देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में अभी भी हालात खराब हैं. आए दिन घरों में दरारें आ रही हैं. सरकार और प्रशासन लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि किसी को भी बिना घर के नहीं रहना पड़ेगा. हजारों लोग शिविर में ठहराए गए हैं और प्रशासन उनके रहने खाने पीने की व्यवस्था कर रहा है. वैज्ञानिक लगातार जोशीमठ की उस जमीन पर रिसर्च कर रहे हैं, जहां भू धंसाव हो रहा है. इस सबके बीच अब तक कोई ठोस निष्कर्ष या यह कहें कि मुख्य वजह सामने नहीं आ पाई है और ना ही अब तक कोई ऐसा उपाय सामने आया है जिससे इन दरारों को रोका जाए. इस दौरान जिला प्रशासन जोशीमठ में कुछ ऐसे उपाय कर रहा है जो ना केवल सुर्खियों में बने हुए हैं, बल्कि लोगों को भी हैरान कर रहे हैं कि इन जुगाड़ से भला कैसे पहाड़ का धंसना रुकेगा.
जोशीमठ में लगातार हालात खराब: उत्तराखंड के जोशीमठ में अभी भी सैकड़ों घरों में लोग रह रहे हैं. अब तक 868 मकान ऐसे हैं जिनको असुरक्षित घोषित किया गया है. इनमें से लगभग 180 मकान वह हैं जो बेहद खतरनाक श्रेणी में रखे गए हैं. जोशीमठ में गांधीनगर और सुशील वार्ड दोनों ऐसे इलाके हैं, जहां पर आज भी दरारों के बढ़ने का सिलसिला जारी है. इन सबके बीच प्रशासन ने बड़े-बड़े बोल्डर और दरारों को रोकने के लिए जो उपाय किए हैं, वह किसी का भी सर चकरा सकते हैं.
बड़े बोल्डर और छोटे छोटे लोहे के पाइपों का सहारा: जिस वक्त जोशीमठ में घरों में दरारें आने का सिलसिला शुरू हुआ था, उस वक्त खूब हल्ला हुआ. देश दुनिया की मीडिया ने जोशीमठ को और जोशीमठ के दर्द को खूब दिखाया. केंद्र और राज्य सरकार ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत एक्शन लिया और लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया. अब प्रशासन के लिए सबसे बड़ी टेंशन अगर कुछ बना हुआ है तो वह है मकानों के ऊपर खड़े बड़े बड़े पहाड़ और बोल्डर. इन बोल्डर को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने लोहे के पाइप लगाए हुए हैं. जोशीमठ से आ रही यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा का विषय बनी हुई हैं.
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सवाल यह खड़ा होता है कि इतने विशालकाय पर्वतों और पत्थरों को यह छोटे-छोटे लोहे के पाइप भला कैसे रोक सकते हैं. जोशीमठ के इन इलाकों में लगातार पहाड़ फट रहे हैं. सड़कों में दरारें आ रही हैं. स्थानीय निवासी लगातार मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इन बड़े-बड़े पत्थरों को रोकने के लिए कोई और उपाय करे. क्योंकि अगर यह बोल्डर जरा भी नीचे सरके तो कई मकान जिनमें आज भी लोग रह रहे हैं वह पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे. लोग रातों को जाग कर अपने घर की रखवाली कर रहे हैं. जरा सा मौसम खराब होने के बाद लोगों की उम्मीदें टूटने लगती हैं. आखिरकार जोशीमठ में जिस तरह से पाइप का प्रयोग इतने बड़े-बड़े पहाड़ों पर बोल्डर को रोकने के लिए किया गया है, यह कितना सही है यह आप भी समझ सकते हैं.
पॉलीथिन क्या बन पाएगी सहारा?: बड़े-बड़े बोल्डरों को रोकने के लिए जहां पाइपों का सहारा लिया जा रहा है, वहीं औली रोपवे के जिस टावर के नीचे लगातार दरारें आ रही हैं, वहां स्थित खेतों को बचाने के लिए भी प्रशासन ने एक नया उपाय निकाला था. हालांकि यह उपाय भी काम नहीं आया. दरअसल प्रशासन ने रोजाना चौड़ी हो रही दरारों को रोकने के लिए पहले दरारों में मिट्टी भरी. उसके ऊपर पॉलिथीन से पूरे क्षेत्र को कवर कर दिया. ताकि पानी का प्रभाव उन दरारों में ना जाए. लेकिन यह जुगाड़ भी ज्यादा देर तक नहीं चला और इस पूरे इलाके में दरारों के बढ़ने का सिलसिला जारी रहा. जिस जगह पर प्रशासन पन्नी डालकर दरार रोकने का काम कर रहा है, वहां पर 4 फीट के गड्ढे और उनकी दरारें साफ तौर पर देखी जा रही हैं.
बीआरओ की तकनीक पर सवाल: इतना ही नहीं, जोशीमठ में मुख्य सड़क पर जब से दरारों और गड्ढों की खबर प्रशासन को मिली है, तब से बीआरओ के जवान मौके पर तैनात होकर स्थिति को ना केवल भांप रहे हैं बल्कि दरारों को भरने का काम भी किया जा रहा है. अब जिला प्रशासन बीआरओ की मदद से जोशीमठ पेट्रोल पंप के आसपास सड़क का समतलीकरण करके दरारों को रोकने का काम कर रहा है. इसके लिए हाईवे पर बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का भराव किया जा रहा है. ताकि जोशीमठ की सड़क को किसी भी तरीके से बचाया जा सके.
प्रशासन के यह अजीब-ओ-गरीब उपाय भले ही जिस तकनीक के तौर पर करवाए जा रहे हों, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि जिस इलाके में बड़े-बड़े पिलर कई हजार किलो लोहा होटल में दरार आने से और धराशाई होने से नहीं बचा पा रहा है, वहां छोटे-छोटे लोहे के पाइप भला कैसे इतने बड़े पत्थरों को रोक पाएंगे और कैसे पॉलिथीन दरारों में कमी ला पाएगी.
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एक्सपर्ट की देख रेख में हो रहे हैं उपाय: आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा कहते हैं कि जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है वो सब वैज्ञानिक तकनीक से हो रहा है. रुड़की आईआईटी सहित कई संस्थानों की देख-रेख में सभी उपाय और कार्य किये जा रहे हैं. अगर पाइप से बोल्डर को सहारा दिया गया है तो इसलिए की फौरी तौर पर कोई हानि ना हो. आने वाले समय में हालात धीरे धीरे सही किए जा रहे हैं. इसलिए जोशीमठ में जो कुछ हो रहा है, वो एक्सपर्ट्स की देख-रेख में हो रहा है.
लगातार बढ़ रही हैं दरारें: आपको बता दें कि जोशीमठ में आज भी लगातार घरों में दरारें आ रही हैं. इतना ही नहीं, 181 घरों को खतरनाक घोषित किया गया है. साथ ही सरकार ने मुआवजा राशि को भी बढ़ाया है. अब इंतजार है तो बस इन दरारों के रुकने और पीड़ितों के अपने घरों में जाने का.