देहरादूनः लॉकडाउन के चलते व्यावसायिक वाहन संचालकों और चालकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी पंजीकृत वाहन चालकों और संचालकों को राहत देने का काम किया है. साथ ही 1000 रुपये उनके खाते में डालने का एलान किया है, लेकिन सरकार की ओर से दी जा रही सहायता राशि इन वाहन संचालकों और चालकों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. साथ ही इस रकम के लिए उन्हें लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है. वहीं, वाहन संचालकों ने इसे ऊंट के मुंह में जीरा बताया है.
ईटीवी भारत की टीम ने ऑटो रिक्शा यूनियन से जुड़े लोगों से बातचीत की. इस दौरान देहरादून ऑटो रिक्शा यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि सरकार की ओर से दी जा रही राहत ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. जबकि, इस राहत को पाने के लिए जो ऑनलाइन प्रक्रिया है, वह भी काफी कठिन है. कोई चालक या संचालक इस राहत का लाभ लेना चाहता है तो उसके लिए http://www.greencard.uk.gov.in/databank पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार इस ऑनलाइन प्रक्रिया को आसान बनाएं. साथ ही फॉर्म को हिंदी में अपलोड करने की मांग की है. जिससे सभी वाहन चालक और संचालक आसानी से समझ सके.
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सरकार की ओर से दी जाने वाली एक हजार रुपये की राहत राशि से दून गढ़वाल ट्रैक्टर जीप संचालन समिति से जुड़े लोग भी खुश नहीं है. दून गढ़वाल ट्रैकर जीब संचालन समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नौटियाल का कहना है कि महंगाई के इस दौर में 1000 रुपये से घर का खर्च चल पाना भी मुश्किल है. सरकार ने एक हजार रुपये देकर सिर्फ एक औपचारिकता निभाई है. वहीं, दूसरी ओर ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि कई वाहन चालक और संचालक महज एक हजार की राशि के लिए इस फॉर्म को भरने तक में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
वहीं, दूसरी ओर इस राहत से देहरादून सिटी बस संचालक भी खुश नजर नहीं आ रहे हैं. सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल के मुताबिक 1000 रुपये की राहत पूरी तरह से नाकाफी नजर है. जिस नुकसान से सभी व्यावसायिक चालक और संचालक लॉकडाउन के दौरान गुजर चुके हैं, उससे उबर पाना आसान नहीं है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि उनकी समस्याओं को समझते हुए कम से कम 2000 रुपये प्रति माह अगले 3 महीनों तक सभी पंजीकृत व्यावसायिक वाहन संचालक और चालकों के खातों में डाला जाना चाहिए.