देहरादून: देवभूमि में बच्चों की तस्करी और बाल मजदूरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. राजधानी देहरादून में हुए कुछ खुलासों में अमीर घरों से बच्चे रेस्क्यू किये गए हैं. जहां मासूमों को भूखा-प्यासा रखकर काम करवाया जा रहा था. अबतक अधिकतर जिन बच्चों की बरामदगी हुई है, वे रसूखदार घरों से ही हुई है और बच्चे बाहरी राज्य या फिर नेपाल, बांग्लादेश के पाए गये हैं. पढ़िए अबतक सामने आए कुछ सालों के चर्चित मामले.
मानव तस्करी एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि मानव तस्करी इन दिनों लगातार बढ़ती जा रही है. जिसमें समाज का एलिट या पढ़ा-लिखा तबका सबसे ज्यादा लिप्त पाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि छोटे बच्चे उनके कहे अनुसार ज्यादा चलते हैं और कम पैसों में काम कर लेते हैं. साथ ही इन बच्चों से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि मानव तस्करी समाज का एक बेहद गंभीर अपराध है.
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वहीं मनोवैज्ञानिक वीना कृष्णन बताती हैं कि ऊंचे ओहदे वाले लोग बच्चों को अपने स्वार्थ के कारण घरों में काम करवाने के लिए रखते हैं. उन्होंने कहा कि गरीब तबके के बच्चा हों या फिर अमीर, सबको ही मानसिक विकास के लिए उच्च कोटि की शिक्षा का अधिकार है. उन्होंने बताया कि इस समस्या को रोकने के लिए हाई प्रोफाइल लोगों की मानसिकता में बदलाव होना बेहद जरूरी है.
कुछ सालों के चर्चित मामले
- साल 2017 में देहरादून स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के संयुक्त महाप्रबंधक के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
- साल 2017 में टिहरी के सरकारी डॉक्टर के घर से 2 बच्चियां बरामद की गई थी.
- साल 2018 में हरिद्वार की रहने वाली महिला जज के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
- साल 2018 में देहरादून के रेसकोर्स से डॉक्टर के घर से 1 बच्ची बरामद की गई थी.
- साल 2018 में देहरादून के टर्नर रोड स्थित एक प्रतिष्ठित व्यापारी के घर से 1 बच्चा बरामद किया गया था.
- साल 2019 में देहरादून की एक महिला डॉक्टर के घर से एक बच्ची बरामद की गई थी.
- साल 2019 देहरादून के सीएमआई के एक डॉक्टर के घर से एक बच्चा बरामद किया गया.
- साल 2019 देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला से एक महिला लैब टेक्नीशियन के घर से एक बच्ची बरामद की गयी.