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मुख्यमंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष की मुलाकात, फॉरेस्ट क्लीयरेंस से जुड़े नियमों को सरल बनाने पर हुई बात

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की. बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फॉरेस्ट क्लीयरेंस और केंद्रीय योजना पर राज्य की स्थितियों से नीति आयोग के उपाध्यक्ष को रूबरू करवाया.

Chief Minister and Deputy Chairman NITI Aayog
मुख्यमंत्री और नीति आयोग उपाध्यक्ष
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Published : Feb 27, 2021, 1:11 PM IST

देहरादून: नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की. राजीव कुमार उत्तराखंड में दो दिवसीय दौरे पर हैं. बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फॉरेस्ट क्लीयरेंस और केंद्रीय योजना पर राज्य की स्थितियों से नीति आयोग के उपाध्यक्ष को रूबरू करवाया.

दोनों के बीच उत्तराखंड से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की परियोजनाओं के लिए केंद्र की परियोजनाओं की तरह ही डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड पर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की अनुमति दी जानी चाहिए. राज्य की परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए दोगुनी भूमि देनी होती है, जबकि केंद्र की परियोजनाओं के लिये ऐसा नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए जरूरी औपचारिकताओं का सरलीकरण किया जाना चाहिए.

वहीं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि इन मामलों को नीति आयोग द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता से लेते हुए संबंधित मंत्रालय से बात की जाएगी. डॉ राजीव कुमार ने कहा कि चीड़ के पेड़ हमारे यहां की परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हैं. इन्हें धीरे-धीरे किस प्रकार स्थानीय प्रजाति के वृक्षों से रिप्लेस किया जा सकता है, इसकी योजना बनाई जानी चाहिए. इस संबंध में एफआरआई द्वारा किये गये अध्ययन की रिपोर्ट उपलब्ध कराने की बात कही.

डॉ राजीव कुमार ने राज्य में एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) के लिए मॉनिटरिंग सेल बनाने का सुझाव दिया. यह बताए जाने पर कि राज्य सरकार की अनेक बाह्य सहायतित परियोजनाओं के प्रस्ताव एआईआईबी व एनडीबी में लम्बित हैं, उन्होंने कहा कि इन मामलों को दिखाया जाएगा. नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने राज्य में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किये जाने पर भी बल दिया.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने हाल ही में जोशीमठ क्षेत्र में आई आपदा और संचालित सर्च रेस्क्यू आपरेशन व राहत कार्यों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी लगातार इस पर नजर रखे हुए थे. इस पर डॉ राजीव कुमार ने कहा कि राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिये अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक का उपयोग के लिए अध्ययन कराया जाएगा.

बता दें कि इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार हेस्को का दौरा भी कर चुके हैं, जहां पद्मभूषण डॉक्टर अनिल जोशी ने उनसे राज्य को ग्रीन बोनस दिए जाने से जुड़ी बात रखी. प्रदेश का पर्यावरण बचाने को लेकर वनों के रूप में बड़ा योगदान है, ऐसे में उन्होंने राज्य के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष से ग्रीन बोनस पर बातचीत की.

पढ़ें: पुलिस भर्ती में नहीं बढ़ाई जाएगी आयु सीमा, Uksssc ने जारी किया स्पष्टीकरण

हालांकि, इस मामले में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन क्षेत्रों को बढ़ाने पर राज्य की सराहना भी की और ग्रीन बोनस के प्रस्ताव का भी समर्थन किया. हालांकि, उन्होंने इस मामले में किसी एक राज्य को ग्रीन बोनस दिए जाने पर विभिन्न राज्यों की तरफ से भी इसी तरह की मांग की आशंका जताई ऐसे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले पर राज्य द्वारा अपना पक्ष रखे जाने की सलाह दी है.

देहरादून: नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की. राजीव कुमार उत्तराखंड में दो दिवसीय दौरे पर हैं. बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फॉरेस्ट क्लीयरेंस और केंद्रीय योजना पर राज्य की स्थितियों से नीति आयोग के उपाध्यक्ष को रूबरू करवाया.

दोनों के बीच उत्तराखंड से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की परियोजनाओं के लिए केंद्र की परियोजनाओं की तरह ही डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड पर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की अनुमति दी जानी चाहिए. राज्य की परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए दोगुनी भूमि देनी होती है, जबकि केंद्र की परियोजनाओं के लिये ऐसा नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए जरूरी औपचारिकताओं का सरलीकरण किया जाना चाहिए.

वहीं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि इन मामलों को नीति आयोग द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता से लेते हुए संबंधित मंत्रालय से बात की जाएगी. डॉ राजीव कुमार ने कहा कि चीड़ के पेड़ हमारे यहां की परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हैं. इन्हें धीरे-धीरे किस प्रकार स्थानीय प्रजाति के वृक्षों से रिप्लेस किया जा सकता है, इसकी योजना बनाई जानी चाहिए. इस संबंध में एफआरआई द्वारा किये गये अध्ययन की रिपोर्ट उपलब्ध कराने की बात कही.

डॉ राजीव कुमार ने राज्य में एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) के लिए मॉनिटरिंग सेल बनाने का सुझाव दिया. यह बताए जाने पर कि राज्य सरकार की अनेक बाह्य सहायतित परियोजनाओं के प्रस्ताव एआईआईबी व एनडीबी में लम्बित हैं, उन्होंने कहा कि इन मामलों को दिखाया जाएगा. नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने राज्य में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किये जाने पर भी बल दिया.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने हाल ही में जोशीमठ क्षेत्र में आई आपदा और संचालित सर्च रेस्क्यू आपरेशन व राहत कार्यों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी लगातार इस पर नजर रखे हुए थे. इस पर डॉ राजीव कुमार ने कहा कि राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिये अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक का उपयोग के लिए अध्ययन कराया जाएगा.

बता दें कि इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार हेस्को का दौरा भी कर चुके हैं, जहां पद्मभूषण डॉक्टर अनिल जोशी ने उनसे राज्य को ग्रीन बोनस दिए जाने से जुड़ी बात रखी. प्रदेश का पर्यावरण बचाने को लेकर वनों के रूप में बड़ा योगदान है, ऐसे में उन्होंने राज्य के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष से ग्रीन बोनस पर बातचीत की.

पढ़ें: पुलिस भर्ती में नहीं बढ़ाई जाएगी आयु सीमा, Uksssc ने जारी किया स्पष्टीकरण

हालांकि, इस मामले में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन क्षेत्रों को बढ़ाने पर राज्य की सराहना भी की और ग्रीन बोनस के प्रस्ताव का भी समर्थन किया. हालांकि, उन्होंने इस मामले में किसी एक राज्य को ग्रीन बोनस दिए जाने पर विभिन्न राज्यों की तरफ से भी इसी तरह की मांग की आशंका जताई ऐसे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले पर राज्य द्वारा अपना पक्ष रखे जाने की सलाह दी है.

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