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निजी स्कूलों की मनमानीः RTE का हवाला देकर गरीब बच्चों को स्कूल से निकालने की दी धमकी

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Published : Mar 11, 2019, 11:40 PM IST

राजधानी के एक निजी स्कूल द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतान जल्द करने का हवाला देकर बच्चों को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी. स्कूल प्रबंधन के इस रवैये के बाद अभिभावक स्कूल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. आरटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिभावक स्कूल के इस फरमान के बाद परेशान नजर आ रहे हैं.

देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी

देहरादून: राजधानी में निजी स्कूलों की मनमानी का मामला सामने आया है. यहां पर एक निजी स्कूल ने आईटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले करीब 121 बच्चों को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी है. वहीं, स्थानीय पार्षद और अभिभावकों के हंगामे के बाद बमुश्किल स्कूल प्रबंधन ने तीन दिन के भीतर फीस जमा करने का फरमान सुनाया है.


जानकारी के मुताबिक सोमवार को राजधानी के एक निजी स्कूल द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतान जल्द करने का हवाला देकर बच्चों को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी. स्कूल प्रबंधन के इस रवैये के बाद अभिभावक स्कूल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. आरटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिभावक स्कूल के इस फरमान के बाद परेशान नजर आ रहे हैं.


अभिभावकों का कहना है कि गरीबी और तंगहाली होने के कारण शिक्षा के अधिकार कानून की सुविधा के तहत अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन अब स्कूल प्रबंधन ने फीस वसूलने की शर्त रखी है. ऐसे में उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

जानकारी देते अभिभावक और प्रिसिंपल.


मामले पर ईटीवी भारत से स्कूल प्रिंसिपल ने बताया कि बीते तीन साल से शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 121 बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन एक्ट के तहत शिक्षा विभाग स्कूल को 50 लाख रुपये का भुगतान नहीं दिया है. जिसके चलते स्कूल में कई तरह की आर्थिक तंगी चल रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार से भुगतान लंबित होने से स्कूल टीचरों की वेतन समेत कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. साथ ही कहा कि शिक्षा विभाग से भी मामले पर बात गई, बावजूद इसके बजट रिलीज नहीं किया जा रहा है. उनका कहना है कि जब तक सरकार भुगतान नहीं करेगी, तब तक आरटीई एक्ट के तहत पढ़ाई कर रहे बच्चों से फीस की वसूली की जाएगी.


वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी का कहना है कि किसी स्कूल द्वारा इस तरह का रवैया आरटीई एक्ट कानून का उल्लंघन है. ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही बताया कि बीते कुछ दिन पहले उन्होंने सभी निजी स्कूलों को इस संबंध में बैठक कर लंबित चल रहे भुगतान को जल्द बहाल करने की बात की है. कुछ स्कूल भुगतान को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. इन स्कूलों में करीब 25 फीसदी बच्चे आईटीई एक्ट के तहत पढ़ रहे हैं. जिनका भुगतान सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी औपचारिकताएं पूरी कर नियमानुसार कर रही है.


जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के तहत आने वाले बच्चे आरटीई एक्ट के तहत D2 कैटेगरी में आते हैं. इन सभी बच्चों के पढ़ाई का खर्च सरकार समय अनुसार सभी स्कूलों को भुगतान कर रही है. साथ ही बताया कि सामान्य श्रेणी में आने वाले गरीब तबके के बच्चे E2 कैटिगरी में शामिल होते हैं. उनका भुगतान बीते दो सालों से तकनीकी कारणों से अभिलंब हो रहा था, लेकिन अब सारी तकनीकी समस्याएं दूर हो गई हैं. जल्द ही सभी स्कूलों का लंबित भुगतान सरकार इसी महीने करेगी.

देहरादून: राजधानी में निजी स्कूलों की मनमानी का मामला सामने आया है. यहां पर एक निजी स्कूल ने आईटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले करीब 121 बच्चों को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी है. वहीं, स्थानीय पार्षद और अभिभावकों के हंगामे के बाद बमुश्किल स्कूल प्रबंधन ने तीन दिन के भीतर फीस जमा करने का फरमान सुनाया है.


