देहरादून: भर्तियों को निरस्त करने में राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य सरकार दोहरे मापदंड अपना कर मनमानी करने मे लगी हुई है. सितंबर 2016 में यूपीसीएल और पिटकुल के लिए हुई भर्ती परीक्षा को शासन ने संदेह के आधार पर रद्द कर दिया था. जबकि, वन आरक्षी भर्ती परीक्षा मे हुई अनियमितताओं के सभी प्रमाण होने के बावजूद इस परीक्षा को निरस्त नहीं किया जा रहा है. ये कहना है बीजेपी नेता रविंद्र जुगरान का.
रविंद्र जुगरान ने बताया कि सितंबर 2016 में यूपीसीएल और पिटकुल में 250 इलेक्ट्रिकल अवर अभियंताओं के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी. जिसका परीक्षा परिणाम 2018 मे आया था, लेकिन एक संस्थान से पढ़े व्यक्तियों की बड़ी संख्या में सेलेक्ट होने के बाद आयोग ने संदेह के आधार पर जिलाधिकारी हरिद्वार से मामले की जांच करायी थी. डीएम हरिद्वार की जांच में कोई ठोस प्रमाण और आधार न होते हुए भी अपनी रिपोर्ट में संदेह को आधार मानते हुए आयोग ने जांच रिपोर्ट भेज दी. वहीं, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के प्रमाण मिल चुके है, इस परीक्षा में जमकर अनियमितताएं बरती गई, लेकिन आयोग और शासन फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई अनियमितताओं के बावजूद परीक्षा निरस्त करने की बात नहीं कर रहा है.ये भी पढ़ें: फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा का मामला: UKPSC समीक्षा अधिकारी निकला मास्टर माइंड
रविंद्र जुगरान का कहना है कि भर्तियों को निरस्त करने के लिए सरकार और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग दोहरे मापदंड अपना रहा है. एक तरफ 2016 मे यूपीसीएल और पिटकुल के लिए हुई अब अवर अभियंताओं की भर्ती परीक्षा को शासन ने संदेह के आधार पर निरस्त कर दिया था, लेकिन फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में धांधली, नकल, अवस्थाएं उजागर होने के बाद भी आयोग और सरकार भर्ती परीक्षा निरस्त करने की बात तक नहीं कर रहा हैं.