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नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर चर्चाओं में रेशम विभाग का ये अधिकारी, 10 साल में ही पा गया 5 प्रमोशन

रेशम विभाग में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात किरण पाल सिंह ने 10 साल 6 महीने में ताबड़तोड़ प्रमोशन पाये. इन 10 सालों में किरण पाल सिंह ने जिस तेजी से प्रमोशन पाये हैं उसे देखकर हर कोई हैरान है.

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नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर चर्चाओं में रेशम विभाग का ये अधिकारी
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Published : Jun 4, 2021, 10:32 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में तमाम कर्मचारी संगठन इन दिनों अपने प्रमोशन को लेकर या तो आंदोलनरत हैं या सरकार से प्रमोशन में जनता को लेकर मांग कर रहे हैं. मगर इस बीच रेशम विभाग के एक अधिकारी की तैनाती से लेकर उसके प्रमोशन से जुड़ा एक पत्र चर्चाओं में बना हुआ है.रेशम विभाग के अधिकारी किरण पाल सिंह के 10 साल 6 महीने में ही ताबड़तोड़ 5 प्रमोशन हुये, जो कि अपने आप में कई सवाल खड़े करता है.

नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर चर्चाओं में रेशम विभाग का ये अधिकारी

रेशम विभाग के एक अधिकारी से जुड़ा एक पत्र इन दिनों चर्चाओं में है. दरअसल, इस पत्र में इस अधिकारी की तैनाती से लेकर उसके प्रमोशन से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं. पहली नजर में वाकई रेशम विभाग के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी किरण पाल सिंह से जुड़ी जानकारी हैरानी भरी नजर आती हैं.

पढ़ें- कोविड में अनाथ हुए बच्चों को उत्तराखंड सरकार देगी प्रति माह 3000 रुपए

किरण पाल सिंह जो फिलहाल रेशम विभाग में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं करीब 10 साल 6 महीने पहले इसी विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त थे. इन 10 सालों में किरण पाल सिंह ने जिस तेजी से प्रमोशन पाया है उसे देखकर हर कोई हैरान है. दरअसल, किरण पाल सिंह का गृह जनपद देहरादून है. पिछले 30 सालों से किरण पाल सिंह अपने गृह जनपद देहरादून में ही तैनात हैं. अप्रैल 1991 में किरण पाल सिंह रेशम निदेशालय प्रेम नगर देहरादून में तैनात हुए थे. तब से अब तक वे इसी निदेशालय में बने हुए हैं.

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यह तो किरण पाल सिंह की तैनाती से जुड़ी जानकारी थी. अब उसके प्रमोशन की बात करें तो साल 1991 में वह कनिष्ठ सहायक के पद पर तैनात हुए. मजेदार बात यह है कि 19 साल 9 महीने तक इस पद पर काम करने के बाद अचानक अगले 10 सालों में किरण पाल सिंह ने खूब तरक्की की. 2008 के बाद किरण पाल सिंह वरिष्ठ सहायक के पद पर प्रमोशन पा गए. इसके बाद अगले 3 साल 6 महीने में ही उन्हें मुख्य सहायक का पद मिल गया.

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प्रमोशन का क्रम यहीं पर नहीं रुका. इसके बाद 9 महीने में एक और प्रमोशन हुआ और वह प्रशासनिक अधिकारी बन गए. किरण पाल सिंह फिर अगले 3 साल 7 महीनों में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर प्रमोट हुए. फिर अगले 2 साल 5 महीने में किरण पाल सिंह मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बन गए. यानी किरण पाल सिंह ने करीब 10 साल 6 महीने में ही ताबड़तोड़ 5 प्रमोशन पाये. किरण पाल सिंह के प्रमोशन और सुगम तैनाती को उनकी किस्मत कहें या रेशम विभाग में ढांचागत कमियां ये तो वो ही जानते हैं या विभाग.

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बहरहाल, जो भी हो लेकिन रेशम विभाग जिसकी प्रदेश में कम ही बात होती है उसमें एक अधिकारी का इस तरह से सुगम में रहकर ताबड़तोड़ प्रमोशन पाना चर्चाओं में तो बना हुआ है.

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वहीं, इस मामले को लेकर जब रेशम विभाग मंत्री सुबोध उनियाल से बात की गई तो उन्होंने इस पर तकनीकी पक्ष रखते हुए कहा कि किरण पाल सिंह की तैनाती सुगम में होने की वजह उनके कैडर का निदेशालय स्तर पर ही होना है. जहां तक प्रमोशन का सवाल है तो इस पद पर कोई दूसरा कर्मी न होने और रिक्तियां होने के कारण उनका एक के बाद एक प्रमोशन हुआ है.