जानकारी के मुताबिक सोमवार को राजधानी के एक निजी स्कूल द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतान जल्द करने का हवाला देकर बच्चों को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी. स्कूल प्रबंधन के इस रवैये के बाद अभिभावक स्कूल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. आरटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिभावक स्कूल के इस फरमान के बाद परेशान नजर आ रहे हैं.


अभिभावकों का कहना है कि गरीबी और तंगहाली होने के कारण शिक्षा के अधिकार कानून की सुविधा के तहत अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन अब स्कूल प्रबंधन ने फीस वसूलने की शर्त रखी है. ऐसे में उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

जानकारी देते अभिभावक और प्रिसिंपल.


मामले पर ईटीवी भारत से स्कूल प्रिंसिपल ने बताया कि बीते तीन साल से शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 121 बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन एक्ट के तहत शिक्षा विभाग स्कूल को 50 लाख रुपये का भुगतान नहीं दिया है. जिसके चलते स्कूल में कई तरह की आर्थिक तंगी चल रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार से भुगतान लंबित होने से स्कूल टीचरों की वेतन समेत कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. साथ ही कहा कि शिक्षा विभाग से भी मामले पर बात गई, बावजूद इसके बजट रिलीज नहीं किया जा रहा है. उनका कहना है कि जब तक सरकार भुगतान नहीं करेगी, तब तक आरटीई एक्ट के तहत पढ़ाई कर रहे बच्चों से फीस की वसूली की जाएगी.


वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी का कहना है कि किसी स्कूल द्वारा इस तरह का रवैया आरटीई एक्ट कानून का उल्लंघन है. ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही बताया कि बीते कुछ दिन पहले उन्होंने सभी निजी स्कूलों को इस संबंध में बैठक कर लंबित चल रहे भुगतान को जल्द बहाल करने की बात की है. कुछ स्कूल भुगतान को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. इन स्कूलों में करीब 25 फीसदी बच्चे आईटीई एक्ट के तहत पढ़ रहे हैं. जिनका भुगतान सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी औपचारिकताएं पूरी कर नियमानुसार कर रही है.


जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के तहत आने वाले बच्चे आरटीई एक्ट के तहत D2 कैटेगरी में आते हैं. इन सभी बच्चों के पढ़ाई का खर्च सरकार समय अनुसार सभी स्कूलों को भुगतान कर रही है. साथ ही बताया कि सामान्य श्रेणी में आने वाले गरीब तबके के बच्चे E2 कैटिगरी में शामिल होते हैं. उनका भुगतान बीते दो सालों से तकनीकी कारणों से अभिलंब हो रहा था, लेकिन अब सारी तकनीकी समस्याएं दूर हो गई हैं. जल्द ही सभी स्कूलों का लंबित भुगतान सरकार इसी महीने करेगी.

Intro:देहरादून: केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार आरटीई कानून के तहत स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे गरीब व आरक्षण श्रेणी के बच्चों की पढ़ाई एकाएक बाधित होने का संकट नजर आ रहा हैं। जानकारी के मुताबिक इस मामले में कुछेक निजी स्कूल अपनी मनमानी के तहत शिक्षा विभाग द्वारा आरटीई के तहत भुगतान अविलंब होने का रोना रोकर बच्चों को स्कूल से बाहर करने का मन बना रहे हैं। सोमवार ऐसा ही मामला तब सामने आया जब देहरादून के गोविंदगढ़ स्थित एक निजी स्कूल द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में पढ़ने वाले लगभग 121 बच्चों को परीक्षा देने से रोक लगा विद्यालय से बाहर करने की धमकी दी गई। स्कूल प्रबंधन के इस रवैया के बाद तमाम बच्चे रोते बिलखते अपने घर पहुंची जहां से अभिभावक ने दौड़ते हुए स्कूल पहुँचे।
स्थानीय पार्षद सहित पीड़ित अभिभावकों के हंगामे के बाद बमुश्किल स्कूल प्रबंधन ने सभी अभिभावकों हिदायत देते हुए 3 दिन के अंदर फीस जमा करने का फरमान सुनाया।




Body:

