देहरादून: उत्तराखंड में अंकिता हत्याकांड (Ankita Bhandari murder case) पर प्रदेश के साथ देश के लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं. इस केस में जो भी अपडेट आ रही है उस पर नजर बनाए हुए हैं. वहीं अंकिता भंडारी की हत्या के आरोपी अंकित ने नार्को टेस्ट (Narco test of accused in Ankita murder case) के लिए कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा है. हत्याकांड के मामले में शामिल दो सह-आरोपियों ने पहले ही नार्को टेस्ट के लिए मंजूरी दे दी है.
गौर हो कि उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड की जांच SIT कर रही है. एसआईटी प्रमुख डीआईजी पी रेणुका देवी का कहना है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और दूसरे आरोपी सौरभ ने नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति दी है, जबकि तीसरे आरोपी अंकित ने 10 दिन का समय मांगा है. न्यायिक मजिस्ट्रेट कोटद्वार की अदालत में 22 दिसंबर को केस की सुनवाई होगी. वहीं अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में जांच कर रही SIT के हाथ आज भी उस वीआईपी गेस्ट से दूर हैं, जिसका बार-बार जिक्र हो रहा है. जिसके नाम को उजागर करने को लेकर SIT पर जनता का भारी दबाव है.
अलग-अलग पार्ट दाखिल होगी चार्जशीट: वहीं, अंकिता हत्याकांड में एसआईटी अब अलग-अलग पार्ट में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करेगी. ADG लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन के मुताबिक, संभव है कि 15-16 दिसंबर तक इस केस में अभी तक के महत्वपूर्ण सबूतों और बयानों सहित अन्य ठोस तथ्यों के आधार पर चार्जशीट दाखिल की जाएगी. लेकिन इसके बावजूद मामले की जांच जारी रहेगी. साइंटिफिक रिपोर्ट और नार्को टेस्ट के बाद वीआईपी का खुलासा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को कंपाइल कर बाद में एक और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाएगी.
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CRPC 178 के तहत जांच जारी रहेगी: इस मामले में वी मुरुगेशन ने बताया कि किसी भी केस में 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया के तहत इस केस में भी समय रहते अगले 3 से 4 दिनों में चार्जशीट दाखिल की जाएगी, लेकिन सीआरपीसी की धारा 178 के तहत इस केस की इन्वेस्टिगेशन जारी रहेगी. अभी FSL रिपोर्ट और नार्को टेस्ट से जानकारियां उपलब्ध कराना बाकी हैं. ऐसे में उन सभी को कंपाइल और मिलान करने के बाद फिर से एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की जाएगी. सीआरपीसी 178 के अंतर्गत आगे की जांच अभी जारी रहेगी.
क्या होता है नार्को टेस्ट: नार्को-एनालाइसिस टेस्ट (Narco Analysis Test) को ही नार्को टेस्ट कहा जाता है. आपराधिक मामलों की जांच-पड़ताल में इस परीक्षण की मदद ली जाती है. नार्को टेस्ट एक डिसेप्शन डिटेक्शन टेस्ट (Deception Detection Test) है, जिस कैटेगरी में पॉलीग्राफ और ब्रेन-मैपिंग टेस्ट भी आते हैं. अपराध से जुड़ी सच्चाई और सबूतों को ढूंढने में नार्को परीक्षण काफी मदद कर सकता है.वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक नार्को टेस्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सबसे पहले 2002 में गुजरात गोधरा कांड के आरोपियों का किया गया था. उसके बाद कई मामलों में और दिल्ली निर्भया कांड में भी आरोपियों का नार्को टेस्ट किया गया था. चंद्रशेखर ने कहा यह जरूरी नहीं कि नार्को टेस्ट रिपोर्ट को अदालत मान ले, इसमें कोई बाध्यता नहीं है.
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नार्को टेस्ट से पुलिस इन्वेस्टिगेशन में मदद: उन्होंने कहा अपराध की गंभीरता को देखते हुए नार्को टेस्ट के दौरान अगर आरोपी द्वारा जो सवालों के उत्तर दिए जाते हैं, उनको पुलिस इन्वेस्टिगेशन से जोड़ा जाता है. इन्वेस्टिगेशन से अगर नार्को टेस्ट सवालों के जवाब मेल खाते हैं तो, उसको अदालती कार्रवाई में लिया जा सकता है.
नार्को टेस्ट रिपोर्ट की कोर्ट में बाध्यता नहीं: नार्को टेस्ट की मान्यता अदालत में नहीं है, लेकिन सीआरपीसी एक्ट के तहत किसी भी क्राइम की सच्चाई को उजागर करने के लिए पुलिस इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, एनेस्थीसिया डॉक्टर, मनोचिकित्सक और अन्य विशेषज्ञों की टीम द्वारा नार्को टेस्ट किया जा सकता है. जिसके बाद उस रिपोर्ट के आधार पर अन्य इन्वेस्टिगेशन से लिंक जुड़ने पर कोर्ट में लिया जा सकता है.
नार्को टेस्ट से जान को खतरा: अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक वर्ष 2010 में सैलरी वर्सेस कर्नाटक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति की निष्ठा पर हमला हो रहा है. जरूरी नहीं कि उसको आप जबरदस्ती कोई बात उगलवाने चाहे, भले ही वह साइंटिफिक तरीके से ही क्यों ना हो. क्योंकि इस तरह के परीक्षण में उसकी जान को खतरा हो सकता है और उसकी निष्ठा पर भी हमला हो सकता है इसलिए नार्को टेस्ट देने के लिए आरोपी व्यक्ति की मंजूरी होना जरूरी है. नार्को टेस्ट ऐसी साइंटिफिक प्रक्रिया है, जिसमें आरोपी के खिलाफ उसके ही मुंह से सच्चाई उगलवाई जा सकती है. लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार यह सही ही हो.
अंकिता भंडारी हत्याकांडः 19 साल की अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थिति वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी. आरोप है कि वनंत्रा रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता भंडारी पर गलत काम करने का दबाव बनाया था, जिसके लिए अंकिता भंडारी ने मना कर दिया था. साथ ही नौकरी छोड़ने का मन बना लिया था.
पुलकित आर्य को डर था कि नौकरी छोड़ने के बाद अंकिता उसके राज का पर्दाफाश कर देगी. आरोप है कि इसी डर से पुलकित ने अपने दो मैनेजरों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर 18 सितंबर को अंकिता भंडारी चीला नहर में धक्का देकर मार दिया था. अंकिता का शव पुलिस ने 24 सितंबर को बरामद किया था. अभी तीनों आरोपी जेल में बंद हैं.