देहरादून: उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का मुख्य चेहरा कहे जाने वाले कर्नल अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) ने पार्टी को अलविदा कहकर मंगलवार को बीजेपी का दामन थाम लिया. अचानक हुए आम आदमी पार्टी में इस बदलाव से जहां आम आदमी पार्टी को तो झटका लगा ही है. वहां बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी को कैसे उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल में भी फायदा होने जा रहा है, इसको जानना भी बेहद जरूरी है.
पार्टी छोड़ने की मुख्य वजह: आखिरकार चुनाव हारने और परिणाम आने के दो महीने बाद ऐसा क्या हो गया कि आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा कर्नल अजय कोठियाल को अचानक बीजेपी का दामन थामना पड़ा. इसके पीछे की वजह कोई आजकल की नहीं है. दरअसल, आम आदमी पार्टी और कर्नल अजय कोठियाल के बीच दूरियां उसी दिन से शुरू हो गई थी, जिस दिन से राज्य में चुनाव के परिणाम आए थे.
चुनाव परिणाम आने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में हुई हार की समीक्षा बैठक हो या उत्तराखंड में कार्यकारिणी भंग करने जैसे फैसले में अजय कोठियाल को शामिल नहीं किया गया था. कहा तो यहां तक जा रहा है कि जब उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के हार हुई तो अचानक से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बैठकर ही उत्तराखंड में अध्यक्ष पद को हटाकर नया चेहरा लाने की भी घोषणा कर दी.
इसके साथ ही हार के बाद जब दिल्ली में समीक्षा बैठक हुई तो उसने भी कर्नल अजय कोठियाल को शामिल नहीं किया गया. लगातार तभी से कर्नल अजय कोठियाल पार्टी के कार्यक्रमों से अलग-थलग नजर आए. बीते दिनों देहरादून में जब पार्टी के नए अध्यक्ष पदभार ग्रहण कर रहे थे. तब भी कर्नल अजय कोठियाल को वहां नहीं देखा गया. तभी से यह लगने लगा था कि कर्नल अजय कोठियाल पार्टी से नाराज चल रहे हैं.
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कर्नल अजय कोठियाल चुनाव के समय में या तो हरिद्वार में, अरविंद केजरीवाल के साथ नजर आए या फिर अपनी विधानसभा उत्तरकाशी से वह बाहर ही नहीं निकले. विधानसभा चुनाव में खड़े प्रत्याशी पार्टी के बड़े नेताओं से यही शिकायत करते नजर आए कि कर्नल अजय कोठियाल अपनी विधानसभा तक ही सीमित है. सबसे पहली आवाज प्रताप नगर के प्रत्याशी रहे सागर भंडारी ने उठाई. भंडारी ने सार्वजनिक तौर पर कर्नल अजय कोठियाल पर ये आरोप लगाया था कि वह लगातार बुलाने के बाद भी उनकी और उनके आसपास की विधानसभाओं में रैली करने नहीं आए.
कर्नल कोठियाल को अभी बहुत कुछ सीखना बाकी: इतना ही नहीं, कहा तो यह भी जा रहा है कि चुनावों में लगातार कर्नल अजय कोठियाल दिल्ली में बैठे पार्टी के बड़े नेताओं को उत्तराखंड की अलग-अलग विधानसभाओं में बुला रहे थे. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हरिद्वार के पांच सितारा होटल से मीडिया के माध्यम से प्रचार करते रहे, जबकि जमीन पर प्रचार करने की किसी ने हिम्मत नहीं की. उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा.
ऐसे में यह चर्चाएं तेजी से होने लगीं थी कि चुनावों के बाद गायब चल रहे अरविंद केजरीवाल के उत्तराखंड में मुख्य सिपाही रहे कर्नल अजय कोठियाल कहीं अपनी कोई दूसरी पार्टी या संगठन तो नहीं तैयार कर रहे हैं. लेकिन एकाएक उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद यह साफ हो गया कि न केवल कि केजरीवाल ने उनको खास तवज्जो नहीं दी. यही कारण है कि बीजेपी ने कर्नल कोठियाल को न सिर्फ महत्वपूर्ण स्थान दिया है. बल्कि आने वाले समय में उन्हें जिम्मेदारी भी दी जा सकती है.
