देहरादून: भारतीय जनता पार्टी का कोई भी कदम बेवजह नहीं होता. फिलहाल चर्चा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दलबदल करने वाले नेताओं को तवज्जो देने की है. खासतौर पर उत्तराखंड के दो नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकरिणी में शामिल करना सोची समझी राजनीति के तहत माना जा रहा है. जिसमें सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा का नाम शामिल है. ये दोनों ही नेता कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुये थे. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले बागियों को जिम्मेदारी देना एक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. आखिर बीजेपी का बागियों पर रहम को लेकर क्या राजनीतिक एजेंडा है, आइये जानते हैं.
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राज्यों के दलबदल करने वाले नेताओं को भी जगह मिली है. उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड से विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज को इसमें शामिल किया गया है. ये दोनों ही नेता कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे. प्रदेश में दलबदलूओं पर मेहरबानी का यह एक अकेला उदाहरण नहीं है, बल्कि राज्य में तो भाजपा मंत्रिमंडल के आधे सदस्य दलबदलू ही हैं. जाहिर है कि कुछ खास मकसद के साथ भाजपा उन सभी राजनीतिक संदेशों को आगे बढ़ा रही है, जो आगामी चुनाव में पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. सबसे पहले जानिए भाजपा ने उत्तराखंड में दलबदलुओं को कैसे फील गुड कराया है.
बागियों को कैसे कराया फुल गुड
- भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज को दी गई जगह.
- विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज दोनों ही कांग्रेस से आए गुटों को दी गई तवज्जो
- कैबिनेट में विजय बहुगुणा के खेमे से सुबोध उनियाल को दी गयी जगह.
- सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत समेत कुल 5 बागियों को बनाया गया मंत्री.
- नाराजगी के दौरान खुद अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करते रहे हैं बागियों से बात.
- बागियों को फील गुड कराने में कोई कमी नहीं छोड़ती बीजेपी.
भाजपा इस मामले में स्पष्ट बयान देते हुए कहती है कि पार्टी ने कभी भी दलबदल करने वालों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया. हां इतना जरूर है कि पार्टी पर विश्वास करने वाले नेताओं को सभी सदस्यों की तरह पार्टी में जगह दी जाती है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस में सर फुटव्वल है. भाजपा को किसी भी विरोधी दल के नेता को तोड़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भाजपा पहले ही दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है.
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उत्तराखंड कांग्रेस भी मानती है कि भाजपा विरोधी दलों के नेताओं को उकसाने का काम कर रही है ताकि विरोधी दल के नेता भाजपा में शामिल हो. यह बात सही है कि जो भी नेता भाजपा में शामिल होता है उसकी भाजपा में कोई कदर नहीं होती. बस चुनाव से पहले एक बार फिर ऐसे नेताओं को तरजीह देकर भाजपा विरोधियों को तोड़ना चाहती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि कांग्रेस से कोई भी पार्टी नहीं छोड़ने वाला है. भाजपा के प्रयास बेकार साबित होंगे.
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राजनीतिक जानकार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि भारतीय जनता पार्टी राजनीति में अपने विशेष और बेहद खास तरह के तरीकों का इस्तेमाल कर संगठन को मजबूत कर विरोधियों को पस्त करती है. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि चुनाव नजदीक हैं लिहाजा भारतीय जनता पार्टी विरोधी दलों को कुछ अनुभव कराना चाहती है और संदेश देना चाहती है कि भाजपा में दूसरे दलों से आने वाले नेताओं का पूरा सम्मान मिलता है. यही संदेश दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को भाजपा में जाने के लिए प्रेरित करता है.