ऋषिकेशः देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर भैरव सेना के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने त्रिवेणी घाट चौक पर जमकर नारेबाजी की. साथ ही देवस्थानम बोर्ड और सरकार का पुतला दहन किया. उनका कहना है कि सरकार ने देवस्थानम बोर्ड के गठन कई पौराणिक धार्मिक परंपराएं तोड़ी हैं. जो उत्तराखंड के लोगों के लिए ठीक नहीं है.
भैरव सेना संगठन के प्रमुख संदीप खत्री ने कहा कि उत्तराखंड हिमालयी राज्य है, जो विश्वभर में देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है. मान्यताओं के अनुसार देवभूमि के प्रत्येक जिलों में पौराणिक सिद्धपीठ और मोक्ष के धाम स्थित हैं. यहां का प्रत्येक नागरिक न्याय के लिए आज भी अपने लोक देवी-देवताओं पर अटूट विश्वास रखते हैं. संस्कृति और धर्म का निर्वहन परंपराओं एवं पंचांग के अनुसार करते हैं, लेकिन सरकारी अधिग्रहण और देवस्थानम बोर्ड के गठन होने से कई पौराणिक धार्मिक परंपराएं टूटी हैं.
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उनका कहना है कि लोक मान्यताओं के अनुसार दैवीय आपदाओं का कारण बन सकती है और बोर्ड के भंग ना होने से जिनकी पुनरावृति भविष्य में भी होने की आशंका है. जिस कारण भैरव सेना की देवभूमि हित में एक ही मांग है कि देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देवी-देवताओं को सरकारी कैद से मुक्त किया जाए.
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जिला अध्यक्ष शैलेंद्र डोभाल के बताया कि अभी तक भैरव सेना के कार्यकर्ता विभिन्न जिलों में ज्ञापन और रैली के माध्यम से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करते रहे हैं. लेकिन तीर्थ-पुरोहित महापंचायत और भैरव सेना के सामूहिक निर्णय से अब नींद में सोए सत्ता के अधिपतियों को जगाया जाएगा. ऐसे में ऋषिकेश से पुतला दहन कर उग्र आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई.