देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन के लिहाज से देश-दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. चार धाम के अलावा यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. वहीं, प्रदेश की राजनीति में भी यह धार्मिक स्थलों वाली विधानसभा सीटें भी काफी मायने रखती हैं ताकि राजनीतिक दल अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा सकें. ऐसे में इन अधिकांश विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है.
दरअसल, हर विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति ही चरम पर रहती है. ऐसे में राजनीतिक दल हिंदुत्व के मुद्दे पर वोटरों की गोलबंदी में जुटे रहते हैं. यही कारण है कि साल 2014 के चुनाव में राम मंदिर और हिंदुत्व का एजेंडा सबसे बड़ा फैक्टर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व के नाम पर लड़े गए इस चुनाव में न केवल बीजेपी ने 2014 के आम चुनावों में केंद्र में सरकार बनाई बल्कि अन्य राज्यों पर भी इसका असर देखा गया. फिर चाहे उत्तर प्रदेश हो, हरियाणा हो या उत्तराखंड. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव उत्तराखंड में बीजेपी ने अधिकांश धार्मिक सीटों पर जीत का परचम लहराया है.
गढ़वाल मंडल में स्थित चारधाम (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री), ऋषिकेश और हरिद्वार विधानसभा सीटें इनमें प्रमुख हैं. ऐसे में इस चुनाव में बीजेपी ने केदारनाथ सीट पर कब्जा कर लिया है. 2017 के चुनावों में बीजेपी को केदारनाथ विधानसभा सीट से बड़ा झटका लगा था. वहीं, गंगोत्री, ऋषिकेश और हरिद्वार विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. जबकि, यमुनोत्री विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल विजयी रहे हैं. वहीं, बदरीनाथ विधानसभा सीट इस बार कांग्रेस के खाते में गई है. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह भंडारी ने जीत हासिल की है.
1. केदारनाथ सीट पर बीजेपी का कब्जा: इस विधानसभा चुनाव में केदारनाथ विधानसभा सीट पर बीजेपी की प्रत्याशी शैला रानी रावत ने जीत हासिल की है. केदारनाथ विधानसभा सीट रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत आती है. केदारनाथ सीट पर बीते चार विधानसभा चुनावों में दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2002 और 2007 में बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल यहां से विधायक चुनी गई थीं.
वहीं, साल 2012 में कांग्रेस की शैला रानी रावत यहां से विधायक बनीं. जबकि, 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने यहां से जीत हासिल की और अपने निकटतम निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप सिंह रावत को 869 वोटों के मार्जिन से हराया था. 2017 के चुनाव में केदारनाथ में कुल 65.25 प्रतिशत वोट पड़े थे. वहीं, इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने सीटिंग विधायक मनोज रावत को मैदान में उतारा था. जबकि, बीजेपी के टिकट इस बार शैला रानी रावत ने चुनाव लड़ा और इस सीट पर जीत हासिल की.
केदारनाथ विधानसभा सीट बीजेपी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान केदारनाथ के धाम में जब-जब आए हैं तब-तब उन्होंने केदारधाम से ही देश को धर्म और आस्था का महत्व बताया है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ से भाषण देकर हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश करते रहे हैं. बीजेपी लगातार ये बात कहती रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से केंद्र में आए हैं तब से केदारनाथ के लिए हजारों करोड़ रुपए की परियोजना के साथ-साथ पुनर्निर्माण का काम तेजी से हुआ है.
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इन चुनावों में बीजेपी सरकार ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कामों के साथ-साथ केदारनाथ में शंकराचार्य जी की मूर्ति की स्थापना को भी खूब भुनाने की कोशिश की है. हालांकि, कांग्रेस लगातार बीजेपी के इस दावें पर हमला बोलती रही है. पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार कहते रहे हैं कि उनके कार्यकाल में ही केदारनाथ पुनर्निर्माण का काम शुरू हुआ था. बीजेपी मात्र यहां आकर अपने नाम के काले पत्थर लगा रही है. यही कारण है कि साल 2017 में केदारनाथ विधानसभा सीट की जनता ने बीजेपी नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मनोज रावत को जिताया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ का जिक्र न केवल केदारनाथ में आकर बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी जाकर भी कर चुके हैं. इन चुनावों में केदारनाथ सीट कितनी महत्वपूर्ण थी इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे तमाम बड़े नेता रुद्रप्रयाग और केदारघाटी में घूमते हुए दिखाई दिए थे. आपको बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से केदारनाथ में अब तक 710 करोड़ रुपए के पुनर्निमाण कार्य पूरे हो रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी सरकार केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक जाने वाली ऑल वेदर रोड को भी चुनावों में खूब भुनाने का काम कर चुकी है.
