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मसूरी में इगास पर्व की धूम, पारंपरिक वेशभूषा में झूमे लोग - mussoorie igas festival news

मसूरी के क्यारकुली गांव में इगास पर्व धूम धाम से मनाया गया. ग्राम प्रधान कौशल्या रावत ने कहा कि लोक पर्व इगास पर लोगों का उत्साह देखने लायक था.

mussoorie igas festival celebration
धूम धाम से मनाया गया इगास पर्व.
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Published : Nov 26, 2020, 12:34 PM IST

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी के क्यारकुली गांव में इगास पर्व धूम धाम के साथ मनाया गया. हल्की बारिश के बाद भी ग्रामीणों ने उत्साह के साथ ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में जमकर नृत्य किया. ग्रामीणों ने सांसद अनिल बलूनी के द्वारा इगास पर्व मनाने की मुहिम के लिए उनका आभार व्यक्त किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार, मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, मसूरी भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष राकेश रावत, छावनी परिषद उपाध्यक्ष बादल प्रकाश और ग्रामीणों ने कहा कि इस इगास पर्व से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति, वेशभूषा और खानपान से अवगत होगी. ग्राम प्रधान कौशल्या रावत ने कहा कि लोक पर्व इगास धूम-धाम से मनाया गया.

यह भी पढ़ें-आईपीएस अफसरों को अचल संपत्ति की जानकारी ऑनलाइन देने के निर्देश

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा है. दरअसल ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है. इसलिए पर्वों की इस शृंखला को इगास-बग्वाल नाम दिया गया. मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मी जागृत होती हैं. इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी के क्यारकुली गांव में इगास पर्व धूम धाम के साथ मनाया गया. हल्की बारिश के बाद भी ग्रामीणों ने उत्साह के साथ ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में जमकर नृत्य किया. ग्रामीणों ने सांसद अनिल बलूनी के द्वारा इगास पर्व मनाने की मुहिम के लिए उनका आभार व्यक्त किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार, मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, मसूरी भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष राकेश रावत, छावनी परिषद उपाध्यक्ष बादल प्रकाश और ग्रामीणों ने कहा कि इस इगास पर्व से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति, वेशभूषा और खानपान से अवगत होगी. ग्राम प्रधान कौशल्या रावत ने कहा कि लोक पर्व इगास धूम-धाम से मनाया गया.

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उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा है. दरअसल ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है. इसलिए पर्वों की इस शृंखला को इगास-बग्वाल नाम दिया गया. मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मी जागृत होती हैं. इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है.

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