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जागरूकता ही है साइबर क्राइम से बचने का सबसे बड़ा हथियार, रहिए सतर्क

साइबर क्राइम के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं. इसके लिए पुलिस भी लगातार एक्शन में है. पुलिस ने साइबर क्राइम के मामलों से बचने के लिए पहचान पत्रों और अपने डाटा को लेकर जागरूक रहने की बात कही है.

Awareness is the biggest weapon to avoid cybercrime
जागरूकता ही है साइबर क्राइम से बचने का सबसे बड़ा हथियार
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Published : Oct 22, 2022, 5:45 PM IST

Updated : Oct 22, 2022, 6:30 PM IST

देहरादून: देशभर के साथ साथ उत्तराखंड में भी एक भयंकर बीमारी की तरह नासूर बनते जा रहे साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आये दिन साइबर क्रिमिनल नए-नए हथकंडे अपनाकर म व्यक्तियों से लेकर ऊंचे पदों में आसीन खास लोगों को अपने जाल में फंसाकर लाखों-करोड़ों की ठगी कर रहे हैं. इसी क्रम में अब तमाम तरह से जागरूक होने के बावजूद फाइनेंशल साइबर फ्रॉड के मामलों में लोग पीड़ित न होने कारण भी बेकसूर अपराधी की श्रेणी में आ रहे हैं.

आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे तमाम व्यक्तिगत पहचान पत्रों का डाटा चुराकर साइबर अपराधी उनका दुरुपयोग कर उससे फर्जी बैंक खाता और मोबाइल फोन नंबर जैसे अन्य तरह के विषय में धड़ल्ले से इस्तेमाल कर साइबर फ्रॉड कर रहे हैं. यही कारण है कि इस बात से अनजान लोग साइबर क्राइम से पीड़ित न होते हुए भी साइबर अपराधियों के इस कारनामे से साइबर फ्रॉड के मामलों में अपराधी की श्रेणी में आ रहे हैं. ऐसे में किसी भी ऑनलाइन इस फोन के माध्यम से व्यक्तिगत पहचान पत्र एक्टिविटी करते समय बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि डाटा चोरी ना हो सके.

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उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, कई बार पब्लिक प्लेस सर्विसेज किसी भी काम के लिए डॉक्यूमेंटेशन आदान प्रदान के समय सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप या ईमेल जैसे कई अन्य माध्यमों के जरिए जब हम अपने आधार कार्ड पैन कार्ड बैंक पासबुक या अन्य तरह के पहचान पत्र आदान प्रदान करते हैं उस सूरत में इस तरह के व्यक्तिगत पहचान पत्र डॉक्यूमेंट डाटा लीक होने साइबर अपराधी उसका फायदा उठा रहे हैं.

वहीं, साइबर अपराध के लिए उन दस्तावेजों पहचान पत्रों के जरिए फर्जी बैंक अकाउंट मोबाइल नंबर और अन्य तरह के क्राइम में उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि अनजान व्यक्ति को अपने उस डॉक्यूमेंट के दुरुपयोग की जानकारी ही नहीं है. ऐसे में जब किसी भी फाइनैंशल फ्रॉड का मामला साइबर पुलिस के द्वारा वर्कआउट किया जा रहा है उसमें साइबर क्रिमिनल के इस कारनामे से बेकसूर व्यक्ति अपराधी किस श्रेणी में आ रहा है.

पढे़ं- टिहरी सुमन पुस्तकालय में देखरेख के अभाव में सड़ रहे 100 साल पुराने दुर्लभ दस्तावेज

डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, कई बार हम ट्रैवल एजेंट से रेलवे और एयर टिकट या किसी भी रोजगार संबंधी सहित अन्य किसी भी कार्य में जब अपना ऑनलाइन आधार कार्ड पैन कार्ड पासबुक जैसे डॉक्यूमेंट साइबर कैफे दे रहे हैं. उसका डाटा भारी पैमाने में साइबर क्रिमिनल चोरी कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह कि अपने व्यक्तिगत डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन किसी भी पब्लिक प्लेस जैसे साइबर कैफे या अन्य जगह में देने से बचना होगा. वरना तेजी से फैल रहे साइबर फ्रॉड के मामलों में पीड़ित ना होने के बावजूद लोग साइबर अपराध की श्रेणी में फस सकते हैं. साइबर क्राइम डिप्टी एसपी के मुताबिक ऐसे कई मामले शिकायत के रूप में सामने आ चुके हैं. जहां लोगों के आधार कार्ड पैन कार्ड जैसे व्यक्तिगत पहचान पत्र डाटा चोरी कर दुरुपयोग हो रहा है.