उधर आरटीई के तहत स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिवाहक स्कूल द्वारा बच्चों को बाहर निकालने की दशा में काफी परेशान नजर आ रहे हैं उनका कहना है कि गरीबी व तंगहाली में होने के कारण ही सरकार द्वारा दी जा रही शिक्षा के अधिकार कानून सुविधा के मध्यनजर वह लोग अपने बच्चों को शिक्षित करवा रहे हैं,लेकिन अब स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वसूलने वाली शर्त से सभी गरीब व आरक्षण श्रेणी वाले अभिवाहको के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया हैं।


बाइट- बीना देवी पीड़ित अभिभावक
बाईट-अजय कुमार पीड़ित अभिभावक
बाइट -एसएस कुकरेजा, स्थानीय पार्षद, बीजेपी




उधर आरटीई एक्ट के तहत इस निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को परीक्षा के ऐन वक्त विद्यालय से बाहर निकालने जैसे गंभीर मामले में जब ईटीवी भारत ने संबंधित स्कूल प्रिंसिपल से सवाल किया तो, उनका साफतौर पर कहना था कि पिछले 3 वर्ष से शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 121 बच्चों पढ़ाई दे रहा हैं,लेकिन एक्ट के तहत शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय का 50 लाख का भुगतान अभी नहीं दिया गया है, जिसके चलते स्कूल में कई तरह के आर्थिक तंगी आ रही है ऐसे में सरकार द्वारा भुगतान लंबित होने के चलते हैं स्कूल टीचर को भुगतान देने सहित अन्य तरह की समस्याएं सामने आ रही है।स्कूल द्वारा शिक्षा विभाग से इस मामले में बातचीत की गई हैं, लेकिन संबंधित विभाग द्वारा बज़ट रिलीज ना होने का हवाला दिया जा रहा है। स्कूल प्रिंसिपल हरिशंकर राव का साफतौर पर कहना है कि जब तक सरकार द्वारा भुगतान नहीं किया जाता तब तक आरटीई एक्ट के तहत पढ़ाई करने वाले बच्चों से फीस वसूली जाएगी।

बाइट- हरिशंकर राव, साइना स्कूल प्रिंसिपल






Conclusion:
स्कूल आरटीई एक्ट के तहत बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं कर सकता ,ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी -जिला शिक्षा अधिकारी:

वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूलों में शिक्षा पाने वाले बच्चों को स्कूल से बाहर निकालने के मामले में देहरादून जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी ने साफ कहा कि ऐसा करना किसी भी स्कूल के लिए आरटीई एक्ट कानून के तहत अपराध है ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, कुछ दिन पहले उनके द्वारा सभी निजी स्कूलों को इस संबंध में व बैठक कर शिक्षा विभाग द्वारा लंबित चल रहे भुगतान को जल्द बहाल करने की बात बताई गई है। कुछेक स्कूल भुगतान को लेकर जबरजस्ती विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं जबकि उनके स्कूल में 75% बच्चें मोटी फीस भुगतान कर बच्चे पढ़ रहे हैं। मात्र 25 फीसदी ही आईटी एक्ट के तहत बच्चे पढ़ रहे हैं जिनका भुगतान सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी औपचारिकताएं पूरी कर नियमानुसार कर रही है।



आरटीई एक्ट के तहत पढ़ने वाले बच्चों का भुगतान सरकार इसी माह करने जा रही है, बच्चों को स्कूल बाहर निकालना अपराध की श्रेणी में :जिला शिक्षा अधिकारी

उधर इस मामले में देहरादून जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रमणि बलोदी ने जानकारी देते हुए बताया कि, शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति ओबीसी वाले बच्चे आरटीई एक्ट के तहत d2 कैटेगरी में आते हैं इन सभी बच्चों के पढ़ाई का खर्च सरकार समय अनुसार सभी स्कूलों को भुगतान कर रही है, हालांकि सामान्य श्रेणी में आने वाले गरीब तबके के जो E2 कैटिगरी वाले बच्चें हैं उनका भुगतान पिछले 2 वर्ष से किन्हीं तकनीकी कारणों से अभिलंब हो रहा था,लेकिन अब इस मामले पर भी सारी तकनीकी समस्याए दूर हो गई हैं जल्द ही सभी स्कूलों का लंबित भुगतान सरकार द्वारा इसी माह मार्च 2019 कर दिया जाएगा।


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