देहरादून: एआईसीसी के पूर्व सैनिक विभाग के चेयरमैन सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी ने पुलवामा आतंकवादी हमले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयानों को आधार बनाते हुए सरकार पर कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में संवैधानिक पद पर रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पुलवामा में घटित हुई 14 फरवरी 2019 की घटना पर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि पुलवामा हमला खुफिया नाकामी और प्रशासनिक विफलताओं का ही परिणाम था.
सुरक्षा चूक के कारण हुआ हादसा: उन्होंने कहा कि आज पूर्व सैनिक और जनता सरकार से यह जानना चाहते हैं कि वह क्या बात थी जिस पर सत्यपाल मलिक को चुप करा दिया गया था. उन्होंने कहा कि राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक ने सुरक्षा कारणों के मद्देनजर सीआरपीएफ जवानों को कश्मीर भेजने के लिए एयरक्राफ्ट की डिमांड की थी. यह डिमांड 4 से 5 माह तक मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स में पेंडिंग पड़ी रही. लेकिन जवानों को 78 गाड़ियों से रवाना किया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि सुरक्षा चूक के कारण हमारे 40 जवान शहीद हो गए.
पुलवामा हमले को बताया इंटेलिजेंस फेलियर: सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि यदि सैनिकों को ले जाने के लिए 5 एयरक्राफ्ट दे दिए जाते तो ये सैनिक आज हमारे बीच होते. लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया और हमारे वीर सैनिक शहीद हो गए. उन्होंने इसे इंटेलिजेंस फेलियर बताया और कहा कि बेहतर होता कि सरकार इन्वेस्टिगेशन करती और उसे देश की जनता के साथ साझा करती. मलिक के बयान से साफ हो गया है कि पुलवामा हमला खुफिया नाकामी और प्रशासनिक विफलताओं का ही परिणाम था.
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उन्होंने सवाल उठाया है कि सरकार को यह बताना चाहिए कि सुरक्षा चूक के लिए सीआरपीएफ के कमांडर, एनएसए, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय की क्या भूमिका तय की गई है. यह भी बताना चाहिए कि यह घटना क्यों घटी. वहीं रोहित चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी सैनिकों पर राजनीति नहीं की बल्कि भाजपा शहीदों के नाम पर वोटों की राजनीति करती आ रही है.