देहरादून: प्रदेश में सरकार ने स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन कर नए प्रावधान जोड़े हैं. इसके तहत स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट अब वही व्यक्ति या फर्म लगा पाएंगे, जिनके पास खनन पट्टा या फिर किसी खनन पट्टाधारक से एमओयू होगा. यही नहीं पट्टे का पक्का इंतजाम करने के बाद ही सरकार स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने की अनुमति देगी.
पढ़ें: लोगों की आस्था से खिलवाड़, वन विभाग ने देवताओं के पौराणिक पाषाण को तोड़ा
बता दें कि राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने नीति में संशोधन कर स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन अब पांच साल की जगह 10 साल के लिए दिया है. यही नहीं प्रसशान ने मैदानी क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्र में पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया है. इसके साथ ही रिन्यूअल शुल्क, कुल शुल्क का एक प्रतिशत भी लगेगा. साथ ही पहले से चल रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट पर रिन्यूअल के समय भी लागू होंगे.
वहीं, स्टोन क्रेशर नीति में संशोधन के बाद अब स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट को नदी से 3 किलोमीटर दूर लगाने का प्रावधान किया गया है. जबकि पहले 500 मीटर का दायरा तय किया गया था. वहीं स्कूल, आबादी वाले क्षेत्र और धार्मिक स्थलों से 300 मीटर दूरी का मान रखा गया है. जबकि पहले 100 मीटर था और सरकारी वन क्षेत्र से 100 मीटर की दूरी तय की गई है.