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भारत-चीन तनाव पर पक्ष-विपक्ष एकजुट, CM त्रिवेंद्र बोले- 1962 को दोहराना चाहती थी चीनी सेना - भारत-चीन सीमा

लद्दाख बॉर्डर पर चीनी सेना की हिमाकत ने न केवल एलएसी पर तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि शहीदों के लहू का बदला लेने को हर देशवासी का खून उबाल मार रहा है. मौजूदा हालातों में सत्तादल हो या विपक्ष हर कोई अपनी सेना का मनोबल बढ़ रहा है और चाइना को सबक सिखाने की बात कर रहा है.

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देहरादून न्यूज
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Published : Jun 17, 2020, 5:31 PM IST

देहरादून: गलवान घाटी में भारतीय जवानों के साथ हुई हिंसा से लोगों में उबाल है. देशवासी, सत्तादल और विपक्ष सेना के लिए और सेना के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चीन की इस हरकत को कायरतापूर्ण और विश्वासघात वाला बताया है. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि सीमा पर चीनी सेना 1962 को दोहराना चाहती थी, लेकिन जैसा जवाब सेना के जवानों ने दिया है, उससे चीन समझ गया है कि ये 1962 वाला भारत नहीं हैं.

भारतीय सेना और केंद्र सरकार की तरफ से भी इस घटना के बाद अपने-अपने स्तर से जवाब दिया जा रहा है. लेकिन विपक्षी दल के नेता भी इस मामले पर राजनीति नहीं बल्कि सच्चे देशभक्त की तरह सेना के साथ खड़े हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने बताया कि चीन ने पीठ में छुरा घोंपा है. देश शहीदों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगा. उधर चीन को एक बात समझ लेनी चाहिए कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देगा.

भारत-चीन तनाव पर पक्ष-विपक्ष एकजुट.

पढ़ें- भारत-चीन हिंसक झड़प के बाद क्या युद्ध ही एकमात्र रास्ता? जानिए रिटायर्ड ब्रिगेडियर के जी बहल से

बता दें, लद्दाख के एलएसी पर सोमवार देर रात भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प में दोनों देशों के जवानों को काफी नुकसान हुआ है. भारत की ओर से 20 जवान शहीद हुए हैं. जबकि चीन की तरफ से फिलहाल ऐसी कोई सूचना नहीं आई है. लेकिन, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के कमांडर समेत 35 सैनिक ढेर हुए हैं. इसी बीच अमेरिकी मीडिया ने दावा है किया कि चीन ने भारत को सीमा पर झड़प के लिए उकसाया है.

देहरादून: गलवान घाटी में भारतीय जवानों के साथ हुई हिंसा से लोगों में उबाल है. देशवासी, सत्तादल और विपक्ष सेना के लिए और सेना के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चीन की इस हरकत को कायरतापूर्ण और विश्वासघात वाला बताया है. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि सीमा पर चीनी सेना 1962 को दोहराना चाहती थी, लेकिन जैसा जवाब सेना के जवानों ने दिया है, उससे चीन समझ गया है कि ये 1962 वाला भारत नहीं हैं.

भारतीय सेना और केंद्र सरकार की तरफ से भी इस घटना के बाद अपने-अपने स्तर से जवाब दिया जा रहा है. लेकिन विपक्षी दल के नेता भी इस मामले पर राजनीति नहीं बल्कि सच्चे देशभक्त की तरह सेना के साथ खड़े हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने बताया कि चीन ने पीठ में छुरा घोंपा है. देश शहीदों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगा. उधर चीन को एक बात समझ लेनी चाहिए कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देगा.

भारत-चीन तनाव पर पक्ष-विपक्ष एकजुट.

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बता दें, लद्दाख के एलएसी पर सोमवार देर रात भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प में दोनों देशों के जवानों को काफी नुकसान हुआ है. भारत की ओर से 20 जवान शहीद हुए हैं. जबकि चीन की तरफ से फिलहाल ऐसी कोई सूचना नहीं आई है. लेकिन, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के कमांडर समेत 35 सैनिक ढेर हुए हैं. इसी बीच अमेरिकी मीडिया ने दावा है किया कि चीन ने भारत को सीमा पर झड़प के लिए उकसाया है.

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