2. बदरीनाथ सीट से बीजेपी ने लहराया परचम: उत्तराखंड के इस विधानसभा चुनाव में बदरीनाथ विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और सीटिंग विधायक महेंद्र भट्ट को हार का सामना करना पड़ा है. यहां कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी ने जीत हासिल की है. बदरीनाथ विधानसभा सीट का नाम भगवान बदरी के नाम पर पड़ा है. यहां भगवान बदरीनाथ का पौराणिक मंदिर है, जो चारधामों में से एक है. बदरीनाथ सीट पर बीते चार विधानसभा चुनावों में बारी बारी से कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा रहा. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार इस सीट पर जीत हासिल की है.
2002 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के अनुसूया प्रसाद मैखुरी ने जीत दर्ज की थी. तो 2007 के चुनाव में बीजेपी के केदार सिंह फोनिया यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे. वहीं, साल 2012 में कांग्रेस की राजेंद्र सिंह भंडारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की. जबकि, 2017 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के महेंद्र भट्ट ने अपना परचम लहराया और कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी को इस सीट पर शिकस्त दी थी. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भंडारी ने सीटिंग विधायक और प्रत्याशी महेंद्र भट्ट को हराया है. ऐसे में इस बार बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है.
3. सरकार बनाने वाली गंगोत्री सीट पर भी बीजेपी की जीत: गंगोत्री उत्तराखंड के चार धामों में एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है. जो उत्तरकाशी जिले के अंतर्गत आता है. राज्य गठन के बाद से ही गंगोत्री विधानसभा सीट से एक मिथक जुड़ा है. इस सीट से जिस भी दल का प्रत्याशी चुनकर आता है, राज्य में उसी दल की सरकार बनती है. यह मिथक अभी तक बरकरार है और इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश चौहान ने जीत हासिल की है. साथ ही इस बार बीजेपी उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
इस सीट के इतिहास की बात करें तो साल 2002 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के विजय पाल सजवाण ने जीत हासिल की थी. वहीं, 2007 में बीजेपी के गोपाल सिंह रावत इस सीट से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. वहीं, 2012 के चुनाव में यहां से फिर कांग्रेस से विजयपाल सजवाण ने जीत हासिल की और गोपाल सिंह रावत को हराया.
जबकि, 2017 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी के गोपाल सिंह रावत ने इस सीट पर परचम लहराया और विजयपाल सिंह सजवाण को शिकस्त दी. पिछले चुनाव में यहां मत प्रतिशत 67.53 रहा था. वहीं, गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद इस बार बीजेपी ने इस सीट से सुरेश चौहान पर दांव खेला और उनके खिलाफ कांग्रेस के फिर विजयपाल सजवाण मैदान में थे. वहीं, आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल भी इस बार गंगोत्री सीट से ही चुनाव लड़ रहे थे. ऐसे में गंगोत्री की जनता से इस बार सभी प्रत्याशियों को दरकिनार कर बीजेपी के सुरेश चौहान को अपने वोटों से नवाजा है.
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4. यमुनोत्री सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल विजयी: इस बार यमुनोत्री विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल ने जीत हासिल की है. साल 2017 में डोभाल इसी सीट से कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े थे और बीजेपी के सीटिंग विधायक केदार सिंह रावत से बेहद कम मार्जिन से हारे थे. ऐसे में इस बार कांग्रेस से टिकट ना मिलने वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की.
यमुनोत्री विधानसभा सीट की बात करें तो साल 2002 के चुनाव में यहां से उत्तराखंड के क्षेत्रीय दल यूकेडी के प्रत्याशी प्रीतम सिंह पंवार ने जीत हासिल की थी. वहीं, साल 2007 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी केदार सिंह रावत विधानसभा पहुंचे. वहीं, साल 2012 में इस सीट पर दोबारा यूकेडी के प्रत्याशी प्रीतम सिंह पंवार ने जीत हासिल की. साल 2017 के चुनाव में केदार सिंह रावत ने बीजेपी के टिकट से इस सीट पर जीत हासिल और कांग्रेस प्रत्याशी संजय डोभाल को हराया था. वहीं, इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संजय डोभाल विजयी रहे.
