देहरादून: साल 2023 अब विदाई पर है. उत्तराखंड के लिए साल 2023 कई मायनों में खास रहा तो कई वजहों से निराशा भी हाथ लगी. साल 2023 को उत्तराखंड में घटी तीन बड़ी घटनाओं की वजह से हमेशा याद रखा जाएगा. उत्तरकाशी का टनल हादसा हो या चमोली की करंट लगने की घटना या फिर जोशीमठ में दरारें. ये तीन बड़ी घटनाएं इतिहास में दर्ज हो गई. जिसकी वजह से साल 2023 को याद किया जाएगा.
जोशीमठ में दरारों और भूधंसाव ने दुनिया का ध्यान खींचा: साल 2023 ने उत्तराखंड को कई जख्म दिए. सड़क हादसों से लेकर तमाम वो घटनाएं हुई, जिसने न केवल सरकार और सिस्टम की पोल खोली, बल्कि लोगों को भी कई दर्द देकर गया. सबसे पहले जोशीमठ में दरार और भू धंसाव का मामला सुर्खियों में आया. जब जोशीमठ में मकानों, दुकानों, होटलों और सड़कों में दरारें दिखाई देने लगी. इन दरारों से न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार भी परेशान हो गई थी.
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तमाम भू वैज्ञानिकों को मौके पर भेजने के बाद मिट्टी और पानी के नमूने लिए गए. जिसमें कई खुलासे भी हुए. इसके अलावा भू धंसाव की कई वजहें बताई गई. जिसमें पानी का प्रभाव रोकने की वजह से जोशीमठ में घरों में दरारें आ रही हैं. कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अत्यधिक दबाव होने की वजह से जोशीमठ की जमीन धंस रही है तो कई ने एनटीपीसी को जिम्मेदार ठहराया. इस घटना के बाद केंद्र और राज्य सरकार के तमाम मंत्रियों, अधिकारियों से लेकर वैज्ञानिकों ने मौका मुआयना किया.
इस घटना ने न केवल साल 2013 की आपदा की याद दिलाई. बल्कि साल 2021 के चमोली में ही रैणी आपदा के जख्म को भी ताजा कर दिया. जोशीमठ के लिए सरकार ने मार्च महीने में 1000 करोड़ रुपए खर्च करने का प्लान बनाया. उसके बाद कई पीड़ितों को राहत और बचाव कार्य के लिए चेक भी वितरित किए. कई घरों को खाली कराया गया तो दरार ग्रस्त होटलों को तोड़ा गया. ताकि, कहीं भरभरा कर नुकसान न पहुंचाए.
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इतना ही नहीं बदरीनाथ हाईवे पर दरार पड़ने पर ये आशंका जताई गई कि इस बार यात्रा प्रभावित होगी, लेकिन दरारों को पाटा गया और यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हुई. फिलहाल, मौजूदा समय में कई परिवार अपने घरों से दूर सरकारी आवासों में रह रहे हैं. वहीं, जोशीमठ में तमाम संगठनों और स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया. ऐसे में इस घटना ने जनवरी से लेकर जुलाई महीने तक सरकार और प्रशासन को खूब सुर्खियों में रखा. यह घटना साल की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक हो गई.
चमोली के पीपलकोटी करंट हादसे में 16 लोगों की गई जान: सबसे भयानक घटना चमोली के पीपलकोटी में देखने को मिली. जब जुलाई महीने में अचानक से अलकनंदा नदी के किनारे निर्माणाधीन नमामि गंगे परियोजना में करंट दौड़ गया. इस करंट हादसे में 16 लोगों की जान चली गई. यह घटना उस वक्त हुई, जब एक व्यक्ति की मौत पर मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे लोगों की भीड़ प्रोजेक्ट में इकट्ठा हुई थी.
तभी अचानक से पूरे प्लांट में करंट दौड़ गया. यह हादसा इतना खतरनाक था कि किसी को भी भागने का मौका तक नहीं मिला. जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय घटनास्थल पर 26 लोग मौजूद थे. जिसमें से 16 लोग मौके पर ही दम तोड़ गए. जबकि, 11 लोग बुरी तरह से झुलस गए.
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वहीं, जब एक साथ 16 चिताएं जलीं तो लोगों की रुह कांप उठी थी. उधर, सरकार ने आनन-फानन में 5-5 लाख रुपए का मुआवजा मृतकों के परिवारों को दिया. जबकि, घायलों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि दी गई. एक के बाद एक दो बड़ी घटनाओं ने सबका ध्यान चमोली की ओर कर दिया. इस घटना के बाद राज्य सरकार ने तमाम नमामि गंगे और दूसरे एसटीपी प्लांट का ऑडिट करवाया और सुरक्षा मानकों से संबंधित तमाम सर्वे करवाए.
उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे 41 लोग: साल 2023 जाते-जाते उत्तराखंड को फिर से सुर्खियों में ला गया. जब 12 नवंबर यानी दीपावली के दिन उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में 41 लोग अंदर ही फंस गए. ऐसे में बड़े पैमाने पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया. कई प्रयासों के बाद रेस्क्यू में सफलता मिली. रेस्क्यू के तहत 21 नवंबर को पहली बार कैमरा अंदर पहुंचा. तब सभी की तस्वीरें बाहर आई, इससे स्पष्ट हुआ कि अंदर फंसे सभी लोग सुरक्षित हैं.
इसके बाद लगातार देश विदेश से एक्सपर्ट भी रेस्क्यू ऑपरेशन में बुलाए गए. 28 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन में तमाम बड़ी-बड़ी मशीनों से जो काम नहीं हो पा रहा था, वो रेट होल माइनिंग तकनीक से पूरा किया गया. तब जाकर 28 नवंबर की शाम सभी 41 मजदूरों को 17वें दिन बाहर निकाला गया. इस घटना ने पूरे उत्तरकाशी को देश और विदेश की नजरों में ला दिया था. गनीमत रही कि सरकार के तमाम प्रयासों और वैज्ञानिकों की तकनीक से सभी 41 मजदूर सुरक्षित बाहर निकले.
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