें:स्टिंग मामला: 21 सितंबर को चार्जशीट होगी दाखिल, हरीश रावत को मिला कांग्रेसी नेताओं का साथ

डोइवाला शुगर मिल के अधिशासी अभियंता मनमोहन सिंह रावत का कहना है कि डोइवाला शुगर कंपनी लिमिटेड 2010 के बाद से लगातार घाटे में चल रही है. वहीं, चीनी मिल पर हर साल 50 करोड़ का घाटा हो रहा है. जबकि, मिल प्रशासन घाटे से उभारने के लिए रिकवरी और गन्ने की अच्छी उपज पर ध्यान देना होगा. उन्होंने बताया है कि आगामी पेराई सत्र शुरू करने से पहले डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. जिसमें 10 करोड़ रुपये किसानों के गन्ने का बकाया और कर्मचारियों की सैलरी व चीनी मिल की मशीनों के मेंटेनेंस के लिए चाहिए.

पढ़ें:सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा, मांगों को लेकर किया कार्य बहिष्कार

अधिशासी अभियंता का कहना है कि एक कुंतल चीनी को बनाने में 4746 रुपयों की लागत आ रही है. जबकि, चीनी की कीमत 3200 रुपया से अधिक नहीं हो पाई है. जिसके चलते पंद्रह सौ रुपए प्रति कुंतल का घाटा उठाना पड़ रहा है.

डोइवाला: लगातार घाटे में चल रही है डोइवाला शुगर मिल पर करोड़ों रुपया का कर्ज है. वहीं, हर साल डोइवाला चीनी मिल को करीब 50 करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है. ऐसे में चीनी मिल से जुड़े हजारों कर्मचारियों और किसानों को आने वाले दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. कर्मचारियों को वेतन और गन्ना किसानों को भुगतान के शुगर मिल को 22 करोड़ रुपये की जरूरत है. नहीं तो यह मिल भी बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी.

पढ़ें:सूरज हत्याकांड: 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी जवान

बता दें कि डोइवाला की पहचान कहीं जाने वाली चीनी मिल का अस्तित्व संकट में दिखाई दे रहा है. वहीं, आगामी पेराई सत्र से पहले चीनी मिल की रिपेयरिंग, किसानों के गन्ने का भुगतान और कर्मचारियों की सैलरी को मिलाकर डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ की आवश्यकता पड़गी. जबकि, सरकार भी डोइवाला चीनी मिल को 36 करोड़ की सब्सिडी प्रदान कर चुकी है .

घाटे से नहीं उबर पाई डोइवाला शुगर मिल.

वहीं, लगातार घाटे में चल रही चीनी मिल के कारण किसानों में चिंता दिखाई दे रही है. गन्ना किसानों का कहना है कि डोइवाला चीनी मिल कई दशक पुरानी चीनी मिल है. इस चीनी मिल की पहचान पूरे देश-प्रदेश में है. लेकिन कई वर्षों से घाटे में चल रही डोइवाला चीनी मिल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

पढ़ें:स्टिंग मामला: 21 सितंबर को चार्जशीट होगी दाखिल, हरीश रावत को मिला कांग्रेसी नेताओं का साथ

डोइवाला शुगर मिल के अधिशासी अभियंता मनमोहन सिंह रावत का कहना है कि डोइवाला शुगर कंपनी लिमिटेड 2010 के बाद से लगातार घाटे में चल रही है. वहीं, चीनी मिल पर हर साल 50 करोड़ का घाटा हो रहा है. जबकि, मिल प्रशासन घाटे से उभारने के लिए रिकवरी और गन्ने की अच्छी उपज पर ध्यान देना होगा. उन्होंने बताया है कि आगामी पेराई सत्र शुरू करने से पहले डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. जिसमें 10 करोड़ रुपये किसानों के गन्ने का बकाया और कर्मचारियों की सैलरी व चीनी मिल की मशीनों के मेंटेनेंस के लिए चाहिए.

