देहरादून: उत्तराखंड में हरक सिंह रावत गाहे-बगाहे भाजपा की मुश्किलें बढ़ाते रहते हैं, उनके बयानों पर पार्टी हमेशा ही पशोपेश में दिखाई देती है. इस बार उन्होंने अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के राजनीतिक भविष्य को संवारने और दूसरी तरफ जीत के लिए विकास का पैमाना नहीं होने की बात कही है. उत्तराखंड की राजनीति में अब हरक सिंह को लेकर क्या बन रहे हैं नए समीकरण. पढ़िए रिपोर्ट.
किसी भी सीट से चुनाव लड़ने का दावा: उत्तराखंड के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत भले ही भाजपा में शामिल हो गए हो, लेकिन उनकी राजनीति का स्टाइल पार्टी के लिए हमेशा ही मुश्किलें खड़ी करती रही है. इस बार बात हरक की आगामी विधानसभा सीट, उनकी पुत्रवधू को टिकट और उनके बयान को लेकर हो रही है. दरअसल उन्होंने हाल ही में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने साफ किया है कि वह सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं.
हरक के बयान से बीजेपी परेशान: उन्होंने कहा विकास कभी भी चुनाव जीतने का पैमाना नहीं होता है. यही वो बयान है, जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी अब असहज सी दिखाई दे रही है. खास बात यह है कि पार्टी ने हरक रावत के इस बयान को उनका निजी बताकर इससे किनारा कर लिया है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर कहते हैं कि हरक सिंह रावत प्रदेश के बड़े नेता हैं. वे इस बात को कह सकते हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी हमेशा विकास पर विश्वास करती है और विकास के जरिए ही जनता से समर्थन भी मांगती है.
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हरक सिंह की सीट पर सस्पेंस बरकरार: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कोटद्वार से 2017 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन लगातार चर्चाएं हैं कि वह इस बार कोटद्वार से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. हालांकि, हरक लगातार कोटद्वार सीट पर तैयारी कर रहे हैं और तमाम विकास कार्यों को भी इसी विधानसभा क्षेत्र में पूरा करने की कोशिशों में जुटे हैं.
लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद हरक सिंह रावत किसी नई विधानसभा सीट को लेकर पार्टी हाईकमान से बात कर रहे हैं. इसको लेकर चर्चाएं जोरों पर है. बताया जा रहा है कि वह केदारनाथ, रुद्रप्रयाग और पौड़ी जिले की किसी दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं.
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अनुकृति को टिकट देने को लेकर चर्चा: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं रावत फिलहाल एनजीओ चला रही हैं, लेकिन समय-समय पर उन्हें हरक के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में होने की बात भी कही जाती रही है. बताया जा रहा है कि अनुकृति गुसाईं अपने एनजीओ के जरिए ही लैंसडाउन विधानसभा सीट पर काम करती रही है. यह सीट उनके चुनाव लड़ने को लेकर मुफीद भी है.
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पुत्रवधू की राजनीतिक भविष्य की चिंता: खबर है कि हरक सिंह रावत भी भाजपा हाईकमान से इस सीट पर अनुकृति के लिए टिकट की गुजारिश कर रहे हैं. हालांकि, हरक सिंह रावत इस बात को हमेशा नकारते रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने एक नए बयान में साफ कहा कि वह भी चाहते हैं कि अनुकृति को राजनीतिक रूप से स्थापित करें.
हरक की कांग्रेस में वापसी की चर्चा: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को लेकर नए राजनीतिक समीकरणों को लेकर प्रदेश में चर्चाएं जोरों पर है. पिछले कुछ दिनों में अपनी पार्टी के प्रति तल्खी और हरीश रावत के गुणगान को लेकर उनका कांग्रेस में शामिल होने की खबरें सुर्खियां बन रही है. कई बार हरक सिंह रावत के कांग्रेस में वापसी को लेकर चर्चाएं रही हैं. इसको लेकर कांग्रेस हाईकमान से बातचीत होने की बात भी कही रही है. यदि वह कांग्रेस में शामिल होते हैं तो प्रदेश में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं.
हरक को मनाने में जुटी बीजेपी: हरक सिंह रावत गढ़वाल के बड़े ठाकुर नेता हैं. उनके दलबदल की स्थिति में राजनीतिक समीकरणों में काफी बदलाव भी हो सकता है. शायद यही कारण है कि भाजपा भी हरक सिंह रावत को बार-बार मनाती रही है. उनके तमाम बयानों के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक हरक सिंह रावत को तवज्जो देते रहे हैं.