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भूमि पर कब्जा लेने पहुंची पशुपालन विभाग की टीम, लोगों के विरोध के बाद वापस लौटी

हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुनर्वास विभाग की टीम लोगों को कब्जे से हटाने के लिए पहुंची. इस पर लोगों ने हंगामा कर टीम को कब्जा हटाने से मना कर दिया जिससे उनको वापस लौटना पड़ा.

पशुपालन विभाग
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Published : Sep 26, 2019, 10:46 AM IST

ऋषिकेश: पुनर्वास विभाग की ओर से बसाए गए लोगों को कब्जे से हटाने के लिए पशुपालन विभाग की टीम पहुंची. इस दौरान स्थानीय लोगों ने टीम को रोक दिया. आक्रोशित लोगों को देखते हुए पशुपालन विभाग की टीम बैरंग वापस लौट गई. पुनर्वास के द्वारा विस्थापित आवंटियों का कहना है कि वह पिछले 17 साल से भूमि पर हैं. अचानक पशुपालन विभाग यहां से उन्हें नहीं हटा सकता है.

पढ़ें:यौन उत्पीड़न मामले में बैकफुट पर बीजेपी, सोशल मीडिया पर संजय कुमार ने दी सफाई

गौरतलब है कि रमेश जायसवाल नामक एक व्यक्ति ने नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पशुपालन की भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है. पुनर्वास विभाग ने जिन लोगों को जितनी जमीन यहां दी है, इससे ज्यादा पशुओं की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है.

भूमि पर कब्जा लेने पहुंचा पशुपालन विभाग, करना पड़ा विरोध का सामना

जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पशुपालन विभाग को अपनी भूमि से कब्जा हटाने के आदेश जारी किए थे. जिसपर पशुपालन विभाग की टीम कब्जे की जमीन को खाली करवाने पहुंची. इस दौरान अफसरों और आवंटियों के बीच नोकझोंक भी हुई. आवंटियों का आरोप है कि पशुपालन विभाग लोगों की भूमि पर अवैध कब्जा कर रहा है. आवंटियों कहना था कि वे अपना खेत खलियान कुर्बान करने के बाद विस्थापित हुए हैं. ऐसे में उनकी यह भूमि भी छीन ली जाती है, तो उनके सामने रहने और खाने की समस्या पैदा हो जाएगी.

पढ़ें:पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर हुई घोषणा, उत्तराखंड के स्कूलों में अनिवार्य होगी संस्कृत

पशुपालन परियोजना निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि सर्वे के अनुसार पशुपालन विभाग की 4.6 एकड़ भूमि अतिरिक्त कब्जे में पाई गई है. पुनर्वास विभाग ने 4 एकड़ से ज्यादा भूमि गलत ढंग से विस्थापितों को आवंटित कर दी है.
इस मामले में पुनर्वास विभाग से कई बार संपर्क साधा गया. इसके बावजूद पुनर्वास विभाग के अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इस मामले में पुनर्वास विभाग के अफसरों का कहना है कि वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. कोई भी आवंटन गलत नहीं किया गया है.

ऋषिकेश: पुनर्वास विभाग की ओर से बसाए गए लोगों को कब्जे से हटाने के लिए पशुपालन विभाग की टीम पहुंची. इस दौरान स्थानीय लोगों ने टीम को रोक दिया. आक्रोशित लोगों को देखते हुए पशुपालन विभाग की टीम बैरंग वापस लौट गई. पुनर्वास के द्वारा विस्थापित आवंटियों का कहना है कि वह पिछले 17 साल से भूमि पर हैं. अचानक पशुपालन विभाग यहां से उन्हें नहीं हटा सकता है.

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गौरतलब है कि रमेश जायसवाल नामक एक व्यक्ति ने नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पशुपालन की भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है. पुनर्वास विभाग ने जिन लोगों को जितनी जमीन यहां दी है, इससे ज्यादा पशुओं की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है.

भूमि पर कब्जा लेने पहुंचा पशुपालन विभाग, करना पड़ा विरोध का सामना

जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पशुपालन विभाग को अपनी भूमि से कब्जा हटाने के आदेश जारी किए थे. जिसपर पशुपालन विभाग की टीम कब्जे की जमीन को खाली करवाने पहुंची. इस दौरान अफसरों और आवंटियों के बीच नोकझोंक भी हुई. आवंटियों का आरोप है कि पशुपालन विभाग लोगों की भूमि पर अवैध कब्जा कर रहा है. आवंटियों कहना था कि वे अपना खेत खलियान कुर्बान करने के बाद विस्थापित हुए हैं. ऐसे में उनकी यह भूमि भी छीन ली जाती है, तो उनके सामने रहने और खाने की समस्या पैदा हो जाएगी.

