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AIIMS में कंप्यूटर एडेड ड्रग्स डिजाइनिंग कार्यशाला संपन्न, रचनात्मक पहल की जमकर हुई सराहना

एम्स ऋषिकेश में फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित नई दवाओं की खोज से संबंधित कार्यशाला में शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण दिया गया.

AIIMS
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Published : Sep 20, 2019, 12:47 PM IST

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कंप्यूटर एडिड ड्रग्स डिजाइनिंग कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें विशेषज्ञों ने देशभर से जुटे शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयरर्स द्वारा नई दवाओं की खोज करने की विभिन्न तकनीकियों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया.

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने कहा कि नियमित तौर पर ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से शोधार्थियों में नई दवाओं की खोज के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी. उन्होंने फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से की गई इस रचनात्मक पहल की सराहना की.

उन्होंने उम्मीद जताई कि विभाग की गत दिनों आयोजित हुई फार्माको विजिलेंस वर्कशॉप व कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन वर्कशॉप से पेंशेट केयर व रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 21 व 22 सितंबर को गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जिससे चिकित्सक क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में दक्षता हासिल कर सकेंगे.

यह भी पढ़ेंः टिहरी: डेंगू से पीड़ित महिला की इलाज के दौरान मौत

एडवांस कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन एवं कंप्यूटेशनल बायोलॉजी पर आधारित वर्कशॉप में बंगलुरु से आए वैज्ञानिक डा. विनोद देवराजी और डा. प्रज्ज्वल नन्देकर ने युवा वैज्ञानिकों को नई ड्रग की खोज में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के उपयोग का प्रशिक्षण दिया.

फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र हांडू ने बताया कि भारत ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे है. लिहाजा इस तरह की एडवांस लेवल की वर्कशॉप एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम जरुरी हैं, जिससे शोधार्थियों को ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना नितांत आवश्यक है. इससे आने वाले समय में हमारा देश भी नई दवाओं की खोज (ड्रग डिस्कवरी) की दिशा में आगे आ सके. उन्होंने बताया कि ऐसा होने से उन बीमारियों का उपचार भी संभव हो सकेगा जिनके लिए अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है.

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कंप्यूटर एडिड ड्रग्स डिजाइनिंग कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें विशेषज्ञों ने देशभर से जुटे शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयरर्स द्वारा नई दवाओं की खोज करने की विभिन्न तकनीकियों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया.

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने कहा कि नियमित तौर पर ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से शोधार्थियों में नई दवाओं की खोज के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी. उन्होंने फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से की गई इस रचनात्मक पहल की सराहना की.

उन्होंने उम्मीद जताई कि विभाग की गत दिनों आयोजित हुई फार्माको विजिलेंस वर्कशॉप व कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन वर्कशॉप से पेंशेट केयर व रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 21 व 22 सितंबर को गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जिससे चिकित्सक क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में दक्षता हासिल कर सकेंगे.

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एडवांस कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन एवं कंप्यूटेशनल बायोलॉजी पर आधारित वर्कशॉप में बंगलुरु से आए वैज्ञानिक डा. विनोद देवराजी और डा. प्रज्ज्वल नन्देकर ने युवा वैज्ञानिकों को नई ड्रग की खोज में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के उपयोग का प्रशिक्षण दिया.

फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र हांडू ने बताया कि भारत ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे है. लिहाजा इस तरह की एडवांस लेवल की वर्कशॉप एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम जरुरी हैं, जिससे शोधार्थियों को ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना नितांत आवश्यक है. इससे आने वाले समय में हमारा देश भी नई दवाओं की खोज (ड्रग डिस्कवरी) की दिशा में आगे आ सके. उन्होंने बताया कि ऐसा होने से उन बीमारियों का उपचार भी संभव हो सकेगा जिनके लिए अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है.

Intro:ऋषिकेश--अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कंप्यूटर एडिड ड्रग्स डिजाइनिंग कार्यशाला बृहस्पतिवार को विधिवत संपन्न हो गई। जिसमें विशेषज्ञों ने देशभर से जुटे शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयरर्स के द्वारा नई दवाओं की खोज करने की विभिन्न तकनीकियों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया।   


Body:वी/ओ--एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि नियमिततौर पर ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से शोधार्थियों में नई दवाओं की खोज के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी। उन्होंने फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से की गई इस रचनात्मक पहल की सराहना की। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने उम्मीद जताई कि विभाग की गतदिनों आयोजित हुई फार्माकोविजिलेंस वर्कशॉप व बृहस्पतिवार को संपन्न हुई कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन वर्कशॉप से पेसेंट केयर व रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा, उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 21 व 22 सितंबर को गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जिससे चिकित्सक क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में दक्षता हासिल कर सकेंगे।  


Conclusion:वी/ओ--एडवांस कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन एवं कंप्यूटेशनल बायोलॉजी पर आधारित वर्कशॉप में बैंगलौर से आए वैज्ञानिक डा. विनोद देवराजी व डा. प्रज्ज्वल नन्देकर ने युवा वैज्ञानिकों को नई ड्रग की खोज में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के उपयोग का प्रशिक्षण दिया। फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र हांडू ने बताया कि भारत ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे है। लिहाजा इस तरह की एडवांस लेवल की वर्कशॉप एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम जरुरी हैं,जिससे शोधार्थियों को ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना नितांत आवश्यक है। इससे आने वाले समय में हमारा देश भी नई दवाओं की खोज (ड्रग डिस्कवरी) की दिशा में आगे आ सके। उन्होंने बताया कि ऐसा होने से उन बीमारियों का उपचार भी संभव हो सकेगा जिनके लिए अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है।      
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