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बीजेपी के लिए सैनिकों को रिझाएंगे कर्नल अजय कोटियाल: हाल ही में चंपावत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए उपचुनाव होना है. चंपावत और आसपास के क्षेत्रों में पूर्व सैनिक वोट भी काफी ज्यादा हैं, ऐसे में कर्नल कठियाल बीजेपी के लिए सैनिक वोटर्स को बीजेपी रिझाने का काम करेंगे. साथ ही अगले साल 2023 में हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कर्नल अजय कोठियाल आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं. क्योंकि कर्नल कोठियाल अरविंद केजरीवाल की रीति-नीति और उत्तराखंड में लड़े गए चुनाव के हर तरीके से वाकिफ हैं.
ऐसे में बीजेपी उन्हें हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में उतार कर ना केवल आम आदमी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश करेगी. बल्कि 1 लाख 22 हजार पूर्व सैनिक और लगभग 35 हजार सैनिक विधवाओं को भी कर्नल अजय कोठियाल आम आदमी पार्टी की हकीकत बताने का काम करेंगे. इसके साथ ही मौजूदा सैनिकों के परिवार से भी बीजेपी कर्नल कोठियाल को सीधे संपर्क करने के लिए कहेगी, यानी कर्नल अजय कोठियाल के साथ शामिल हुए पूर्व सैनिकों और लगभग 700 कार्यकर्ताओं को हिमाचल प्रदेश में प्रचार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बीजेपी दे सकती है.
किसी के जाने से नहीं पड़ेगा पार्टी को फर्क: कर्नल अजय कोठियाल के बीजेपी में शामिल होने पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश शर्मा का कहना है कि बीजेपी डरा धमका कर आम आदमी पार्टी के नेताओं को बीजेपी में शामिल कर रही है. यह राजनीति के लिहाज से बिल्कुल भी सही नहीं है. कर्नल अजय कोठियाल एक अच्छे इंसान हैं और बीजेपी उनकी विचारधारा की पार्टी बिल्कुल नहीं है. क्या मजबूरियां रहीं कर्नल अजय कोठियाल की? यह तो सिर्फ वही जानते हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी इन सब बातों से किसी के आने और जाने से रुकने वाली नहीं है. साल 2027 में सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का होगा.
कर्नल कोठियाल ने जल्दी कर दी: कर्नल अजय कोठियाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद राजनीतिक विशेषज्ञ भागीरथ शर्मा कहते हैं कि आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में इतना कोई खास अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. खास बात यह है कि अगर मुख्यमंत्री पद का चेहरा ही अपनी जमानत जब्त करवा ले तो उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है. आम आदमी पार्टी जिस तरह से दिल्ली और पंजाब में सत्ता पर कायम हुई है, तो लगता नहीं है कि कर्नल अजय कोठियाल के जाने से आम आदमी पार्टी को कोई फर्क पड़ेगा.
हां इतना जरूर है कि आम आदमी पार्टी के बारे में वह सब कुछ जानते हैं, जिस तरह से आम आदमी पार्टी अन्य राज्यों में उभर रही है. तो कोठियाल को बीजेपी उन सभी राज्यों में भेज कर आम आदमी पार्टी की हकीकत बताने का काम करेगी. कर्नल अजय कोठियाल की बॉडी लैंग्वेज और भाषा शैली अभी राजनेताओं वाली नहीं है. ऐसे में अभी उन्हें राजनीति में बने रहने के लिए बहुत कुछ सीखना होगा. उनका पाला बदलना उनकी राजनीति के लिए फिलहाल सही नहीं माना जा सकता. क्योंकि किसी पार्टी ने पहली कर्नल को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया, ऐसे में जिम्मेदारी भी कोठियाल की भी हो जाती है.