देहरादूनः उत्तराखंड का रिकॉर्ड रक्तदान के लिहाज से हमेशा बेहतर रहा है. जागरूक रक्तदाताओं ने सूबे में कभी भी खून की कमी नहीं होने दी है, लेकिन इस बार कोरोना काल ने रक्तदाताओं के इस शानदार रिकॉर्ड को ब्रेक लगा दिया है. हालत ये है कि प्रदेश के ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहे हैं.
उत्तराखंड के ब्लड बैंक कभी खून के लिए नहीं तरसे थे. राज्य के रक्तदाताओं ने समय-समय पर रक्तदान अभियान के जरिए ब्लड बैंकों को जरूरत से ज्यादा रक्त दिया है. आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में हर साल औसतन 80 हजार यूनिट की आवश्यकता होती है. जबकि प्रदेश के जागरूक डोनर की वजह से ब्लड बैंक एक लाख यूनिट तक खून जमा कर लेते थे.
ये भी पढ़ेंः रानीखेत: राजकीय चिकित्सालय में हुआ रक्तदान शिविर का आयोजन, लोगों ने बढ़-चढ़ कर लिया भाग
साफ है कि राज्य में सरप्लस रक्तदान का रिकॉर्ड कभी भी प्रदेश में लोगों को खून की कमी का एहसास नहीं होने देता है. बल्कि, दूसरे प्रदेशों के लोगों को भी उत्तराखंड के रक्तदाताओं की जागरूकता का फायदा मिलता है. राष्ट्रीय स्तर पर ब्लड बैंकों में खून की कमी हमेशा एक चिंता का विषय रही है. लेकिन यह पहला मौका है, जब उत्तराखंड में भी रक्तदाता ब्लड बैंकों में रक्तदान के लिए रुख नहीं कर रहे हैं.
दरअसल, कोरोना महामारी के बीच रक्तदाता ब्लड बैंक नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिससे अब ब्लड बैंक में खून की कमी होने लगी है. हालांकि, राज्य स्तर पर खून की मांग को लेकर भी आवश्यकता में कमी देखी गई है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में कुल 43 ब्लड बैंक हैं. जिसमें 25 सरकारी और 18 गैर सरकारी ब्लड बैंक हैं.
ये भी पढ़ेंः ओपन एयर सैनिटाइजर कितना घातक, जानिए एक्सपर्ट की राय
बीते 3 महीने रक्तदान के लिहाज से बेहद खराब रहे हैं. इन 3 महीनों में रक्तदाताओं ने रक्तदान को लेकर कम रुचि दिखाई. इसकी एक वजह लॉकडाउन रहा तो दूसरा कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा. जो रक्तदाताओं को ब्लड बैंक जाने से रोकता रहा.
यूं तो राज्य में खून की डिमांड भी कम हुई है और दुर्घटनाओं में आई कमी ने इस पर असर डाला है, लेकिन कुछ खास बीमारियों और गर्भवती महिलाओं के लिए खून की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ब्लड बैंकों में खून की कमी चिंता का विषय है.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कैसे कोरोना की दस्तक के साथ ही प्रदेश में लगने वाले ब्लड कैंप की संख्या में भी भारी कमी आई है. जनवरी महीने में जहां 34 कैंप लगाए गए थे तो फरवरी में इसकी संख्या बढ़कर 54 हो गई थी, लेकिन मार्च महीने में यह संख्या 27 तक सिमट गई. उधर, अप्रैल और मई महीने में भी ब्लड कैंप आयोजित करने की संख्या में कुछ खास इजाफा नहीं हो सका है. जिसकी वजह से ब्लड बैंकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.