देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान के बाद अब सभी की निगाहें दूसरे चरण में होने वाली वोटिंग पर हैं. इसी बीच चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है. लेकिन देशभर में लागू आचार संहिता की वजह से सरकार तैयारियां नहीं कर पा रही है. इसी को देखते हुए 7 मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है. साथ ही पूछा है कि किस तरह राज्य सरकार चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए खर्च कर सकती है.
दरअसल, इस साल 7 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुल रहे हैं. वहीं, 9 मई को केदारनाथ धाम और 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से लाखों की संख्या में यात्री दर्शन करने आते हैं. ऐसे में चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं के लिए राज्य सरकार के पास बस 20 दिन ही बचे हैं. इसी वजह से राज्य सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र भेजा है ताकि जल्द से जल्द चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को पूरा किया जा सके.
चारधाम की व्यवस्थाओं की बात करें तो प्रदेश के तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जहां कई फीट बर्फ जमी हुई है. इसके साथ ही चारधाम यात्रा की कई सड़कें व पैदल मार्ग अवरुद्ध हैं. चारधाम यात्रा को देखते हुए तमाम अन्य तरह की व्यवस्थाओं को भी सुनिश्चित करना होगा लेकिन आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकार कोई भी नया कार्य, विकास और बजट पास नहीं कर सकती है.
मामले में सचिव अमित नेगी ने बताया कि चारधाम यात्रा को देखते हुए निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर परामर्श मांगा गया है. उन्होंने कहा कि आयोग से इजाजत मिलने के बाद उसी अनुसार कार्य किया जाएगा. वहीं, मसूरी विधायक गणेश जोशी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य की आर्थिकी और पूरा तंत्र चारधाम यात्रा पर टिका हुआ है. हमें भरोसा है कि भारत निर्वाचन आयोग सरकार के पक्ष में निर्णय देगा, जिससे चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले के जो काम है उसे पूरा कर पाएंगे.