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कोरोनाकाल में दिया डॉक्टरों का साथ, अब नौकरी को मोहताज फ्रंट लाइन वर्कर्स

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Published : Feb 9, 2021, 7:09 PM IST

कोरोना काल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज में सफाई कर्मियों को रखा गया था, जिन्हें अब बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

फ्रंट लाइन वर्कर्स
फ्रंट लाइन वर्कर्स

देहरादून: कोरोना काल के दौरान दून मेडिकल कॉलेज में फ्रंट लाइन वर्कर्स के तौर पर अपनी सेवाएं देने वाले सफाई कर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ये सफाई कर्मचारी आज रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. दून मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए इन्हें रखा गया था, लेकिन आज ये फिर से सड़क पर हैं.

राजकीय मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में करीब 150 सफाई कर्मी कार्य कर रहे हैं. इनमें से कई ऐसे कर्मी है जो साल 2009 या उससे पहले से ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अब उन्हें ठेका प्रथा के माध्यम से निकाला जा रहा है. जिसका सफाई कर्मी विरोध कर रहे हैं. कुछ सफाई कर्मियों को 11 महीने पहले ही कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद अनुबंध के आधार पर रखा गया था. इन कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों को बचाने के लिए दिन-रात अपनी सेवाएं दीं. इन कर्मचारियों ने आगे बढ़कर मरीजों को दवाएं, उनकी बेडशीट बदलने, साफ-सफाई से संबंधित सभी काम किए, लेकिन अब जरूरत खत्म होने पर इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

पढ़ें- हरिद्वार कुंभ में SOP जारी करने पर संत नाराज, दी आंदोलन की चेतावनी

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के कार्यवाहक मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर केसी पंत का कहना है कि कोविड पीरियड में अस्पताल को अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता पड़ी थी. कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए आउटसोर्स एजेंसी उपनल और पीआरडी के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी. अनुबंध के आधार पर इन कर्मचारियों की 28 फरवरी और 31 मार्च तक ही सेवाएं ली जा सकती हैं.

उन्होंने कहा कि यदि कोरोना का मरीजों की संख्या बढ़ती है तो ही इन कर्मचारियों की अस्पताल को जरूरत होगी. तभी इन कर्मियों का एक्सटेंशन किया जा सकता है. अस्पताल के सामने यह बाध्यता है कि 28 फरवरी को कुछ कर्मचारी हटाए जाने हैं और कुछ को 31 मार्च के बाद. इसलिए जब तक कोई विषम परिस्थिति अस्पताल के समक्ष नहीं आती है तब तक इनकी सेवाएं समाप्त मानी जाएंगी.

इधर रोजगार बचाने को लेकर दर-दर भटक रहे कोरोना योद्धाओं के पक्ष में पूर्व विधायक राजकुमार ने चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात की. उन्होंने चीफ सेक्रेटरी से इन कर्मियों को बहाल किए जाने को लेकर आग्रह किया है. पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि चीफ सेक्रेटरी ने हटाए जा रहे कर्मियों की पुनः बहाली को लेकर आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस सड़कों पर उतर कर अपना विरोध दर्ज कराएगी.

देहरादून: कोरोना काल के दौरान दून मेडिकल कॉलेज में फ्रंट लाइन वर्कर्स के तौर पर अपनी सेवाएं देने वाले सफाई कर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ये सफाई कर्मचारी आज रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. दून मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए इन्हें रखा गया था, लेकिन आज ये फिर से सड़क पर हैं.

राजकीय मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में करीब 150 सफाई कर्मी कार्य कर रहे हैं. इनमें से कई ऐसे कर्मी है जो साल 2009 या उससे पहले से ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अब उन्हें ठेका प्रथा के माध्यम से निकाला जा रहा है. जिसका सफाई कर्मी विरोध कर रहे हैं. कुछ सफाई कर्मियों को 11 महीने पहले ही कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद अनुबंध के आधार पर रखा गया था. इन कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों को बचाने के लिए दिन-रात अपनी सेवाएं दीं. इन कर्मचारियों ने आगे बढ़कर मरीजों को दवाएं, उनकी बेडशीट बदलने, साफ-सफाई से संबंधित सभी काम किए, लेकिन अब जरूरत खत्म होने पर इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के कार्यवाहक मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर केसी पंत का कहना है कि कोविड पीरियड में अस्पताल को अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता पड़ी थी. कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए आउटसोर्स एजेंसी उपनल और पीआरडी के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी. अनुबंध के आधार पर इन कर्मचारियों की 28 फरवरी और 31 मार्च तक ही सेवाएं ली जा सकती हैं.

उन्होंने कहा कि यदि कोरोना का मरीजों की संख्या बढ़ती है तो ही इन कर्मचारियों की अस्पताल को जरूरत होगी. तभी इन कर्मियों का एक्सटेंशन किया जा सकता है. अस्पताल के सामने यह बाध्यता है कि 28 फरवरी को कुछ कर्मचारी हटाए जाने हैं और कुछ को 31 मार्च के बाद. इसलिए जब तक कोई विषम परिस्थिति अस्पताल के समक्ष नहीं आती है तब तक इनकी सेवाएं समाप्त मानी जाएंगी.

इधर रोजगार बचाने को लेकर दर-दर भटक रहे कोरोना योद्धाओं के पक्ष में पूर्व विधायक राजकुमार ने चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात की. उन्होंने चीफ सेक्रेटरी से इन कर्मियों को बहाल किए जाने को लेकर आग्रह किया है. पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि चीफ सेक्रेटरी ने हटाए जा रहे कर्मियों की पुनः बहाली को लेकर आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस सड़कों पर उतर कर अपना विरोध दर्ज कराएगी.

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