ETV Bharat / state

केदारनाथ आपदा के 8 साल पूरे, बदली धाम की तस्वीर लेकिन जख्म अब भी हरे - केदारनाथ आपदा

केदारनाथ आपदा के 8 साल बीत चुके हैं. आज केदारपुरी का स्वरूप बदल चुका है.

kedarnath disaster
केदारनाथ आपदा
author img

By

Published : Jun 16, 2021, 3:13 PM IST

Updated : Jun 16, 2021, 6:09 PM IST

देहरादून: वैसे तो समय-समय पर उत्तराखंड में आपदाएं आती रहती हैं. लेकिन 16 जून 2013 की केदार घाटी में आई भीषण तबाही ने देश-दुनिया को हिला दिया था. केदारघाटी में आये जल प्रलय को 8 साल बाद भी कोई भूल नहीं पाया है. आसमान से बरसी इस आफत ने इतने गहरे जख्म दिये जो अभी तक लोगों के जेहन में हरे हैं.

उस भीषण आपदा के निशान आज भी आसानी से देखे जा सकते हैं. हालांकि इन 8 सालों के भीतर केदार घाटी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. लेकिन जो जख्म कुदरत ने दिये थे वो जख्म अभी भी लोगों के जेहन में बरकरार हैं. यही वजह है कि इस तबाही के दिन को कोई याद नहीं करना चाहता.

केदारनाथ आपदा के 8 साल पूरे.

ये भी पढ़ें: आपदा के 8 साल: आपदा के जख्मों पर मरहम, केदारनाथ में 90 फीसदी कार्य पूर्ण

मजबूती से खड़ा रहा मंदिर

16 जून 2013 की आपदा के दौरान यूं तो पूरी केदारघाटी तहस-नहस हो गई थी. लेकिन केदारनाथ मंदिर जस का तस बना रहा. जिसे भगवान में आस्था के रूप में देखा जा रहा है. इसकी मुख्य वजह केदारनाथ मंदिर का मजबूत निर्माण है. क्योंकि मोटी-मोटी चट्टानों से केदारनाथ मंदिर की दीवारें पटी हैं. मंदिर 50 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा, 80 फीट चौड़ा है जबकि इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं. ये बेहद मजबूत चट्टानों से बनाई गई हैं. मंदिर को 6 फीट नीचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है और माना जा रहा है कि पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीकी का इस्तेमाल किया गया होगा, जो इतनी संवेदनशील जगह पर मजबूती से खड़े रहने में कामयाब हुआ और आपदा का मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा.

ये भी पढ़ें: रोंगटे खड़े कर देती है केदारनाथ त्रासदी की यादें

केदार घाटी में आयी आपदा सिर्फ केदारनाथ तक ही सीमित नहीं रही. इसका सर्वाधिक प्रकोप उत्तराखंड के चार पहाड़ी जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी तथा पिथौरागढ़ को भी झेलना पड़ा. इन क्षेत्रों से निकलने वाली भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा, धौली, नंदाकिनी, भिलंगना, बिरही, पिण्डर, रामगंगा इत्यादि नदियों के कहर से इनके आस–पास बसे दर्जनों गांवों, कस्बों और शहरों का बड़ा रिहायशी भू–भाग जल–प्रलय में समा गये. उत्तरकाशी, हेमकुंड, गोविंदघाट, श्रीनगर गढ़वाल, अगस्त्यमुनि, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, नंदप्रयाग, देवप्रयाग तथा चिन्यालीसौड़ इत्यादि शहरों का एक–तिहाई भाग जल समाधि ले चुका था.

kedarnath disaster
केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु.

