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स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन, जानें क्या जोड़े गए हैं नए नियम

राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने नीति में संशोधन कर स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन अब पांच साल की जगह 10 साल के लिए दिया है. यही नहीं प्रसशान ने मैदानी क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्र में पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया है.

स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन
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Published : Nov 14, 2019, 3:25 PM IST

देहरादून: प्रदेश में सरकार ने स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन कर नए प्रावधान जोड़े हैं. इसके तहत स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट अब वही व्यक्ति या फर्म लगा पाएंगे, जिनके पास खनन पट्टा या फिर किसी खनन पट्टाधारक से एमओयू होगा. यही नहीं पट्टे का पक्का इंतजाम करने के बाद ही सरकार स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने की अनुमति देगी.

स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन

पढ़ें: लोगों की आस्था से खिलवाड़, वन विभाग ने देवताओं के पौराणिक पाषाण को तोड़ा

बता दें कि राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने नीति में संशोधन कर स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन अब पांच साल की जगह 10 साल के लिए दिया है. यही नहीं प्रसशान ने मैदानी क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्र में पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया है. इसके साथ ही रिन्यूअल शुल्क, कुल शुल्क का एक प्रतिशत भी लगेगा. साथ ही पहले से चल रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट पर रिन्यूअल के समय भी लागू होंगे.

वहीं, स्टोन क्रेशर नीति में संशोधन के बाद अब स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट को नदी से 3 किलोमीटर दूर लगाने का प्रावधान किया गया है. जबकि पहले 500 मीटर का दायरा तय किया गया था. वहीं स्कूल, आबादी वाले क्षेत्र और धार्मिक स्थलों से 300 मीटर दूरी का मान रखा गया है. जबकि पहले 100 मीटर था और सरकारी वन क्षेत्र से 100 मीटर की दूरी तय की गई है.

देहरादून: प्रदेश में सरकार ने स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन कर नए प्रावधान जोड़े हैं. इसके तहत स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट अब वही व्यक्ति या फर्म लगा पाएंगे, जिनके पास खनन पट्टा या फिर किसी खनन पट्टाधारक से एमओयू होगा. यही नहीं पट्टे का पक्का इंतजाम करने के बाद ही सरकार स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने की अनुमति देगी.

स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन

पढ़ें: लोगों की आस्था से खिलवाड़, वन विभाग ने देवताओं के पौराणिक पाषाण को तोड़ा

बता दें कि राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने नीति में संशोधन कर स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन अब पांच साल की जगह 10 साल के लिए दिया है. यही नहीं प्रसशान ने मैदानी क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्र में पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया है. इसके साथ ही रिन्यूअल शुल्क, कुल शुल्क का एक प्रतिशत भी लगेगा. साथ ही पहले से चल रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट पर रिन्यूअल के समय भी लागू होंगे.

वहीं, स्टोन क्रेशर नीति में संशोधन के बाद अब स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट को नदी से 3 किलोमीटर दूर लगाने का प्रावधान किया गया है. जबकि पहले 500 मीटर का दायरा तय किया गया था. वहीं स्कूल, आबादी वाले क्षेत्र और धार्मिक स्थलों से 300 मीटर दूरी का मान रखा गया है. जबकि पहले 100 मीटर था और सरकारी वन क्षेत्र से 100 मीटर की दूरी तय की गई है.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गई है....
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उत्तराखंड राज्य सरकार ने स्टोन क्रेशर नीति में संसोधन कर नए प्रावधान जोड़े है। इसके तहत स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट अब वही व्यक्ति या फर्म लगा पाएंगे, जिनके नाम पर खनन पट्टा हो या फिर किसी खनन पट्टाधारक से एमओयू साइन करना होगा। जहा से वो रॉ मेटेरियल भी खरीदेगा। यही नही पट्टे का पक्का इंतजाम करने के बाद ही सरकार स्टोन क्रेशर और प्लांट लगाने की अनुमति देगी।


Body:रेजिस्ट्रेशन और आवेदन शुल्क बढ़ाया गया.....

राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने नीति में संशोधन कर स्टोन क्रेशर या प्लांट लगाने के लिए रेस्जिस्ट्रेश अब पांच साल की जगह 10 साल के लिए कर दी गयी है। यही नही मैदानी क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्र में पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया गया है। और ये रकम 10 साल के लाइसेंस के लिए होगा। इसके साथ ही रिन्यूवल शुल्क, कुल शुल्क का एक प्रतिशत भी लगेगा। इसके साथ ही पहले से चल रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग, हाट मिक्स व रेडमिक्स प्लांट पर रिन्यूवल के समय ही लागू होंगे। 


आबादी क्षेत्र से 150 मीटर दूर बनेगा स्टोन क्रेशर.....

स्टोन क्रेशर नीति में संशोधन के बाद अब स्टोन क्रेशर या स्क्रीनिंग प्लांट को नदी के किनारे से 3 किलोमीटर दूर लगाने का प्रावधान किया गया है जबकि पहले 500 मीटर था। यही नही स्कूल, आबादी वाले क्षेत्र और धार्मिक स्थलों से 300 मीटर दूरी का मान रखा गया है जबकि पहले 100 मीटर था। यही नही सरकारी वन क्षेत्र से 100 मीटर की दूरी है। 





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