देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर का एक अपना ही इतिहास रहा है. रोजाना की भागम-भाग और चारों तरफ ट्रैफिक के शोर में मानो घंटाघर की घड़ियों की आवाज कहीं गायब सी हो गई थी, लेकिन कोरोना के प्रकोप के चलते उत्तराखंड पूरी तरह से लॉकडाउन हो गया है. जिसके कारण सुनसान सड़क और शांत वातावरण के कारण एक बार फिर से घंटाघर की आवाज सुनाई देने लगी है.
लॉकडाउन की वजह से अब घंटाघर पर लगी घड़ियों की आवाज आसपास के लोग को सुनाई दे रही है. जो कई सालों से शहर की ट्रैफिक की चकाचौंध और शोर-शराबे के बीच गायब सी हो गई थी. गौरतलब है कि, कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने पूरे राज्य को लॉकडाउन कर दिया है. जिसके बाद सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. ऐसे में घंटाघर के चारों तरफ का माहौल बिल्कुल शांत बना हुआ है. जिससे घंटाघर पर लगी ऐतिहासिक घड़ियों की आवाज अब सुनाई देने लगी है.
दरअसल, देहरादून घंटाघर का अपना ही एक इतिहास रहा है. इसका निर्माण अंग्रेजों के शासन काल में हुआ था. इसकी खासियत ये है कि यह षटकोणीय आकार का है. इसकी छह तरफ घड़ियां लगी हुई है. जो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. यह देहरादून के राजपुर रोड के मुहाने पर स्थित है. वर्तमान में इसके चारों ओर दुकान और शापिंग मॉल है. वहीं, घंटाघर के पास लगने वाला पलटन बाजार भी काफी मशहूर है.
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हालांकि, ऐसे कम ही मौके आते हैं, जब इन घड़ियों की हर घंटे घंटी की गूंज आपके कानों तक पहुंच पाती है, इससे पता चलता है कि दिनों दिन बढ़ती ट्रैफिक के दबाव का असर कहीं ना कहीं घंटाघर की घड़ियों की आवाज पर भी पड़ रहा था. लेकिन अब इस ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी की आवाज देहरादून में साफ-साफ सुनाई दे रही है.