ये भी पढ़ें: रैणी में फिर खतरा, ऋषिगंगा के ऊपर बने वैली ब्रिज की नींव में कटाव

वहीं, बाबा केदारनाथ धाम में 16 जून को कुदरत ने जो तांडव किया उसे देश और दुनिया के लोग शायद ही भूले हों. उस दिन चोराबारी गलेशियर और गांधी सागर झील से आये पानी और मलबे के सैलाब ने न सिर्फ हजारों लोगों को जिन्दा दफन किया, बल्कि करोड़ों रुपये की संपत्ति को भी तबाह कर दिया था. उस दिन एक झटके में कुदरत ने हजारों बच्चों को अनाथ बना दिया और कितने बूढ़े मां-बाप से उनके बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया था. हालांकि, लोग कुदरत की उस मार को भूलकर आगे बढ़े गये, लेकिन जब आज भी उस तबाही का जिक्र होता है तो लोगों का दिल सहम जाता है. लेकिन वर्तमान समय में केदारघाटी पूरी तरह से बदल गई है या फिर यूं कहें कि केदार घाटी का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. केदारघाटी पहले से काफी सुरक्षित हो गई है.

ये भी पढ़ें: कोटद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 534 पर पहाड़ी से गिर रहे बोल्डर, मंडरा रहा खतरा

पर्यटन उद्योग उत्तराखंड के रीड की हड्डी हैं. क्योंकि पर्यटन व्यवसाय से लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है. लेकिन केदारघाटी में आई आपदा के बाद ना सिर्फ श्रद्धालु बल्कि उत्तराखंड राज्य में आने वाले पर्यटकों के जेहन में एक डर सा बैठ गया. यही वजह रही कि आपदा आने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन उद्योग को हुआ. PHD चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के अनुसार केदारघाटी में आयी आपदा से 12,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इतना ही नहीं इस आपदा की वजह से कुमाऊं और गढ़वाल में आज भी लोग इस आपदा का दंस झेल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कोसी नदी में सिल्ट जमा होने से लोग परेशान, घरों में पहुंच रहा गंदा पानी

साल 2013 में केदारघाटी में आई भीषण आपदा के बाद लोगों को ऐसा लग रहा था कि अब दोबारा से केदार घाटी को बसाया नहीं जा सकेगा और अगर इसे संवारने की पहल शुरू की गयी तो इसमें कई दशक लग जाएंगे. लेकिन अपनी आंखों से सामने तबाही का मंजर दिखाने वाले भोले बाबा ने ही लोगों को फिर से उठकर अपने पैरों पर खड़े होने की ऐसी प्रेरणा दी की सिर्फ 2 साल में ही बाबा का धाम फिर से आबाद हो गया था. हालांकि, इस पहल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा हाथ रहा है. वर्तमान हालात यह हैं कि केदार घाटी पहले से ज्यादा भव्य और सुंदर हो गई है. केदार घाटी का पूरा स्वरूप ही बदल गया है.

ये भी पढ़ें: प्रियंका का आग्रह : राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े घोटाले की जांच करवाए सुप्रीम कोर्ट

केदारघाटी में आयी आपदा के 2 सालों तक केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी कमी देखी गई. लेकिन 2 साल बाद ही केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी उछाल देखने को मिला. सबसे अधिक साल 2019 में केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ नए कीर्तिमान हासिल किया था.

क्योंकि सबसे अधिक साल 2019 में 10 लाख 21 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए थे. हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पिछले साल चारधाम की यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखने को मिली.

केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या

  • साल 2013 में 3 लाख 33 हजार 656 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2014 में 48 हजार 717 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2015 में 1 लाख 54 हजरा 385 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2016 में 3 लाख 09 हजार 764 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2017 में 4 लाख 71 हजार 235 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2018 में 7 लाख 31 हजार 991 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2019 में 10 लाख 21 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2020 में 1 लाख 35 हजार 349 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि साल 2013 में केदारघाटी में आयी आपदा बहुत दुखद रही है. लेकिन आपदा के बाद केदारघाटी को एक बार फिर से अपने स्वरूप में लाने के लिए पुनर्निर्माण के कार्य किए गए. इसके अतिरिक्त केदार घाटी की पूर्व की समस्याओं को देखते हुए तमाम जगहों पर न सिर्फ हेलीपैड बनाए गए हैं बल्कि सड़कें भी व्यवस्थित की गई है.