पढ़ें:पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर हुई घोषणा, उत्तराखंड के स्कूलों में अनिवार्य होगी संस्कृत

पशुपालन परियोजना निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि सर्वे के अनुसार पशुपालन विभाग की 4.6 एकड़ भूमि अतिरिक्त कब्जे में पाई गई है. पुनर्वास विभाग ने 4 एकड़ से ज्यादा भूमि गलत ढंग से विस्थापितों को आवंटित कर दी है.
इस मामले में पुनर्वास विभाग से कई बार संपर्क साधा गया. इसके बावजूद पुनर्वास विभाग के अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इस मामले में पुनर्वास विभाग के अफसरों का कहना है कि वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. कोई भी आवंटन गलत नहीं किया गया है.

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ऋषिकेश--पुनर्वास विभाग की ओर से बसाए गए लोगों को आज पशुपालन विभाग की टीम कब्जा हटाने के लिए पहुंची इस दौरान स्थानीय लोगों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने टीम को तार वार करने से पहले ही रोक दिया लोगों के आक्रोश को देखते हुए पशुपालन विभाग की टीम बैरंग लौटी वहीं लोगों ने तार वार करने के लिए लगाए गए लोहे के खंभों को उखाड़ फेंका पुनर्वास के द्वारा विस्थापित आवंटियों का कहना है कि वह पिछले 17 साल से भूमि पर काबिज हैं अचानक पशुपालन विभाग को अपने जमीन पर कब्जा दिखने लगा है।


Body:वी/ओ--गौरतलब है कि रमेश जायसवाल नामक एक व्यक्ति ने नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पशु पालन की भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है पुनर्वास विभाग ने जिन लोगों को जितनी जमीन यहां दी है इससे ज्यादा पशुओं की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पशुपालन विभाग को अपनी भूमि से कब्जा हटाने को आदेशित किया, इस दौरान यह घटनाक्रम हुआ कि पशुपालन विभाग ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया कि अवैध कब्जे को हटवा दिया गया है इसी क्रम में याचिकाकर्ता ने कोर्ट में पशुपालन विभाग की कलई खोलते हुए प्रमाणित किया कि अफसर गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं यही वजह है कि पशुपालन विभाग आनन-फानन में अपनी जमीन को कब्जा मुक्त दिखाने के लिए तारबाड़ करने पहुंच गया इतना ही नहीं गुपचुप तरीके से मंगलवार की रात को लोहे के कई खंभे भी गाड़ दिए लेकिन बची कुची कार्यवाही अगले दिन बुधवार को पशुपालन विभाग की टीम पहुंची कार्रवाई की भनक आवंटियों को लगते ही मौके पर भीड़ जमा हो गई इस दौरान अफसरों और आवंटियों के बीच नोकझोंक भी हुई आवंटियों का आरोप है कि पशुपालन विभाग लोगों की भूमि पर अवैध कब्जा कर रहा है आवंटियों कहना था कि उन्होंने अपना खेत खलियान कुर्बान करने के बाद विस्थापित हुए हैं अब अगर ऐसे में उनकी यह भूमि भी छीन ली जाती है तो उनके सामने रहने और खाने की समस्या पैदा हो जाएगी।


Conclusion:वी/ओ--पशुपालन परियोजना निदेशक आरके वर्मा ने बताया कि सर्वे के अनुसार पशुपालन विभाग की 4.6 एकड़ भूमि अतिरिक्त कब्जे में पाई गई है पुनर्वास विभाग ने 4 एकड़ से ज्यादा भूमि गलत ढंग से विस्थापितों को आवंटित कर दी है इस मामले में पुनर्वास विभाग से कई बार संपर्क साधा गया इसके बावजूद पुनर्वास विभाग के अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं उन्होंने बताया कि 30 सितंबर को हाईकोर्ट में जनहित याचिका मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है लिहाजा पशुपालन विभाग की ओर से यह बताया जाना है कि उन्होंने यह भी बताया कि उक्त भूमि पर जो भी बिल्डिंग आएगी उसे ध्वस्त किया जाएगा परियोजना निदेशक आरके वर्मा ने कहा कि पहले अपनी भूमि को कब्जे से मुक्त करवा कर यदि पुनर्वास विभाग को आवश्यकता होगी तो वैधानिक तरीके से दोबारा आवंटित करने के विकल्प खुले हैं इस मामले में पुनर्वास विभाग के अफसरों का कहना है कि वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे कोई भी आवंटन गलत नहीं किया गया है।

बाईट--विस्थापित
बाईट--विस्थापित
बाईट--आर के वर्मा(परियोजना निदेशक,पशुपालन विभाग)

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