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देवस्थानम बोर्ड: सुब्रमण्यम स्वामी ने SC में दायर की SLP, कांग्रेस को मिला मौका

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर कर दी है. इससे कांग्रेस को सरकार पर हमलवार होने का फिर मौका मिल गया है.

देहरादून
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की एसएलपी
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Published : Sep 21, 2020, 8:01 AM IST

देहरादून: चारधाम समेत 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर बनाए गए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि, जुलाई 2020 में नैनीताल हाईकोर्ट ने 51 मंदिरों को संभालने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा पारित देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को वैध करार दिया था और सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी. लिहाजा बीते दिन सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर कर दी है.

स्वामी की एसएलपी से कांग्रेस को फिर मिला मौका.

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गयी SLP में स्वामी ने दावा किया है कि राज्य द्वारा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के माध्यम से मंदिर अधिग्रहण असंवैधानिक था. यह तर्क उन्होंने उच्च न्यायालय में भी रखा था. साथ ही स्वामी ने एसएलपी में दावा किया है कि अधिनियम के माध्यम से मंदिर अधिग्रहण ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31 ए (1) (बी), अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन किया है. हालांकि, सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किए जाने के बाद अब कांग्रेस भी राज्य सरकार पर तंज कसने लगी हैं.

उत्तराखंड चारधाम
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की एसएलपी

ये भी पढ़ें: अबतक 30 हजार श्रद्धालुओं ने किये चारधामों के दर्शन, 51,453 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में सबसे बड़ी कमी यही है कि जो चारधाम के हक-हकूकधारी और तीर्थ पुरोहित हैं, उनके अधिकारों को संरक्षित नहीं किया गया है. यही नहीं, आदि गुरु शंकराचार्य ने जो धार्मिक नियम स्थापित किए गए थे उसी परंपरा के तहत चलना चाहिए. लिहाजा, जो चारधाम की परंपरा है उन परंपराओं से वहां के हक हकूकधारी और तीर्थ पुरोहित सदियों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में जिन्हें भी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड से आपत्ति है उनकी बात राज्य सरकार को सुननी चाहिए. हालांकि, अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है. लिहाजा राज्य सरकार को झटका लगना लाजमी है.

वहीं, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी भाजपा के वरिष्ठ नेता है. हालांकि, चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर उन्होंने जो हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, उसे खारिज कर दिया गया था. अब वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं, लेकिन इससे राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. क्योंकि कानूनी रूप से उन्हें इस बात का पूरा अधिकार है. ऐसे में सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी और सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगी, उसे राज्य सरकार स्वीकार करेगी.

क्या है एसएलपी ?

स्पेशल अवकाश याचिका न्यायपालिका में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें आप उच्च कोर्ट में जा सकते हैं. आमतौर पर ये सुप्रीम कोर्ट में तब दाखिल की जाती है, जब कोई मामला बेहद महत्व का होने के साथ त्वरित कार्रवाई का होता है. निचली कोर्ट यानी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ इसे दायर किया जाता है.

स्वामी द्वारा दायर एसएलपी पर क्या होगा ?

सुब्रमण्यम स्वामी ने जो एसएलपी दायर की है सुप्रीम कोर्ट पहले उसका परीक्षण करेगी. जब उन्हें लगेगा कि इस केस में फैसला देने की गुंजाइश है तो वो इसे याचिका के रूप में स्वीकार कर लेगी. इसके बाद उस पर बहस और सुनवाई होने लगेगी.

देहरादून: चारधाम समेत 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर बनाए गए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि, जुलाई 2020 में नैनीताल हाईकोर्ट ने 51 मंदिरों को संभालने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा पारित देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को वैध करार दिया था और सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी. लिहाजा बीते दिन सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर कर दी है.

स्वामी की एसएलपी से कांग्रेस को फिर मिला मौका.

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गयी SLP में स्वामी ने दावा किया है कि राज्य द्वारा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के माध्यम से मंदिर अधिग्रहण असंवैधानिक था. यह तर्क उन्होंने उच्च न्यायालय में भी रखा था. साथ ही स्वामी ने एसएलपी में दावा किया है कि अधिनियम के माध्यम से मंदिर अधिग्रहण ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31 ए (1) (बी), अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन किया है. हालांकि, सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किए जाने के बाद अब कांग्रेस भी राज्य सरकार पर तंज कसने लगी हैं.

उत्तराखंड चारधाम
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की एसएलपी

ये भी पढ़ें: अबतक 30 हजार श्रद्धालुओं ने किये चारधामों के दर्शन, 51,453 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में सबसे बड़ी कमी यही है कि जो चारधाम के हक-हकूकधारी और तीर्थ पुरोहित हैं, उनके अधिकारों को संरक्षित नहीं किया गया है. यही नहीं, आदि गुरु शंकराचार्य ने जो धार्मिक नियम स्थापित किए गए थे उसी परंपरा के तहत चलना चाहिए. लिहाजा, जो चारधाम की परंपरा है उन परंपराओं से वहां के हक हकूकधारी और तीर्थ पुरोहित सदियों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में जिन्हें भी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड से आपत्ति है उनकी बात राज्य सरकार को सुननी चाहिए. हालांकि, अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है. लिहाजा राज्य सरकार को झटका लगना लाजमी है.

वहीं, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी भाजपा के वरिष्ठ नेता है. हालांकि, चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर उन्होंने जो हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, उसे खारिज कर दिया गया था. अब वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं, लेकिन इससे राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. क्योंकि कानूनी रूप से उन्हें इस बात का पूरा अधिकार है. ऐसे में सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी और सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगी, उसे राज्य सरकार स्वीकार करेगी.

क्या है एसएलपी ?

स्पेशल अवकाश याचिका न्यायपालिका में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें आप उच्च कोर्ट में जा सकते हैं. आमतौर पर ये सुप्रीम कोर्ट में तब दाखिल की जाती है, जब कोई मामला बेहद महत्व का होने के साथ त्वरित कार्रवाई का होता है. निचली कोर्ट यानी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ इसे दायर किया जाता है.

स्वामी द्वारा दायर एसएलपी पर क्या होगा ?

सुब्रमण्यम स्वामी ने जो एसएलपी दायर की है सुप्रीम कोर्ट पहले उसका परीक्षण करेगी. जब उन्हें लगेगा कि इस केस में फैसला देने की गुंजाइश है तो वो इसे याचिका के रूप में स्वीकार कर लेगी. इसके बाद उस पर बहस और सुनवाई होने लगेगी.

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