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ह्यूमन ट्रैफिकिंगः दासता के लिये बेचे जा रहे बच्चे, रसूखदारों के घरों से हो रहे बरामद

मानव तस्करी का मामला देहरादून में लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसमें समाज का एलिट या पढ़ा-लिखा तबका सबसे ज्यादा लिप्त पाया जा रहा है. माना जाता है कि छोटे बच्चे उनके कहे अनुसार ज्यादा चलते हैं और कम पैसों में काम कर लेते हैं. साथ ही इन बच्चों से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. बता दें कि मानव तस्करी समाज का एक बेहद गंभीर अपराध है.

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Published : Jul 14, 2019, 10:12 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 12:08 AM IST

ह्यूमन ट्रैफिकिंग


देहरादून: देवभूमि में बच्चों की तस्करी और बाल मजदूरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. राजधानी देहरादून में हुए कुछ खुलासों में अमीर घरों से बच्चे रेस्क्यू किये गए हैं. जहां मासूमों को भूखा-प्यासा रखकर काम करवाया जा रहा था. अबतक अधिकतर जिन बच्चों की बरामदगी हुई है, वे रसूखदार घरों से ही हुई है और बच्चे बाहरी राज्य या फिर नेपाल, बांग्लादेश के पाए गये हैं. पढ़िए अबतक सामने आए कुछ सालों के चर्चित मामले.

दासता के लिये बेचे जा रहे बच्चे

मानव तस्करी एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि मानव तस्करी इन दिनों लगातार बढ़ती जा रही है. जिसमें समाज का एलिट या पढ़ा-लिखा तबका सबसे ज्यादा लिप्त पाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि छोटे बच्चे उनके कहे अनुसार ज्यादा चलते हैं और कम पैसों में काम कर लेते हैं. साथ ही इन बच्चों से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि मानव तस्करी समाज का एक बेहद गंभीर अपराध है.

पढे़ं- एक महीने में 17 थानों में हुए 205 ई- चालान, 350 सीसीटीवी कैमरे भी दे रहे साथ

वहीं मनोवैज्ञानिक वीना कृष्णन बताती हैं कि ऊंचे ओहदे वाले लोग बच्चों को अपने स्वार्थ के कारण घरों में काम करवाने के लिए रखते हैं. उन्होंने कहा कि गरीब तबके के बच्चा हों या फिर अमीर, सबको ही मानसिक विकास के लिए उच्च कोटि की शिक्षा का अधिकार है. उन्होंने बताया कि इस समस्या को रोकने के लिए हाई प्रोफाइल लोगों की मानसिकता में बदलाव होना बेहद जरूरी है.

कुछ सालों के चर्चित मामले

  • साल 2017 में देहरादून स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के संयुक्त महाप्रबंधक के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
  • साल 2017 में टिहरी के सरकारी डॉक्टर के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में हरिद्वार की रहने वाली महिला जज के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में देहरादून के रेसकोर्स से डॉक्टर के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में देहरादून के टर्नर रोड स्थित एक प्रतिष्ठित व्यापारी के घर से 1 बच्चा बरामद किया गया था.
  • साल 2019 में देहरादून की एक महिला डॉक्टर के घर से एक बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2019 देहरादून के सीएमआई के एक डॉक्टर के घर से एक बच्चा बरामद किया गया.
  • साल 2019 देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला से एक महिला लैब टेक्नीशियन के घर से एक बच्ची बरामद की गयी.


देहरादून: देवभूमि में बच्चों की तस्करी और बाल मजदूरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. राजधानी देहरादून में हुए कुछ खुलासों में अमीर घरों से बच्चे रेस्क्यू किये गए हैं. जहां मासूमों को भूखा-प्यासा रखकर काम करवाया जा रहा था. अबतक अधिकतर जिन बच्चों की बरामदगी हुई है, वे रसूखदार घरों से ही हुई है और बच्चे बाहरी राज्य या फिर नेपाल, बांग्लादेश के पाए गये हैं. पढ़िए अबतक सामने आए कुछ सालों के चर्चित मामले.

दासता के लिये बेचे जा रहे बच्चे

मानव तस्करी एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि मानव तस्करी इन दिनों लगातार बढ़ती जा रही है. जिसमें समाज का एलिट या पढ़ा-लिखा तबका सबसे ज्यादा लिप्त पाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि छोटे बच्चे उनके कहे अनुसार ज्यादा चलते हैं और कम पैसों में काम कर लेते हैं. साथ ही इन बच्चों से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि मानव तस्करी समाज का एक बेहद गंभीर अपराध है.

पढे़ं- एक महीने में 17 थानों में हुए 205 ई- चालान, 350 सीसीटीवी कैमरे भी दे रहे साथ

वहीं मनोवैज्ञानिक वीना कृष्णन बताती हैं कि ऊंचे ओहदे वाले लोग बच्चों को अपने स्वार्थ के कारण घरों में काम करवाने के लिए रखते हैं. उन्होंने कहा कि गरीब तबके के बच्चा हों या फिर अमीर, सबको ही मानसिक विकास के लिए उच्च कोटि की शिक्षा का अधिकार है. उन्होंने बताया कि इस समस्या को रोकने के लिए हाई प्रोफाइल लोगों की मानसिकता में बदलाव होना बेहद जरूरी है.

