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शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने पर ही उठे सवाल, शिक्षा निदेशालय के फैसले में दोहरा मापदंड के आरोप

मैदानों में डटे ऐसे 100 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने का आदेश जारी कर दिया गया है. जबकि ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 400 है तो फिर महज कुछ शिक्षकों को ही क्यों पहाड़ जाने वाले शिक्षकों की सूची में शामिल किया गया है. इसको लेकर शिक्षा निदेशालय पर दोहरा मापदंड के आरोप लग रहे हैं.

शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने पर ही उठे सवाल.
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Published : Nov 8, 2019, 4:29 AM IST

देहरादून: राजधानी में बीते कई सालों से डेरा जमाए शिक्षकों को पहाड़ भेजने का आदेश सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है. महकमे की तरफ से कुछ शिक्षकों को पहाड़ी क्षेत्र में भेजने के आदेश तो जारी कर दिए गए, लेकिन बहुत से शिक्षक शिक्षा निदेशालय की सूची में शामिल नहीं किए गए.

शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने पर ही उठे सवाल.

उत्तराखंड में करीब 400 शिक्षक ऐसे थे जो कई सालों से मैदानी जिलों में डटे हुए थे. उनको पहाड़ भेजने की हर कोशिश नाकाम हो रही थी. दरअसल ये सभी शिक्षक कांग्रेस सरकार के समय में पहाड़ों से मैदानी जिलों में अटैच किए गए थे. पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने भी ऐसे शिक्षकों को पहाड़ भेजने के आदेश दिए थे, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी इनको पहाड़ भेजने में महकमा कामयाब नहीं हो पा रहा था.

ये भी पढ़ें: CM त्रिवेंद्र और सीएम योगी के गांव से शुरू होगी चकबंदी, जीपीएस से होगा सर्वे

बहरहाल, अब जाकर मैदानों में डटे ऐसे 100 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने का आदेश जारी कर दिया गया है. लेकिन इस आदेश के जारी होते ही सवाल ये उठ रहे हैं कि जब ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 400 है तो फिर महज कुछ शिक्षकों को ही क्यों पहाड़ जाने वाले शिक्षकों की सूची में शामिल किया गया है. हालांकि, शिक्षा विभाग ये कह चुका है कि जिस भी शिक्षक को कोई आपत्ति हो वह निदेशालय में अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है.

देहरादून: राजधानी में बीते कई सालों से डेरा जमाए शिक्षकों को पहाड़ भेजने का आदेश सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है. महकमे की तरफ से कुछ शिक्षकों को पहाड़ी क्षेत्र में भेजने के आदेश तो जारी कर दिए गए, लेकिन बहुत से शिक्षक शिक्षा निदेशालय की सूची में शामिल नहीं किए गए.

शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने पर ही उठे सवाल.

उत्तराखंड में करीब 400 शिक्षक ऐसे थे जो कई सालों से मैदानी जिलों में डटे हुए थे. उनको पहाड़ भेजने की हर कोशिश नाकाम हो रही थी. दरअसल ये सभी शिक्षक कांग्रेस सरकार के समय में पहाड़ों से मैदानी जिलों में अटैच किए गए थे. पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने भी ऐसे शिक्षकों को पहाड़ भेजने के आदेश दिए थे, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी इनको पहाड़ भेजने में महकमा कामयाब नहीं हो पा रहा था.

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बहरहाल, अब जाकर मैदानों में डटे ऐसे 100 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने का आदेश जारी कर दिया गया है. लेकिन इस आदेश के जारी होते ही सवाल ये उठ रहे हैं कि जब ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 400 है तो फिर महज कुछ शिक्षकों को ही क्यों पहाड़ जाने वाले शिक्षकों की सूची में शामिल किया गया है. हालांकि, शिक्षा विभाग ये कह चुका है कि जिस भी शिक्षक को कोई आपत्ति हो वह निदेशालय में अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है.

Intro:summary- देहरादून में सालों से जमे शिक्षकों को पहाड़ भेजने के आदेश सवालों के घेरे में हैं.. सवाल यह है कि महकमे की तरफ से कुछ एक शिक्षकों को तो पहाड़ चढ़ाने के आदेश हो गए, लेकिन बहुत से शिक्षक शिक्षा निदेशालय की सूची में शामिल नहीं किए गए.. हालांकि शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने को लेकर सवाल भी गुपचुप रूप से शिक्षकों द्वारा ही उठाए जा रहे हैं...


Body:उत्तराखंड में ऐसे करीब 400 शिक्षक थे जो सालों से मैदानी जिलों में डटे हुए थे और उनको पहाड़ भेजने की हर कोशिश नाकाम हो रही थी.. दरअसल यह सभी शिक्षक कांग्रेस सरकार के समय में पहाड़ों से मैदानी जिलों में अटैच किए गए थे..और पिछले दिनों खुद शिक्षा मंत्री ने भी ऐसे शिक्षकों को पहाड़ भेजने के आदेश दिए थे लेकिन लंबा समय बीतने के बावजूद भी इनको पहाड़ भेजने में महकमा कामयाब नहीं हो पाया था... बहरहाल अब जाकर मैदानों में डटे ऐसे 100 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ भेजे जाने का आदेश जारी कर दिया गया है... लेकिन इस आदेश के जारी होते ही सवाल ये उठ रहे हैं कि जब ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 400 है तो फिर महज कुछ शिक्षकों को ही क्यों पहाड़ जाने वाले शिक्षकों की सूची में शामिल किया गया है।। खुद शिक्षा महकमे से जुड़े लोग भी गुपचुप रूप से इसी सवाल को उठा रहे हैं... हालांकि शिक्षा विभाग ये कह चुका है कि जिस भी शिक्षक को कोई आपत्ति हो वह निदेशालय में अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है। ऐसे में शिक्षा विभाग को ये जवाब देना है कि दोहरे मापदंड के आरोपों कितने सही है और कितने गलत।


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