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आर्थिक संकट में ऑटो रिक्शा चालक, सरकार से लगाई मदद की गुहार

उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू के चलते ऑटो रिक्शा चालकों के सामने अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट गहरा चुका है. ऑटो रिक्शा चालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

auto rikshaw drivers
चालकों के सामने आर्थिक संकट
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Published : Jun 2, 2021, 3:08 PM IST

Updated : Jun 2, 2021, 8:38 PM IST

देहरादून: कोविड कर्फ्यू के इस दौर में जहां कई लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं, तो कई लोग ऐसे भी हैं जिनका कारोबार पूरी तरह ठप चल रहा है. बात करें ऑटो रिक्शा चालकों की तो कोविड कर्फ्यू के इस दौर में दून के ऑटो रिक्शा चालकों के सामने अपने परिवार के भरण पोषण का संकट गहरा चुका है. इस स्थिति में अब ऑटो रिक्शा चालक हाथों में पर्चे लिए सरकार से आर्थिक मदद और अन्य राहत दिए जाने की गुहार लगा रहे हैं.

आर्थिक संकट में ऑटो रिक्शा चालक.

ये भी पढ़ें: रियलिटी चेक: छूट के बाद 'घूमे' पहिए, कितने सावधान, कितने सतर्क 'पब्लिक ट्रांसपोर्टर'

दून ऑटो रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा बताते हैं कि पूरे शहर में लगभग 2400 ऑटो रिक्शा का संचालन होता है. लेकिन वर्तमान में लगभग सभी ऑटो रिक्शों के पहिए जाम हैं तो वहीं सरकार की ओर से दी गई मामूली राहत के चलते सिर्फ इमरजेंसी सेवा के लिए ही ऑटो रिक्शा चालक अपने घरों से निकल पा रहे हैं. इस स्थिति में कमाई लगभग शून्य हो चुकी है. वहीं सभी ऑटो रिक्शा चालकों के सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. स्थिति ऐसी है कि कुछ लोगों के घर में सीमित राशन बचा है तो वहीं कई परिवार तो ऐसे हैं जिनके पास रसोई गैस सिलेंडर तक के पैसे नहीं हैं. इस स्थिति में सरकार को इन ऑटो रिक्शा चालकों के बारे में भी सोचना चाहिए.

सरकार को प्रत्येक ऑटो रिक्शा चालक को कम से कम 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए. ईटीवी भारत के सामने अपनी व्यथा बताते हुए ऑटो रिक्शा चालक बताते हैं कि उनके घरों में अब राशन तक खत्म होने लगा है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण करना तो एक बड़ी चुनौती है ही इसके साथ ही ऑटो रिक्शा की EMI, परमिट, रोड टैक्स और इंश्योरेंस का खर्चा उठा पाना मुश्किल हो रहा है.

ये भी पढ़ें: बिहार : लॉकडाउन में तंगी से जूझ रहे ऑटो चालक ने अपनी गाड़ी जला दी

दून ऑटो रिक्शा यूनियन के महामंत्री शेखर कपिल बताते हैं कि उनकी यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री, जिला अधिकारी, परिवहन आयुक्त समेत परिवहन विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को मेल के माध्यम से पत्र भेजा जा चुका है. पत्र में यूनियन की ओर से 3 प्रमुख मांगें रखी गई हैं. पहली मांग पर सरकार की ओर से राहत दी गई है.

जिसके तहत सरकार ने ऑटो रिक्शा चालकों को इमरजेंसी सेवाओं के लिए चलने की अनुमति प्रदान की है. लेकिन दो अन्य मांगों की बात करें तो इसमें सरकार से यूनियन के सदस्यों ने 10 हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता की मांग की है. इसके साथ ही सरकार से अगले 2 सालों के लिए रोड टैक्स, वाहन परमिट और इंश्योरेंस में राहत देने की भी गुहार लगाई गई है. लेकिन अब तक सरकार की ओर से इन दोनों ही मांगों पर किसी तरह की राहत नहीं दी गई है.

देहरादून: कोविड कर्फ्यू के इस दौर में जहां कई लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं, तो कई लोग ऐसे भी हैं जिनका कारोबार पूरी तरह ठप चल रहा है. बात करें ऑटो रिक्शा चालकों की तो कोविड कर्फ्यू के इस दौर में दून के ऑटो रिक्शा चालकों के सामने अपने परिवार के भरण पोषण का संकट गहरा चुका है. इस स्थिति में अब ऑटो रिक्शा चालक हाथों में पर्चे लिए सरकार से आर्थिक मदद और अन्य राहत दिए जाने की गुहार लगा रहे हैं.

आर्थिक संकट में ऑटो रिक्शा चालक.

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दून ऑटो रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा बताते हैं कि पूरे शहर में लगभग 2400 ऑटो रिक्शा का संचालन होता है. लेकिन वर्तमान में लगभग सभी ऑटो रिक्शों के पहिए जाम हैं तो वहीं सरकार की ओर से दी गई मामूली राहत के चलते सिर्फ इमरजेंसी सेवा के लिए ही ऑटो रिक्शा चालक अपने घरों से निकल पा रहे हैं. इस स्थिति में कमाई लगभग शून्य हो चुकी है. वहीं सभी ऑटो रिक्शा चालकों के सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. स्थिति ऐसी है कि कुछ लोगों के घर में सीमित राशन बचा है तो वहीं कई परिवार तो ऐसे हैं जिनके पास रसोई गैस सिलेंडर तक के पैसे नहीं हैं. इस स्थिति में सरकार को इन ऑटो रिक्शा चालकों के बारे में भी सोचना चाहिए.

सरकार को प्रत्येक ऑटो रिक्शा चालक को कम से कम 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए. ईटीवी भारत के सामने अपनी व्यथा बताते हुए ऑटो रिक्शा चालक बताते हैं कि उनके घरों में अब राशन तक खत्म होने लगा है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण करना तो एक बड़ी चुनौती है ही इसके साथ ही ऑटो रिक्शा की EMI, परमिट, रोड टैक्स और इंश्योरेंस का खर्चा उठा पाना मुश्किल हो रहा है.

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दून ऑटो रिक्शा यूनियन के महामंत्री शेखर कपिल बताते हैं कि उनकी यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री, जिला अधिकारी, परिवहन आयुक्त समेत परिवहन विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को मेल के माध्यम से पत्र भेजा जा चुका है. पत्र में यूनियन की ओर से 3 प्रमुख मांगें रखी गई हैं. पहली मांग पर सरकार की ओर से राहत दी गई है.

जिसके तहत सरकार ने ऑटो रिक्शा चालकों को इमरजेंसी सेवाओं के लिए चलने की अनुमति प्रदान की है. लेकिन दो अन्य मांगों की बात करें तो इसमें सरकार से यूनियन के सदस्यों ने 10 हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता की मांग की है. इसके साथ ही सरकार से अगले 2 सालों के लिए रोड टैक्स, वाहन परमिट और इंश्योरेंस में राहत देने की भी गुहार लगाई गई है. लेकिन अब तक सरकार की ओर से इन दोनों ही मांगों पर किसी तरह की राहत नहीं दी गई है.

Last Updated : Jun 2, 2021, 8:38 PM IST
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