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बता दें कि उत्तराखंड में रेशम विभाग के हालात बेहद खराब हैं. रेशम के उत्पादन पर न तो सरकार का ध्यान है और ना ही अधिकारियों का. रेशम उत्पादन में पिछले 20 सालों में क्या प्रगति हुई है इसका जवाब और लेखा-जोखा भी कभी सरकार देने में दिलचस्पी नहीं दिखाती. ऐसे में लाजमी है कि कर्मचारियों की रिक्तियां और प्रदेश भर में रेशम विभाग के कार्यालय नहीं होने के कारण कर्मचारियों को सुगम में ही रहना होता है.

देहरादून: उत्तराखंड में तमाम कर्मचारी संगठन इन दिनों अपने प्रमोशन को लेकर या तो आंदोलनरत हैं या सरकार से प्रमोशन में जनता को लेकर मांग कर रहे हैं. मगर इस बीच रेशम विभाग के एक अधिकारी की तैनाती से लेकर उसके प्रमोशन से जुड़ा एक पत्र चर्चाओं में बना हुआ है.रेशम विभाग के अधिकारी किरण पाल सिंह के 10 साल 6 महीने में ही ताबड़तोड़ 5 प्रमोशन हुये, जो कि अपने आप में कई सवाल खड़े करता है.

नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर चर्चाओं में रेशम विभाग का ये अधिकारी

रेशम विभाग के एक अधिकारी से जुड़ा एक पत्र इन दिनों चर्चाओं में है. दरअसल, इस पत्र में इस अधिकारी की तैनाती से लेकर उसके प्रमोशन से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं. पहली नजर में वाकई रेशम विभाग के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी किरण पाल सिंह से जुड़ी जानकारी हैरानी भरी नजर आती हैं.

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किरण पाल सिंह जो फिलहाल रेशम विभाग में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं करीब 10 साल 6 महीने पहले इसी विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त थे. इन 10 सालों में किरण पाल सिंह ने जिस तेजी से प्रमोशन पाया है उसे देखकर हर कोई हैरान है. दरअसल, किरण पाल सिंह का गृह जनपद देहरादून है. पिछले 30 सालों से किरण पाल सिंह अपने गृह जनपद देहरादून में ही तैनात हैं. अप्रैल 1991 में किरण पाल सिंह रेशम निदेशालय प्रेम नगर देहरादून में तैनात हुए थे. तब से अब तक वे इसी निदेशालय में बने हुए हैं.

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यह तो किरण पाल सिंह की तैनाती से जुड़ी जानकारी थी. अब उसके प्रमोशन की बात करें तो साल 1991 में वह कनिष्ठ सहायक के पद पर तैनात हुए. मजेदार बात यह है कि 19 साल 9 महीने तक इस पद पर काम करने के बाद अचानक अगले 10 सालों में किरण पाल सिंह ने खूब तरक्की की. 2008 के बाद किरण पाल सिंह वरिष्ठ सहायक के पद पर प्रमोशन पा गए. इसके बाद अगले 3 साल 6 महीने में ही उन्हें मुख्य सहायक का पद मिल गया.

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प्रमोशन का क्रम यहीं पर नहीं रुका. इसके बाद 9 महीने में एक और प्रमोशन हुआ और वह प्रशासनिक अधिकारी बन गए. किरण पाल सिंह फिर अगले 3 साल 7 महीनों में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर प्रमोट हुए. फिर अगले 2 साल 5 महीने में किरण पाल सिंह मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बन गए. यानी किरण पाल सिंह ने करीब 10 साल 6 महीने में ही ताबड़तोड़ 5 प्रमोशन पाये. किरण पाल सिंह के प्रमोशन और सुगम तैनाती को उनकी किस्मत कहें या रेशम विभाग में ढांचागत कमियां ये तो वो ही जानते हैं या विभाग.

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बहरहाल, जो भी हो लेकिन रेशम विभाग जिसकी प्रदेश में कम ही बात होती है उसमें एक अधिकारी का इस तरह से सुगम में रहकर ताबड़तोड़ प्रमोशन पाना चर्चाओं में तो बना हुआ है.

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वहीं, इस मामले को लेकर जब रेशम विभाग मंत्री सुबोध उनियाल से बात की गई तो उन्होंने इस पर तकनीकी पक्ष रखते हुए कहा कि किरण पाल सिंह की तैनाती सुगम में होने की वजह उनके कैडर का निदेशालय स्तर पर ही होना है. जहां तक प्रमोशन का सवाल है तो इस पद पर कोई दूसरा कर्मी न होने और रिक्तियां होने के कारण उनका एक के बाद एक प्रमोशन हुआ है.

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बता दें कि उत्तराखंड में रेशम विभाग के हालात बेहद खराब हैं. रेशम के उत्पादन पर न तो सरकार का ध्यान है और ना ही अधिकारियों का. रेशम उत्पादन में पिछले 20 सालों में क्या प्रगति हुई है इसका जवाब और लेखा-जोखा भी कभी सरकार देने में दिलचस्पी नहीं दिखाती. ऐसे में लाजमी है कि कर्मचारियों की रिक्तियां और प्रदेश भर में रेशम विभाग के कार्यालय नहीं होने के कारण कर्मचारियों को सुगम में ही रहना होता है.

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