महाराज ने बताया कि इस तरह की आपदा की पुनरावृत्ति ना हो इसे लेकर राज्य सरकार अपनी तैयारियां करती रहती है. इसके अतिरिक्त ग्लेशियरों में सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी भी रखी जा रही है. ताकि इस बात को जाना जा सके कि कहीं चौराबाड़ी लेक की तरह ही कोई और लेक तो नहीं बन रही.

देहरादून: वैसे तो समय-समय पर उत्तराखंड में आपदाएं आती रहती हैं. लेकिन 16 जून 2013 की केदार घाटी में आई भीषण तबाही ने देश-दुनिया को हिला दिया था. केदारघाटी में आये जल प्रलय को 8 साल बाद भी कोई भूल नहीं पाया है. आसमान से बरसी इस आफत ने इतने गहरे जख्म दिये जो अभी तक लोगों के जेहन में हरे हैं.

उस भीषण आपदा के निशान आज भी आसानी से देखे जा सकते हैं. हालांकि इन 8 सालों के भीतर केदार घाटी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. लेकिन जो जख्म कुदरत ने दिये थे वो जख्म अभी भी लोगों के जेहन में बरकरार हैं. यही वजह है कि इस तबाही के दिन को कोई याद नहीं करना चाहता.

केदारनाथ आपदा के 8 साल पूरे.

ये भी पढ़ें: आपदा के 8 साल: आपदा के जख्मों पर मरहम, केदारनाथ में 90 फीसदी कार्य पूर्ण

मजबूती से खड़ा रहा मंदिर

16 जून 2013 की आपदा के दौरान यूं तो पूरी केदारघाटी तहस-नहस हो गई थी. लेकिन केदारनाथ मंदिर जस का तस बना रहा. जिसे भगवान में आस्था के रूप में देखा जा रहा है. इसकी मुख्य वजह केदारनाथ मंदिर का मजबूत निर्माण है. क्योंकि मोटी-मोटी चट्टानों से केदारनाथ मंदिर की दीवारें पटी हैं. मंदिर 50 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा, 80 फीट चौड़ा है जबकि इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं. ये बेहद मजबूत चट्टानों से बनाई गई हैं. मंदिर को 6 फीट नीचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है और माना जा रहा है कि पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीकी का इस्तेमाल किया गया होगा, जो इतनी संवेदनशील जगह पर मजबूती से खड़े रहने में कामयाब हुआ और आपदा का मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा.

ये भी पढ़ें: रोंगटे खड़े कर देती है केदारनाथ त्रासदी की यादें

केदार घाटी में आयी आपदा सिर्फ केदारनाथ तक ही सीमित नहीं रही. इसका सर्वाधिक प्रकोप उत्तराखंड के चार पहाड़ी जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी तथा पिथौरागढ़ को भी झेलना पड़ा. इन क्षेत्रों से निकलने वाली भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा, धौली, नंदाकिनी, भिलंगना, बिरही, पिण्डर, रामगंगा इत्यादि नदियों के कहर से इनके आस–पास बसे दर्जनों गांवों, कस्बों और शहरों का बड़ा रिहायशी भू–भाग जल–प्रलय में समा गये. उत्तरकाशी, हेमकुंड, गोविंदघाट, श्रीनगर गढ़वाल, अगस्त्यमुनि, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, नंदप्रयाग, देवप्रयाग तथा चिन्यालीसौड़ इत्यादि शहरों का एक–तिहाई भाग जल समाधि ले चुका था.

kedarnath disaster
केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु.

ये भी पढ़ें: रैणी में फिर खतरा, ऋषिगंगा के ऊपर बने वैली ब्रिज की नींव में कटाव

वहीं, बाबा केदारनाथ धाम में 16 जून को कुदरत ने जो तांडव किया उसे देश और दुनिया के लोग शायद ही भूले हों. उस दिन चोराबारी गलेशियर और गांधी सागर झील से आये पानी और मलबे के सैलाब ने न सिर्फ हजारों लोगों को जिन्दा दफन किया, बल्कि करोड़ों रुपये की संपत्ति को भी तबाह कर दिया था. उस दिन एक झटके में कुदरत ने हजारों बच्चों को अनाथ बना दिया और कितने बूढ़े मां-बाप से उनके बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया था. हालांकि, लोग कुदरत की उस मार को भूलकर आगे बढ़े गये, लेकिन जब आज भी उस तबाही का जिक्र होता है तो लोगों का दिल सहम जाता है. लेकिन वर्तमान समय में केदारघाटी पूरी तरह से बदल गई है या फिर यूं कहें कि केदार घाटी का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. केदारघाटी पहले से काफी सुरक्षित हो गई है.