पढ़ें:सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा, मांगों को लेकर किया कार्य बहिष्कार

अधिशासी अभियंता का कहना है कि एक कुंतल चीनी को बनाने में 4746 रुपयों की लागत आ रही है. जबकि, चीनी की कीमत 3200 रुपया से अधिक नहीं हो पाई है. जिसके चलते पंद्रह सौ रुपए प्रति कुंतल का घाटा उठाना पड़ रहा है.

Intro:summary
करोड़ों के घाटे में चल रही डोईवाला शुगर मिल पर संकट के बादल तू बड़ा शुगर मिल को प्रतिवर्ष उठाना पड़ रहा 50 करोड़ का घाटा शुगर मिल को चलाने के लिए चाहिए 22 करोड़ रुपया

लगातार घाटे में चल रही है डोईवाला शुगर मिल पर करोड़ों रुपया का कर्ज है और डोईवाला शुगर मिल के प्राइसॉफ्ट को शुरू करने के लिए 22 करोड़ रुपये की जरूरत है और प्रतिवर्ष डोईवाला चीनी मिल को 50 करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है ।

डोईवाला की पहचान कहीं जाने वाली डोईवाला चीनी मिल का अस्तित्व संकट में दिखाई दे रहा है डोईवाला चीनी मिल करोड़ों रुपए के कर्ज में डूबी है और लगातार घाटे में चल रही चीनी मिल को प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपयों का घाटा झेलना पड़ रहा है । करोड़ों के घाटे के चलते चीनी मिल से जुड़े हजारों कर्मचारियों और हजारों किसानों को आने वाले दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है वही आगामी पेराई सत्र से पहले चीनी मिल की रिपेयरिंग किसानों के गन्ने का भुगतान और कर्मचारियों की सैलरी को मिलाकर डोईवाला चीनी मिल को 22 करोड़ की आवश्यकता है । जबकि सरकार भी डोईवाला चीनी मिल को छत्तीस करोड़ की सब्सिडी प्रदान कर चुकी है । कह सकते हैं कि डोईवाला चीनी मिल को चलाने के लिए अगर वैकल्पिक साधन नहीं किए गए तो डोईवाला चीनी मिल बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी



Body:घाटे में चल रही चीनी मिल को लेकर किसान भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं किसानों का कहना है कि डोईवाला चीनी मिल जोकि कई दशक पुरानी चीनी मिल है और इस चीनी मिल की पहचान पूरे देश प्रदेश में है लेकिन कई वर्षों से घाटे मैं चल रही डोईवाला चीनी मिल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं किसानों का कहना है कि सरकार और मिल प्रशासन को किसानों और कर्मचारियों को देखते हुए इस प्लांट में वैकल्पिक व्यवस्था जिसमें एथेनॉल प्लांट या फिर सिरे का प्लांट लगाना चाहिए जिससे किसानों और कर्मचारियों को फायदा हो और चीनी मिल भी बंद होने से बच जाए


Conclusion:डोईवाला शुगर मिल के अधिशासी अभियंता मनमोहन सिंह रावत का कहना है कि डोईवाला शुगर कंपनी लिमिटेड 2010 के बाद लगातार घाटे में चल रही है और चीनी मिल पर प्रतिवर्ष 50 करोड़ का घाटा हो रहा है और मिल प्रशासन घाटे को उभारने के लिए रिकवरी पर ओर गन्ने की अच्छी उपज पर ध्यान दे रहा है ।

अधिशासी अभियंता का कहना है की आगामी पेराई सत्र शुरू करने से पहले डोईवाला चीनी मिल को 22 करोड रुपए की जरूरत है जिसमें 10 करोड़ रुपया किसानों के गन्ने का बकाया और कर्मचारियों की सैलरी व चीनी मिल की मशीनों के मेंटेनेंस के लिए चाहिए ।
अधिशासी अभियंता का कहना है कि एक कुंतल चीनी को बनाने में 4746 रुपयों की लागत आ रही है जबकि चीनी की कीमत 3200 रुपया से अधिक नहीं हो पाई है जिसके चलते पंद्रह सौ रुपए प्रति कुंटल का घाटा उठाना पड़ रहा है ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.