ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में नेत्र कोष दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब तक कई लोगों की जीवन में रंग भरने का कार्य इसके द्वारा किया गया है. नेत्र कोष की स्थापना के चार माह में अब तक 50 लोगों को सफलतापूर्वक काार्निया प्रत्यारोपण किया जा चुका है. नेत्र ज्योति मिलने से यह लोग अब पहले के मुकाबले सामान्य जीवन जी रहे हैं. संस्थान में आई बैंक स्थापित होने के बाद अब तक 46 लोगों का नेत्रदान किया जा चुका है.
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि एम्स संस्थान में नेत्रकोष विभाग स्थापित होने के बाद से उत्तराखंड व समीपवर्ती राज्यों के लोगों को काफी लाभ हुआ है. उन्होंने बताया कि आई बैंक की स्थापना के महज चार महीने में 50 जरुरतमंद लोगों को सफलतापूर्वक कॉर्निया प्रत्यारोपण एक बड़ी उपलब्धि है.
प्रो. रविकांत के अनुसार नेत्रदान को हम सभी को अपने परिवार की परंपरा बनानी चाहिए, तभी देश में दिव्यांगता की समस्या का समाधान हो सकता है. भारत में प्रतिवर्ष 25,000 लोग कॉर्निया अंधेपन के शिकार हो रहे हैं. इस समस्या को दूर करने का एकमात्र समाधान नेत्रदान से ही संभव है.
उन्होंने बताया कि इसकी वजह यह है कि कॉर्निया को किसी कृत्रिम विधि द्वारा नहीं बनाया जा सकता है. लिहाजा हम नेत्रदान के संकल्प से ही ग्रसित लोगों को अंधेपन की समस्या से मुक्ति दिला सकते हैं और उनके जीवन को रोशन बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि एम्स संस्थान में आई बैंक की स्थापना के बाद से अब तक 1,000 से अधिक लोग भविष्य में नेत्रदान का संकल्प पत्र भर चुके हैं.
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संस्थान के नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि संस्थान में 50 वां कॉर्निया प्रत्यारोपण का कार्य पूर्ण हो चुका है. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल नारंग नेत्रदान के इस लोकहित के कार्य में लोगों को जागरूक करने में अपना योगदान दे रहे हैं. वे अब तक एम्स नेत्र कोष विभाग को चार दिवंगत लोगों का नेत्रदान करा चुके हैं.