देहरादूनः उत्तराखंड में आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर हरीश रावत ने सरकार की घेराबंदी की है. पूर्व सीएम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने देहरादून कांग्रेस भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आचार संहिता लगने के बाद भी पोस्टिंग देने और आचार संहिता के दौरान कुछ विवादित फैसले करने पर सरकार पर बड़े सवाल खड़े किए हैं.
शराब के जरिए करोड़ों का भ्रष्टाचार: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सबसे पहले आबकारी विभाग में उच्च क्वालिटी की शराब के नियमों में शिथिलता के जरिए करोड़ों का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. इसके अलावा शिक्षा विभाग में तबादले से लेकर पोस्टिंग को लेकर सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं. आचार संहिता लागू होने के बाद राजनीतिक पोस्टिंग करने का भी आरोप लगाया गया है. हरीश रावत ने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग को शिकायत कर दी गई है, चुनाव आयोग से मांग की गई कि ऐसी सभी फाइलों को सील किया जाए, और जिन अधिकारियों के हस्ताक्षर से ऐसे आदेश हुए हैं उनके खिलाफ आचार संहिता के नियमों के तहत कार्रवाई की जाए. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में चार्जशीट भी की जाए.
शराबी चुनाव बनना चाहती है बीजेपी: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि जिलों के आबकारी अधिकारियों को भाजपा के पक्ष में शराब उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में कांग्रेस इसका खुले रूप से विरोध करेगी. मौजूदा समय में हुए आदेशों की फाइल कब जनरेटर हुईं, इसके लिए तमाम कम्प्यूटर को सीज करते हुए उसकी जांच करानी चाहिए.
राशन से लेकर पेट्रोल पम्पों पर सीएम-पीएम के पोस्टर: रावत ने कहा कि, लोगों को जो राशन दिया जा रहा है उसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का पोस्टर लगाया गया है जबकि होना यह चाहिए था कि पेट्रोल पंप से लेकर सभी जगह से इनके पोस्टर हटाए जाने चाहिए थे. यूं तो हम जानते हैं कि भाजपा संत प्रवृत्ति की पार्टी नहीं है लेकिन फिर भी आचार संहिता की इस तरह से धज्जियां उड़ाना लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है. कांग्रेस इसके खिलाफ हर स्तर पर आवाज उठाएगी. पार्टी के 3 वरिष्ठ नेताओं को आचार संहिता की धज्जियां उड़ने को लेकर नजर रखने के लिए जिम्मेदारी दी गई है.
रावत ने कहा कि, चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता को पारदर्शिता से लागू करने की बात कही है लेकिन जिस तरह से सरकार ने आचार संहिता लगते ही खुले रूप से नियमों की धज्जियां उड़ाई है, वो बेहद शर्मनाक है.
हरीश रावत के ट्वीटः इससे पहले हरीश रावत ने ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर आचार संहिता उल्लंघन के कई आरोप लगाए थे. उन्होंने लिखा था कि, 'सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियां की हैं, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की और ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं. क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है'.
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 'को-ऑपरेटिव बैंकों में अब भी नियुक्तियां जारी हैं. हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियां रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियां करने की कोशिश हो रही है.' इसके अलावा उन्होंने सचिवालय में भी चहेतों का ट्रांसफर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आचार संहिता लगने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर्स हो रहे हैं. प्रवक्ताओं और शिक्षकों के पदों पर बड़ी मात्रा में RSS से जुड़े हुए लोगों के ट्रांसफर्स किए गए.
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चहीतों के ट्रांसफर्स हो रहे हैं, एक विभाग नहीं न जाने और कितने विभागों में ऐसा हो रहा हैं! हम न केवल मीडिया..https://t.co/iQU57Coa3k..कृपया कांग्रेस कार्यालय में श्री मथुरा दत्त जोशी जी के पास उन सूचनाओं को पहुंचा दें। #uttarakhand@BJP4UK @INCIndia @INCUttarakhand
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— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) January 9, 2022
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पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर इन सभी नियुक्तियों को रद्द किया जाएगा और ऐसे अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए कांग्रेस के नेता पैदल यात्रा कर चुनाव प्रचार करेंगे. वो खुद एक किलोमीटर पैदल यात्रा करेंगे जबकि युवा पार्टी कार्यकर्ता 5 किलोमीटर अकेले यात्रा करेंगे.
वहीं, हरीश रावत ने आबकारी कमिश्नर हटाए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा अब रहस्य समझ में आया कि क्यों आबकारी कमिश्नर को हटाया गया? आबकारी कमिश्नर यदि रहते तो सरकार एक ऐसा शासनादेश जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है, नहीं कर पाती. वह शासनादेश आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया है. आबकारी विभाग में किया गया है, जिसके जरिए जो उच्च स्पेसिफाइड मदिरा है, उसके विक्रय के लिए कई नियमों को शिथिल करते हुए लोगों को उपकृत किया गया है और सरकार भी उपकृत हुई है.