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सीएम की अध्यक्षता में हुई कैंपा की पहली बैठक, विकास कार्यों पर हुआ आत्ममंथन

देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कैंपा की पहली बैठक ली. इस बैठक में प्रदेश में हो रहे सभी तरह के विकास कार्यों को लेकर चर्चा की गई.

campa meeting
कैंपा की बैठक
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Published : Jun 16, 2020, 9:52 AM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को उत्तराखंड कैंपा की पहली बैठक आयोजित की. इस बैठक में कैंपा की धनराशि से विभिन्न तरह के विकास कार्य कराए जाने को लेकर विचार- विमर्श किया गया. इसके अलावा प्रदेश में वृक्षारोपण, वनों को सुरक्षित रखने और वन्यजीवों के संरक्षण के मुद्दे को लेकर आत्ममंथन किया गया.

कैम्पा की बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया, कि भविष्य में अब इस तरह की बैठकें आयोजित की जाती रहेंगी. जिससे भविष्य की योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू कराने में मदद मिलती रहेगी. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल एकत्रीकरण के लिए भी धनराशि का प्राविधान किया जाना चहिए, जिससे वन पंचायतों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन में गति मिलेगी. सीएम ने बताया कि कैम्पा निधि में इस बाह अप्रैल महीने तक कुल 3,03694.24 लाख की धनराशि उपलब्ध है. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा इस साल आयोजित होने वाली वार्षिक कार्य योजनाओं के तहत पहले चरण की गतिविधियों के लिए 15,868 लाख रुपए की कार्य योजना स्वीकृत की गई है.

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इसके अलावा वनाग्नि सुरक्षा एवं प्रबंधन के लिए पहले चरण में करीब 4,531.73 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है, जिसमें वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण, वृक्षारोपण, चारागाह विकास और प्रशिक्षण के लिए 600 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है. वहीं, साल 2021 के महाकुंभ के आयोजन के लिए 1,090 लाख रुपए, संरक्षित क्षेत्रों में लगे ग्रामीण क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम के लिए 135 इको विकास समितियों के सुदृढ़ीकरण क्षमता विकास हेतु 375 लाख, बुग्यालों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 400 लाख, वन्य जीव अनुसंधान कार्यों के लिए 300 लाख, वन रक्षक चौकियों/पैट्रोलिंग शेल्टरों व वाच टावरों के निर्माण के लिए 900 लाख, प्रकृति अनुभूति केन्द्र देहरादून की स्थापना के लिए 100 लाख, कोसी, शिप्रा, खोह और नयार नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए 1,500 लाख की धनराशि स्वीकृत है.

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बैठक में पर्यावरण मंत्री भारत सरकार की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से सचिव/प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को नामित करने और वार्षिक योजना को निर्धारित मानकों के अनुसार स्वीकृत किये जाने का दायित्व पहले की तरह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कैम्पा संचालन समिति में निहित किये जाने, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिये मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों को वन क्षेत्रों के बाहर भी कराये जाने के लिए नियमावली बनाने पर सहमति बनी.

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को उत्तराखंड कैंपा की पहली बैठक आयोजित की. इस बैठक में कैंपा की धनराशि से विभिन्न तरह के विकास कार्य कराए जाने को लेकर विचार- विमर्श किया गया. इसके अलावा प्रदेश में वृक्षारोपण, वनों को सुरक्षित रखने और वन्यजीवों के संरक्षण के मुद्दे को लेकर आत्ममंथन किया गया.

कैम्पा की बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया, कि भविष्य में अब इस तरह की बैठकें आयोजित की जाती रहेंगी. जिससे भविष्य की योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू कराने में मदद मिलती रहेगी. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल एकत्रीकरण के लिए भी धनराशि का प्राविधान किया जाना चहिए, जिससे वन पंचायतों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन में गति मिलेगी. सीएम ने बताया कि कैम्पा निधि में इस बाह अप्रैल महीने तक कुल 3,03694.24 लाख की धनराशि उपलब्ध है. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा इस साल आयोजित होने वाली वार्षिक कार्य योजनाओं के तहत पहले चरण की गतिविधियों के लिए 15,868 लाख रुपए की कार्य योजना स्वीकृत की गई है.

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इसके अलावा वनाग्नि सुरक्षा एवं प्रबंधन के लिए पहले चरण में करीब 4,531.73 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है, जिसमें वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण, वृक्षारोपण, चारागाह विकास और प्रशिक्षण के लिए 600 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है. वहीं, साल 2021 के महाकुंभ के आयोजन के लिए 1,090 लाख रुपए, संरक्षित क्षेत्रों में लगे ग्रामीण क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम के लिए 135 इको विकास समितियों के सुदृढ़ीकरण क्षमता विकास हेतु 375 लाख, बुग्यालों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 400 लाख, वन्य जीव अनुसंधान कार्यों के लिए 300 लाख, वन रक्षक चौकियों/पैट्रोलिंग शेल्टरों व वाच टावरों के निर्माण के लिए 900 लाख, प्रकृति अनुभूति केन्द्र देहरादून की स्थापना के लिए 100 लाख, कोसी, शिप्रा, खोह और नयार नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए 1,500 लाख की धनराशि स्वीकृत है.

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बैठक में पर्यावरण मंत्री भारत सरकार की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से सचिव/प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को नामित करने और वार्षिक योजना को निर्धारित मानकों के अनुसार स्वीकृत किये जाने का दायित्व पहले की तरह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कैम्पा संचालन समिति में निहित किये जाने, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिये मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों को वन क्षेत्रों के बाहर भी कराये जाने के लिए नियमावली बनाने पर सहमति बनी.

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