देहरादून: उत्तराखंड सरकार भले ही बच्चों और किशोरों को अच्छी शिक्षा और उनके अधिकार देने के दावे करती है, लेकिन इसके विपरीत अभी भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में बाल मजदूरी बढ़ती जा रही है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से चलाए गए अभियान के तहत देहरादून और हरिद्वार में 6 दिन में विभिन्न प्रतिष्ठानों में बाल मजदूरी कर रहे 45 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा रेस्क्यू किए गए बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया जाएगा. जिसके बाद उनके पुनर्वास के लिए योजना तैयार की जा रही है. हालांकि, अभी पूरे प्रदेश की स्तिथि अन्य 11 जिलों की रिपोर्ट आने के बाद साफ हो पाएगी. आयोग की ओर से इस सप्ताह सभी जिलों को अपनी रिपोर्ट देने की निर्देश दिए गए हैं.
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बता दें की बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पूरे प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिए बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध विनियमन अधिनियम के तहत 12 जून से 20 जून आठ दिवसीय अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत अभी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से देहरादून और हरिद्वार जिले के आंकड़ों का प्रस्तुत किया है. जिसके तहत देहरादून के कोतवाली व पटेलनगर और हरिद्वार के कनखल आदि क्षेत्रों से 45 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया गया है. इसके साथ ही 16 प्रतिष्ठानों पर FIR दर्ज करवाई गई है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा बाल मजदूरी को रोकने के लिए सख्त निर्देशित किया गया है. बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध विनियमन अधिनियम के तहत बाल मजदूरी करवाने वाले लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी और चार्ट शीट दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत बच्चों का डेटा बेस तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
इसके साथ ही अन्य 11 जिलों की रिपोर्ट आने के बाद आगे ठोस कार्रवाई की जायेगी. बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. बाल मजदूरी रोकने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत नगर निगम और नगर पालिकाओ की वाहनों में प्रचार प्रसार किया जाएगा.