कुछ सालों के चर्चित मामले

  • साल 2017 में देहरादून स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के संयुक्त महाप्रबंधक के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
  • साल 2017 में टिहरी के सरकारी डॉक्टर के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में हरिद्वार की रहने वाली महिला जज के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में देहरादून के रेसकोर्स से डॉक्टर के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2018 में देहरादून के टर्नर रोड स्थित एक प्रतिष्ठित व्यापारी के घर से 1 बच्चा बरामद किया गया था.
  • साल 2019 में देहरादून की एक महिला डॉक्टर के घर से एक बच्ची बरामद की गई थी.
  • साल 2019 देहरादून के सीएमआई के एक डॉक्टर के घर से एक बच्चा बरामद किया गया.
  • साल 2019 देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला से एक महिला लैब टेक्नीशियन के घर से एक बच्ची बरामद की गयी.
Intro:बच्चो की तस्करी के मामले अब देवभूमि में भी लगातार बढ़ते जा रहे है। राजधानी देहरादून में ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग के जरिए लाए गए दर्जनों बच्चो की बरामदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य भर में बच्चो की तस्करी के सैकड़ो मामले होंगे। लेकिन देहरादून में हुए कुछ खुलासों ने बड़े बड़े अमीर घरों में मानव तस्करी के जरिए पहुँचे बच्चों को घर मे काम करते हुए रेस्क्यू किये गए है। इसके साथ ही चाइल्ड लेबर का मामला थमने का नाम नही ले रहा है। आखिर क्या है वजह देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.....


Body:देहरादून के कई घरों और दुकानों में मासूमों को भूखे प्यासे रखकर कर काम कराया जाता है। गौरतलब ये है की अब तक जिन बच्चो की बरामदगी हुई है वो रसूखदार और समाज मे बड़ा ओधा रखने वालों के घर से ही हुई है। अब ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि आखिर ये हाई प्रोफाइल जो समाज मे खुद को अच्छा साबित करने के का तो दिखावा करते है लेकिन इन्ही के बड़े-बड़े घरों में कैसे खरीदकर लाए गये बच्चो से दिन रात काम कराया जाता है। जो कि बेहद ही शर्मनाक है।

वही मानव तस्करी एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि दिनों दिन मानव तस्करी बढ़ती जा रही है और इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि समाज का एलिट या पढ़ा लिखा तबका सबसे ज्यादा इस घटना में लिप्त पाए जा रहे हैं। जिसकी वजह यह है कि इन लोगों के दिमाग में एक विचित्र तरीके की मानसिकता होती है कि जो छोटे बच्चे होते हैं, वो उनके कहे अनुसार ज्यादा चलते हैं और कम पैसों में आ जाते हैं साथ ही इन बच्चों से किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन बच्चों की सबसे खतरनाक बात यह होती है कि लंबे अरसे तक घरों में काम करते चले जाते हैं। साथ ही बताया कि मानव तस्करी अधिक गंभीर अपराध है। और अभी तक उत्तराखंड में अमूमन जितने मामले सामने आए है उसमें एलीट क्लास फैमिली लिप्त पाई गई है।

बाइट - ज्ञानेंद्र सिंह, एक्टिविस्ट, मानव तस्करी


साइकेट्रिस्ट वीना कृष्णन ने बताया कि हाईली क्वालिफाइड और ऊंचे ओहदे वाले लोग बच्चों को अपने स्वार्थ के कारण अपने घरों में काम करवाने के लिए ले जाते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए गरीब तबके के बच्चा हो या फिर अमीर सबको ही मानसिक विकास उच्च कोटि की शिक्षा का अधिकार है। जबकि तस्करी किए गए बचो या फिर कम उम्र के बच्चे हो सभी नियम विरुद्ध हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसे हाई प्रोफाइल लोगो की मानसिकता में बदलाव होना बहुत ही जरूर हैं। 

बाइट - वीना कृष्णन, साइकेट्रिस्ट


..........कुछ सालों के चर्चित मामले...........

- साल 2017 में देहरादून स्तिथ ऑडिनस फैक्ट्री के संयुक्त महाप्रबंधक के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी। 

- साल 2017 में ही टिहरी के सरकारी डॉक्टर के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी।

- साल 2018 में हरिद्वार की रहने वाली महिला जज के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी।

- साल 2018 में देहरादून के रेसकोर्स से डॉक्टर के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी।

- साल 2018 में देहरादून के टर्नर रोड से एक प्रतिष्ठित व्यापारी के घर से 1 बच्चा बरामद किया गया था। 

- साल 2019 में देहरादून की एक महिला डॉक्टर की घर से एक बच्ची बरामद की गई थी। 

- बीते दिनों देहरादून के सीएमई के एक डॉक्टर के घर से एक बच्चा बरामद किया गया है।

- बीते दिन देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला से एक महिला लैब टेक्नीशियन के घर से एक बच्ची बरामद की गयी है।



Conclusion:
Last Updated : Jul 15, 2019, 12:08 AM IST
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