देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में महज कुछ महीने का ही वक्त बचा है. ऐसे में प्रदेश के राजनीतिक दल दमखम से तैयारियों में जुटे हुए हैं. इसी बीच नेताओं के दलबदल की सुगबुगाहट भी जोरों-शोरों से चल रही है. पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में वापसी के बाद से ही बाकी नेताओं के घर वापसी को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है.
मुख्य रूप से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा 'काऊ' के घर वापसी की चर्चाओं ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रखी है. कहा जा रहा है कि जल्द ही यह दोनों नेता घर वापसी कर सकते हैं. ऐसे में अगर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत या फिर अन्य नेता बीजेपी का दामन छोड़ते तो इससे प्रदेश की राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस कई प्रकार से नुकसान और फायदा दोनों होगा.
हरक के बदले सुर ने बढ़ाई भाजपा की चिंताः चुनाव से पहले खासकर उत्तराखंड में नेताओं के दलबदल की प्रक्रिया देखी जाती रही है. हाल ही में 11 अक्टूबर को पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के घर वापसी के बाद से ही राजनीति गलियारों में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है. वहीं, बीते दिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के माफी मांगने के बाद से ही चर्चाएं जोरों पर हैं कि क्या अपना सुर बदलकर हरक सिंह रावत कांग्रेस में जाने का रास्ता साफ कर रहे हैं.
हरक के माफी मांगने के बाद से ही हरक सिंह रावत और हरीश रावत के बीच बढ़ी बातचीत ने भाजपा के अंदर हलचल और बढ़ा दी है, जिसके चलते मान-मनौव्वल को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से बीते दिन न सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने मुलाकात की. बल्कि, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी अचानक एंट्री मारकर हरक सिंह रावत से मुलाकात की.
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भाजपा-कांग्रेस का दावाः इन सभी सियासी घटनाक्रम के बीच नेताओं के दलबदल पर बयानबाजी जारी है. राज्य की दोनों मुख्य पार्टी भाजपा-कांग्रेस, अगले 15 दिन में कई बड़े बदलाव की बात कह रही है. दोनों दलों का दावा है कि अगले 15 दिन के भीतर उत्तराखंड राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल आने वाला है. नेताओं के इस बयानबाजी से तो यही लगता है कि अगले 15 दिन के भीतर उत्तराखंड राज्य में कई बड़े नेता अपना दल छोड़ दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं.
हालांकि, स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कौन-कौन नेता दूसरे दल में शामिल होने वाले हैं. बहरहाल जो भी हो, लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में जो समीकरण बन रहे हैं. उसे देखकर तो यही लगता है कि साल 2016 में जो समीकरण बने थे. वही, समीकरण वर्तमान समय में भी बनते दिखाई दे रहे हैं.
हरक गए तो भाजपा को होगा नुकसानः वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत वरिष्ठ नेताओं में शुमार है, जो उत्तर प्रदेश के समय में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं. हरक लगातार विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं. यही नहीं, हरक सिंह रावत के प्रभाव वाले कई विधानसभा क्षेत्र हैं, जिस पर हरक सिंह रावत का हमेशा से ही प्रभाव रहा है. ऐसे में हरक सिंह रावत के जाने से भाजपा में हलचल जरूर होगा और आगामी चुनाव में भी इसका बड़ा फर्क पड़ेगा. लेकिन अभी तक हरक सिंह रावत के पार्टी छोड़ने की स्थिति स्पष्ट नहीं है. क्योंकि वह कभी संकेत ऐसे दे रहे हैं कि वह पार्टी छोड़ने वाले हैं. लेकिन अगले ही दिन वह अपने बयान का खंडन कर देते हैं.
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हरीश रावत बन रहे रोड़ाः वर्तमान समय में राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि साल 2016 में कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए बागी नेताओं में से तमाम नेता कांग्रेस में घर वापसी करना चाहते हैं. लेकिन, कांग्रेस में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रोड़ा बन रहे हैं. जिसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि ऐसी चर्चाएं पहले चल रही थी कि तमाम नेता कांग्रेस में जाना चाहते हैं.
लेकिन हरीश रावत की वजह से कांग्रेस में नहीं जा पा रहे हैं. कहीं न कहीं पूर्व सीएम हरीश रावत को इस बात की टीस है कि जिन नेताओं की वजह से उनकी सरकार गिरी थी, कम से कम पार्टी में उनकी वापसी न हो. लेकिन वर्तमान समय में पूर्व सीएम हरीश रावत जिस तरह का बयान दे रहे हैं, इससे साफ जाहिर है कि वह अब नरम पड़ गए हैं. लिहाजा जो भी कांग्रेस में आना चाहता है वह आ सकता है, बशर्ते जहां जरूरत होगी, उसी जरूरत के हिसाब से ही नेताओं को पार्टी में शामिल किया जाएगा.
दलबदल पर सीएम का स्पष्ट बयानः बागी नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहा कि भाजपा सरकार निरंतर विकास के कार्य कर रही है. यही वजह है कि 3 विधायकों ने भाजपा का दामन थामा है. लेकिन अगर किसी नेता को अन्य पार्टी में जाना है, तो चले जाएं, उससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
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कांग्रेस एक डूबता जहाजः इसके अलावा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन का कहना है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत या कोई अन्य नेता भाजपा का दामन छोड़कर नहीं जा रहा. हालांकि, पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य ने जरूर भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में 'घर वापसी' की है. लेकिन, कांग्रेस एक डूबता जहाज है, ऐसे में कोई भी राजनीतिक शख्स अपने भविष्य को देखते हुए इस डूबते जहाज में कदम नहीं रखेगा.
लिहाजा, भाजपा के सभी मंत्री और विधायक पार्टी में ही बने रहेंगे. देवेंद्र भसीन की माने तो कांग्रेस सिर्फ एक भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. जिसमें पूर्व सीएम हरीश रावत की भूमिका सबसे अधिक है. हरीश रावत सिर्फ अपना एक कद बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. ऐसे में अगर कोई भी नेता पार्टी छोड़कर जाता है तो वह उनकी व्यक्तिगत क्षति होगी, क्योंकि सबसे पहले उनकी विश्वसनीयता खत्म होगी.
भाजपा में आने वाला है भूचालः वहीं, कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि लोकतंत्र में हमेशा से ही संभावनाएं बनी रहती है. लिहाजा, राजनीति में कभी भी, कोई भी नेता एक दल छोड़ दूसरे दल में शामिल हो सकता है. ऐसे में राजनीति एक संभावनाओं का खेल है. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में तमाम नेता एक-दूसरे दल में शामिल हुए हैं. लेकिन आने वाले समय में भाजपा में एक बड़ा भूचाल आने वाला है. तमाम नेता कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं.
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निर्णायक भूमिका में हरीश रावतः मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने जिस भी नेता को शामिल किया है, उन नेताओं का कांग्रेस के प्रति आस्था और विश्वास है. साथ ही कहा कि हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को फायदा मिलेगा. लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. क्योंकि, अभी तक हरक सिंह रावत का कोई भी प्रार्थना पत्र पार्टी को प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन यह भी स्पष्ट है कि पूर्व सीएम हरीश रावत की भूमिका एक निर्णायक भूमिका के रूप में है.