देहरादून: देशभर के साथ साथ उत्तराखंड में भी एक भयंकर बीमारी की तरह नासूर बनते जा रहे साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आये दिन साइबर क्रिमिनल नए-नए हथकंडे अपनाकर म व्यक्तियों से लेकर ऊंचे पदों में आसीन खास लोगों को अपने जाल में फंसाकर लाखों-करोड़ों की ठगी कर रहे हैं. इसी क्रम में अब तमाम तरह से जागरूक होने के बावजूद फाइनेंशल साइबर फ्रॉड के मामलों में लोग पीड़ित न होने कारण भी बेकसूर अपराधी की श्रेणी में आ रहे हैं.

आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे तमाम व्यक्तिगत पहचान पत्रों का डाटा चुराकर साइबर अपराधी उनका दुरुपयोग कर उससे फर्जी बैंक खाता और मोबाइल फोन नंबर जैसे अन्य तरह के विषय में धड़ल्ले से इस्तेमाल कर साइबर फ्रॉड कर रहे हैं. यही कारण है कि इस बात से अनजान लोग साइबर क्राइम से पीड़ित न होते हुए भी साइबर अपराधियों के इस कारनामे से साइबर फ्रॉड के मामलों में अपराधी की श्रेणी में आ रहे हैं. ऐसे में किसी भी ऑनलाइन इस फोन के माध्यम से व्यक्तिगत पहचान पत्र एक्टिविटी करते समय बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि डाटा चोरी ना हो सके.

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उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, कई बार पब्लिक प्लेस सर्विसेज किसी भी काम के लिए डॉक्यूमेंटेशन आदान प्रदान के समय सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप या ईमेल जैसे कई अन्य माध्यमों के जरिए जब हम अपने आधार कार्ड पैन कार्ड बैंक पासबुक या अन्य तरह के पहचान पत्र आदान प्रदान करते हैं उस सूरत में इस तरह के व्यक्तिगत पहचान पत्र डॉक्यूमेंट डाटा लीक होने साइबर अपराधी उसका फायदा उठा रहे हैं.

वहीं, साइबर अपराध के लिए उन दस्तावेजों पहचान पत्रों के जरिए फर्जी बैंक अकाउंट मोबाइल नंबर और अन्य तरह के क्राइम में उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि अनजान व्यक्ति को अपने उस डॉक्यूमेंट के दुरुपयोग की जानकारी ही नहीं है. ऐसे में जब किसी भी फाइनैंशल फ्रॉड का मामला साइबर पुलिस के द्वारा वर्कआउट किया जा रहा है उसमें साइबर क्रिमिनल के इस कारनामे से बेकसूर व्यक्ति अपराधी किस श्रेणी में आ रहा है.

पढे़ं- टिहरी सुमन पुस्तकालय में देखरेख के अभाव में सड़ रहे 100 साल पुराने दुर्लभ दस्तावेज

डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, कई बार हम ट्रैवल एजेंट से रेलवे और एयर टिकट या किसी भी रोजगार संबंधी सहित अन्य किसी भी कार्य में जब अपना ऑनलाइन आधार कार्ड पैन कार्ड पासबुक जैसे डॉक्यूमेंट साइबर कैफे दे रहे हैं. उसका डाटा भारी पैमाने में साइबर क्रिमिनल चोरी कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह कि अपने व्यक्तिगत डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन किसी भी पब्लिक प्लेस जैसे साइबर कैफे या अन्य जगह में देने से बचना होगा. वरना तेजी से फैल रहे साइबर फ्रॉड के मामलों में पीड़ित ना होने के बावजूद लोग साइबर अपराध की श्रेणी में फस सकते हैं. साइबर क्राइम डिप्टी एसपी के मुताबिक ऐसे कई मामले शिकायत के रूप में सामने आ चुके हैं. जहां लोगों के आधार कार्ड पैन कार्ड जैसे व्यक्तिगत पहचान पत्र डाटा चोरी कर दुरुपयोग हो रहा है.

Last Updated : Oct 22, 2022, 6:30 PM IST
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