डोइवाला: लगातार घाटे में चल रही है डोइवाला शुगर मिल पर करोड़ों रुपया का कर्ज है. वहीं, हर साल डोइवाला चीनी मिल को करीब 50 करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है. ऐसे में चीनी मिल से जुड़े हजारों कर्मचारियों और किसानों को आने वाले दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. कर्मचारियों को वेतन और गन्ना किसानों को भुगतान के शुगर मिल को 22 करोड़ रुपये की जरूरत है. नहीं तो यह मिल भी बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी.
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बता दें कि डोइवाला की पहचान कहीं जाने वाली चीनी मिल का अस्तित्व संकट में दिखाई दे रहा है. वहीं, आगामी पेराई सत्र से पहले चीनी मिल की रिपेयरिंग, किसानों के गन्ने का भुगतान और कर्मचारियों की सैलरी को मिलाकर डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ की आवश्यकता पड़गी. जबकि, सरकार भी डोइवाला चीनी मिल को 36 करोड़ की सब्सिडी प्रदान कर चुकी है .
वहीं, लगातार घाटे में चल रही चीनी मिल के कारण किसानों में चिंता दिखाई दे रही है. गन्ना किसानों का कहना है कि डोइवाला चीनी मिल कई दशक पुरानी चीनी मिल है. इस चीनी मिल की पहचान पूरे देश-प्रदेश में है. लेकिन कई वर्षों से घाटे में चल रही डोइवाला चीनी मिल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
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डोइवाला शुगर मिल के अधिशासी अभियंता मनमोहन सिंह रावत का कहना है कि डोइवाला शुगर कंपनी लिमिटेड 2010 के बाद से लगातार घाटे में चल रही है. वहीं, चीनी मिल पर हर साल 50 करोड़ का घाटा हो रहा है. जबकि, मिल प्रशासन घाटे से उभारने के लिए रिकवरी और गन्ने की अच्छी उपज पर ध्यान देना होगा. उन्होंने बताया है कि आगामी पेराई सत्र शुरू करने से पहले डोइवाला चीनी मिल को 22 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. जिसमें 10 करोड़ रुपये किसानों के गन्ने का बकाया और कर्मचारियों की सैलरी व चीनी मिल की मशीनों के मेंटेनेंस के लिए चाहिए.
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अधिशासी अभियंता का कहना है कि एक कुंतल चीनी को बनाने में 4746 रुपयों की लागत आ रही है. जबकि, चीनी की कीमत 3200 रुपया से अधिक नहीं हो पाई है. जिसके चलते पंद्रह सौ रुपए प्रति कुंतल का घाटा उठाना पड़ रहा है.