देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा भर्ती मामले में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सख्त हो गया है. राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को दिल्ली तलब किया है.
उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Legislative Assembly) में मनचाही नियुक्तियों को लेकर सियासत गर्म है. इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी घेरे में आ गया है. नियुक्तियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के पदाधिकारी भी पीछे नहीं रहे. भाजपा सरकारों में आरएसएस की पैठ किस स्तर पर होती है, इसका नमूना उत्तराखंड विधानसभा में मिली नियुक्तियों के रूप में देखा जा सकता है. एक या दो नहीं बल्कि ऐसे कई नाम हैं जो संघ से जुड़े हैं और उन्हें बिना प्रतियोगी परीक्षा के विधानसभा में नौकरी दे दी गई.
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इसके अलावा बीजेपी विधायक और मंत्रियों को रिश्तेदारों की उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से नौकरियां दी गई है. उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर के भर्तियां करने का मामला विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में किया गया था, जो वर्तमान में उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है.
वहीं, दूसरी तरफ प्रेमचंद अग्रवाल के स्टाफ ने उन सभी खबरों का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि प्रेमचंद अग्रवाल को पार्टी हाईकमान की तरफ से तलब किया गया है. वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के स्टाफ की माने तो उन्हें दिल्ली से कोई बुलावा नहीं आया है. हालांकि प्रेमचंद्र अग्रवाल को 2 सितंबर को दिल्ली जाना है. लेकिन उसकी वजह मंत्री परिषद की वह बैठक है, जिसे प्रधानमंत्री लेने जा रहे हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इस बैठक में शामिल होने जा रहे हैं.