ऋषिकेश: पुनर्वास विभाग की ओर से बसाए गए लोगों को कब्जे से हटाने के लिए पशुपालन विभाग की टीम पहुंची. इस दौरान स्थानीय लोगों ने टीम को रोक दिया. आक्रोशित लोगों को देखते हुए पशुपालन विभाग की टीम बैरंग वापस लौट गई. पुनर्वास के द्वारा विस्थापित आवंटियों का कहना है कि वह पिछले 17 साल से भूमि पर हैं. अचानक पशुपालन विभाग यहां से उन्हें नहीं हटा सकता है.
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गौरतलब है कि रमेश जायसवाल नामक एक व्यक्ति ने नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पशुपालन की भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है. पुनर्वास विभाग ने जिन लोगों को जितनी जमीन यहां दी है, इससे ज्यादा पशुओं की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है.
जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पशुपालन विभाग को अपनी भूमि से कब्जा हटाने के आदेश जारी किए थे. जिसपर पशुपालन विभाग की टीम कब्जे की जमीन को खाली करवाने पहुंची. इस दौरान अफसरों और आवंटियों के बीच नोकझोंक भी हुई. आवंटियों का आरोप है कि पशुपालन विभाग लोगों की भूमि पर अवैध कब्जा कर रहा है. आवंटियों कहना था कि वे अपना खेत खलियान कुर्बान करने के बाद विस्थापित हुए हैं. ऐसे में उनकी यह भूमि भी छीन ली जाती है, तो उनके सामने रहने और खाने की समस्या पैदा हो जाएगी.
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पशुपालन परियोजना निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि सर्वे के अनुसार पशुपालन विभाग की 4.6 एकड़ भूमि अतिरिक्त कब्जे में पाई गई है. पुनर्वास विभाग ने 4 एकड़ से ज्यादा भूमि गलत ढंग से विस्थापितों को आवंटित कर दी है.
इस मामले में पुनर्वास विभाग से कई बार संपर्क साधा गया. इसके बावजूद पुनर्वास विभाग के अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इस मामले में पुनर्वास विभाग के अफसरों का कहना है कि वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. कोई भी आवंटन गलत नहीं किया गया है.