देहरादूनः फर्जी नाम से कंपनी खोलकर नामी कंपनियों के साथ करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से आंध्र प्रदेश से मंगाए गए 1 करोड़ कीमत के फार्मा कंपनी का रॉ मैटेरियल बरामद किया गया है. गिरोह नकली कंपनी के नाम पर नामी फार्मा कंपनियों से रॉ मैटेरियल मंगवाते थे, फिर अन्य कंपनियों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाते थे. साथ ही कंपनियों से मंगाए रॉ मटेरियल का भुगतान किए बिना ही फरार हो जाते थे. यह गिरोह महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश की कई नामी कंपनियों को करोड़ों का चूना लगा चुके था.
बता दें कि बीती 21 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के आनंदपुरमु निवासी नरेंद्र पाला ने प्रेमनगर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि प्रेमनगर के त्यागी मार्केट स्थित एक कंपनी ने उनकी आंध्र प्रदेश अनंतपुर में मौजूद फार्मा कंपनी से दवाइयां का रॉ मैटेरियल मंगवाया था. आरोपी अपना पता 34 त्यागी रोड, प्रेमनगर दिखाकर उनसे व्यापार कर रहे थे. इसी बीच शक होने पर जब पीड़ित ने जांच की तो बड़ा खुलासा हुआ. जब जानकारी जुटाई तो उस पते पर कोई कंपनी नहीं मिली. इसके बाद गहराई से पड़ताल की गई तो पता चला कि यह एक गिरोह है, जो करीब 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी कर चुके हैं. ऐसे में पीड़ित की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.
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वहीं, आरोपियों की गिरफ्तारी और कंपनी से ठगे माल की बरामदगी के लिए पुलिस टीम का गठन किया गया. इसी कड़ी में मुखबिर की सूचना पर धोखाधड़ी में शामिल एक मुख्य आरोपी आशीष कुमार सेठ निवासी वाराणसी को सब्जी मंडी प्रेमनगर स्थित एक गोदाम से गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपी के पास से आंध्र प्रदेश के कंपनी के 10 ड्रम रॉ मटेरियल बरामद हुआ. इसके बाद आरोपी की बताई जगह यानी ट्रांसपोर्ट नगर देहरादून स्थित एक कंपनी के गोदाम से संबंधित कंपनी के रॉ मैटेरियल के 60 ड्रम और बरामद किए गए.
प्रेमनगर प्रभारी थाना पीड़ी भट्ट ने बताया कि आरोपी महाराष्ट्र, जयपुर, देहरादून आदि स्थानों पर धोखाधड़ी करने की नियत से छोटी-छोटी फार्मा कंपनियां खोलते थे. जो दक्षिण भारत की बड़ी-बड़ी कंपनियों से रॉ मटेरियल मंगाते फिर उसका बिल ही नहीं चुकाते थे. इसके बाद वो उस माल को अन्य स्थानों पर बेचकर फरार हो जाते थे. इस काम को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने फर्जी फार्मा कंपनी खोली थी. उधर, आरोपियों की ओर से मंगाए गए रॉ मैटेरियल से कहीं नशीली दवाइयां न बनाई जाती हो, ऐसी भी आशंका है.