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रिवर्स पलायन के लिए शुरू की गई योजना, युवाओं को मिलेगा रोजगार - देहरादून हिंदी समाचार

आर्किटेक्ट नम्रता व गौरव ने यमकेश्वर जैसे दूरदराज के गांव में भांग से उत्पाद बनाने का स्टार्टअप शुरू किया है, जिससे बाकी युवाओं को भी पहाड़ों पर वापसी कर स्वरोजगार की दिशा में बेहतर संदेश मिला है.

'रिवर्स पलायन' के तहत शुरू की गई योजना
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Published : Nov 17, 2019, 11:41 PM IST

देहरादून: प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार ने युवाओं के लिए रिवर्स पलायन की योजना चलाने जा रही है. इस मुहिम के तहत युवाओं को पहाड़ों पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. ऐसे में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भांग के रेशे से विभिन्न उत्पाद तैयार करने वाले गौरव व नम्रता को मशीन खरीदने के लिए विवेकाधीन कोष से दस लाख रुपए का चेक दिया.

बता दें कि पेशे से आर्किटेक्ट नम्रता व गौरव ने यमकेश्वर जैसे दूरदराज के गांव में हेम्प से उत्पाद बनाने का स्टार्टअप शुरू किया है. जिससे बाकी युवाओं को भी पहाड़ों पर वापसी कर स्वरोजगार की दिशा में बेहतर संदेश मिला है. गौरव और नम्रता ने हेम्प के रेशों से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए थे. वहीं, सीएम ने इन्हें इस उद्योग को बढ़ावा देने और स्थानीय युवाओं को इस उद्योग से जोड़ने के लिए 10 लाख रुपये का चेक प्रदान किया है.

ये भी पढ़ें: कवायद: पारंपरिक घराटों में जान फूंकेगी त्रिवेंद्र सरकार

गौरव और नम्रता दोनों ही दिल्ली में रहते थे, लेकिन उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पहाड़ पर पाए जाने वाले हेम्प को रोजगार का साधन बनाया. वर्तमान में वे इसके बीज के तेल से साबुन बना रहे हैं, इससे भवन निर्माण सामग्री भी बनाई जा सकती है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनकी इस पहल की काफी प्रशंसा की है.

देहरादून: प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार ने युवाओं के लिए रिवर्स पलायन की योजना चलाने जा रही है. इस मुहिम के तहत युवाओं को पहाड़ों पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. ऐसे में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भांग के रेशे से विभिन्न उत्पाद तैयार करने वाले गौरव व नम्रता को मशीन खरीदने के लिए विवेकाधीन कोष से दस लाख रुपए का चेक दिया.

बता दें कि पेशे से आर्किटेक्ट नम्रता व गौरव ने यमकेश्वर जैसे दूरदराज के गांव में हेम्प से उत्पाद बनाने का स्टार्टअप शुरू किया है. जिससे बाकी युवाओं को भी पहाड़ों पर वापसी कर स्वरोजगार की दिशा में बेहतर संदेश मिला है. गौरव और नम्रता ने हेम्प के रेशों से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए थे. वहीं, सीएम ने इन्हें इस उद्योग को बढ़ावा देने और स्थानीय युवाओं को इस उद्योग से जोड़ने के लिए 10 लाख रुपये का चेक प्रदान किया है.

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गौरव और नम्रता दोनों ही दिल्ली में रहते थे, लेकिन उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पहाड़ पर पाए जाने वाले हेम्प को रोजगार का साधन बनाया. वर्तमान में वे इसके बीज के तेल से साबुन बना रहे हैं, इससे भवन निर्माण सामग्री भी बनाई जा सकती है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनकी इस पहल की काफी प्रशंसा की है.

Intro:summary- उत्तराखंड में युवाओं को रिवर्स पलायन मुहिम के तहत पहाड़ों पर ही स्वरोजगार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं... इस दिशा में यमकेश्वर ब्लॉक के कंडवाल गांव में हेम्प से विभिन्न उत्पाद तैयार करने वाले गौरव व नम्रता को मशीन खरीदने के लिए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह  रावत  ने  सीएम  विवेकाधीन कोष से 10 लाख रूपए की राशि का चेक प्रदान किया है। 


Body:हैप के रेशों से उत्पाद तैयार करने वाले गौरव और नम्रता को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 10 लाख का चेक देकर स्टार्टअप को बढ़ावा देने की कोशिश की है...यमकेश्वर ब्लॉक के कंडवाल गांव में हेम्प से विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए सीएम ने विवेकाधीन कोष से यह राशि दी है... आपको बता दें कि पेशे से आर्किटेक्ट नम्रता व गौरव ने यमकेश्वर जैसे दूरदराज ब्लॉक  के गांव में हेम्प से उत्पाद बनाने का स्टार्ट अप शुरू किया है.. जिससे बाकी युवाओं को भी पहाड़ों पर वापस आकर स्वरोजगार की दिशा में बेहतर संदेश मिल रहा है.. गौरव और नम्रता की इस पहल से साफ हो गया है कि स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर स्वयं के साथ ही अन्य लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। गौरव और नम्रता दोनों ही दिल्ली में रहते थे... लेकिन उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पहाड़ में पाए जाने वाले हेम्पको रोजगार का साधन बनाने का निर्णय किया। वर्तमान में वे इसके बीज के तेल से साबुन बना रहे हैं। इससे भवन निर्माण सामग्री भी बनाई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को उनके द्वारा हेम्प से ग्रामीण आर्थिकी में सुधार पर जानकारी दी गई थी। मिनिस्ट्रि ऑफ हाउसिंग के स्पेशल पब्लिकेशन में ‘हेम्प की भवन निर्माण तकनीक’ पर उनकी रिसर्च पर लेख भी प्रकाशित हुआ था।     


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