5. हरिद्वार विधानसभा से फिर 'अजेय' मदन कौशिक: इस विधानसभा चुनाव में भी मदन कौशिक ने इतिहास दोहराया है और हरिद्वार विधानसभा सीट से प्रचंड वोटों से जीत हासिल की है. धर्म नगरी हरिद्वार के नाम से पहचान रखने वाली हरिद्वार विधानसभा में बीजेपी का कब्जा बरकरार है. इसका मुख्य कारण है हरिद्वार में सबसे अधिक हिंदू वोटरों का होना है. मदन कौशिक जो अभी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं वो लगातार साल 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 के चुनाव में यहां जीतते आ रहे हैं. इस चुनाव में कौशिक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सतपाल ब्रह्मचारी को एक बड़े मार्जिन से हराया है.
बीजेपी के लिए यह सीट कितनी महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हों या गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने ही हरिद्वार की सड़कों पर घूम-घूमकर वोट मांगें थे, क्योंकि बीजेपी जानती है कि हरिद्वार विधानसभा सीट से हिंदुत्व और धर्म का अच्छा संदेश पूरे देशभर में जा सकता है. यही कारण है कि इन चुनावों में योगी आदित्यनाथ को भी हरिद्वार लाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन समय कम होने के चलते उन्हें नहीं लाया जा सका.
हरिद्वार में हर 12 साल में महाकुंभ और हर 6 साल में अर्धकुंभ लगता है. इसके साथ ही आए दिन होने वाले तमाम मेलों के लिए भी राज्य सरकार और केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपए बीच-बीच में जारी करती रहती है. केंद्र सरकार ने इस बार भी महाकुंभ के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट जारी किया था. जिसको बाद में कुंभ की अवधि कम होने की वजह से कम कर दिया गया था. लिहाजा, हरिद्वार सीट पर भी बीजेपी अपनी पूरी नजर और ताकत बनाए रखती है.
6. योग कैपिटल में बीजेपी ने हासिल की जीत: ऋषिकेश विधानसभा सीट से एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी प्रेमचंद अग्रवाल ने जीत हासिल की है. राज्य गठन के बाद पहले आम चुनाव यानि साल 2002 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी शूरवीर सिंह सजवाण ने यहां से जीत हासिल की थी. जिसके बाद 2007, 2012, 2017 और इस चुनाव में यहां से लगातार बीजेपी के प्रेमचंद अग्रवाल जीतते आ रहे हैं.
योग कैपिटल के रूप में देश दुनिया में ऋषिकेश शहर अपनी विशेष पहचान रखता है. धार्मिक पर्यटन के लिहाज से भी यह शहर काफी महत्वपूर्ण है. ऋषिकेश वो शहर है जहां पर गंगा का पहली बार मैदानी इलाके में प्रवेश होता है. साधु संतों की नगरी ऋषिकेश उत्तराखंड की राजनीति में बहुत महत्व रखती है. ऋषिकेश उत्तराखंड का एकमात्र ऐसा धार्मिक स्थल और विधानसभा सीट है जो तीन जिलों (हरिद्वार, पौड़ी और टिहरी गढ़वाल जिले) से लगती है. ऐसे में यहां होने वाला विकास सीधे-सीधे इन तीन जिलों को भी प्रभावित करता है.
ऋषिकेश सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी और अपनी धमक दिखाने के लिए बीजेपी लगातार ऋषिकेश एम्स और हरिद्वार-ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण जनता के बीच में रखती रही है. ऋषिकेश में एम्स स्थापित करने का श्रेय बीजेपी केंद्र की अटल बिहारी सरकार को देती रही है. पीएम मोदी अपने भाषणों में तीर्थनगरी में एक वर्ल्ड क्लास हेल्थ सेंटर बनाने की बात कहते आए हैं. यही एक वजह भी रही कि 2022 चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी खुद ऋषिकेश एम्स पहुंचे थे और यहीं से देशभर के 35 ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ किया था. लिहाजा, इस सीट से प्रेमचंद अग्रवाल को ऋषिकेश की जनता ने दोबारा विधानसभा भेजा है.
कुल मिलाकर देखा जाए तो इन 6 प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में यमुनोत्री और बदरीनाथ सीट को छोड़ दिया जाए तो बाकी 4 सीटों पर इस चुनाव में बीजेपी ने कब्जा कर लिया है. खास बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में केदारनाथ सीट न जीतने का बीजेपी को मलाल रहा था लेकिन यहां से बीजेपी प्रत्याशी शैला रानी रावत ने यहां से जीत हासिल की है. बाबा केदार का धाम हिंदुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. ऐसे में इन चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की है. हालांकि, बदरीनाथ सीट इस बार बीजेपी को गंवानी पड़ी है.