ये भी पढ़ें: कोटद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 534 पर पहाड़ी से गिर रहे बोल्डर, मंडरा रहा खतरा

पर्यटन उद्योग उत्तराखंड के रीड की हड्डी हैं. क्योंकि पर्यटन व्यवसाय से लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है. लेकिन केदारघाटी में आई आपदा के बाद ना सिर्फ श्रद्धालु बल्कि उत्तराखंड राज्य में आने वाले पर्यटकों के जेहन में एक डर सा बैठ गया. यही वजह रही कि आपदा आने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन उद्योग को हुआ. PHD चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के अनुसार केदारघाटी में आयी आपदा से 12,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इतना ही नहीं इस आपदा की वजह से कुमाऊं और गढ़वाल में आज भी लोग इस आपदा का दंस झेल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कोसी नदी में सिल्ट जमा होने से लोग परेशान, घरों में पहुंच रहा गंदा पानी

साल 2013 में केदारघाटी में आई भीषण आपदा के बाद लोगों को ऐसा लग रहा था कि अब दोबारा से केदार घाटी को बसाया नहीं जा सकेगा और अगर इसे संवारने की पहल शुरू की गयी तो इसमें कई दशक लग जाएंगे. लेकिन अपनी आंखों से सामने तबाही का मंजर दिखाने वाले भोले बाबा ने ही लोगों को फिर से उठकर अपने पैरों पर खड़े होने की ऐसी प्रेरणा दी की सिर्फ 2 साल में ही बाबा का धाम फिर से आबाद हो गया था. हालांकि, इस पहल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा हाथ रहा है. वर्तमान हालात यह हैं कि केदार घाटी पहले से ज्यादा भव्य और सुंदर हो गई है. केदार घाटी का पूरा स्वरूप ही बदल गया है.

ये भी पढ़ें: प्रियंका का आग्रह : राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े घोटाले की जांच करवाए सुप्रीम कोर्ट

केदारघाटी में आयी आपदा के 2 सालों तक केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी कमी देखी गई. लेकिन 2 साल बाद ही केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी उछाल देखने को मिला. सबसे अधिक साल 2019 में केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ नए कीर्तिमान हासिल किया था.

क्योंकि सबसे अधिक साल 2019 में 10 लाख 21 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए थे. हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पिछले साल चारधाम की यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखने को मिली.

केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या

  • साल 2013 में 3 लाख 33 हजार 656 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2014 में 48 हजार 717 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2015 में 1 लाख 54 हजरा 385 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2016 में 3 लाख 09 हजार 764 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2017 में 4 लाख 71 हजार 235 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2018 में 7 लाख 31 हजार 991 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2019 में 10 लाख 21 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.
  • साल 2020 में 1 लाख 35 हजार 349 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि साल 2013 में केदारघाटी में आयी आपदा बहुत दुखद रही है. लेकिन आपदा के बाद केदारघाटी को एक बार फिर से अपने स्वरूप में लाने के लिए पुनर्निर्माण के कार्य किए गए. इसके अतिरिक्त केदार घाटी की पूर्व की समस्याओं को देखते हुए तमाम जगहों पर न सिर्फ हेलीपैड बनाए गए हैं बल्कि सड़कें भी व्यवस्थित की गई है.

महाराज ने बताया कि इस तरह की आपदा की पुनरावृत्ति ना हो इसे लेकर राज्य सरकार अपनी तैयारियां करती रहती है. इसके अतिरिक्त ग्लेशियरों में सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी भी रखी जा रही है. ताकि इस बात को जाना जा सके कि कहीं चौराबाड़ी लेक की तरह ही कोई और लेक तो नहीं बन रही.

Last Updated : Jun 16, 2021, 6:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.