मसूरी: जोशीमठ भू धंसाव के बाद प्रशासन एक्शन मोड पर है. भू धंसाव वाले शहरों के सर्वे का कार्य किया जा रहा है. मसूरी लंढौर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव के सर्वेक्षण को लेकर 3 सदस्यीय भूवैज्ञानिकों की टीम पहुंची. पूर्व में चिन्हित गिरासू भवनों का भी निरीक्षण किया गया. ये भवन काफी पुराने हैं और खतरा बन सकते हैं.
भू धंसाव के कारणों की जांच: मसूरी के लंढौर क्षेत्र में लगातार हो रहे भू धंसाव को लेकर एसडीएम मसूरी द्वारा तीन सदस्यीय भू वैज्ञानिकों और संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया गया. टीम द्वारा भू धंसाव के क्षेत्र और मकानों में आई दरारों का निरीक्षण किया गया. एसडीएम मसूरी शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि लंढौर क्षेत्र के एक भाग में भू धंसाव हो रहा है. जिसको लेकर उनके द्वारा गढ़वाल जल संस्थान, जल निगम, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, नगर पालिका और पुलिस की संयुक्त टीम के साथ निरीक्षण किया गया. वहीं हो रहे भू धंसाव के कारणों के बारे में जांच की गई.
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पालिका प्रशासन से रिपोर्ट तलब: उन्होंने बताया कि तीन सदस्यीय भू वैज्ञानिकों की टीम भी इस पूरे मामले की जांच कर रही है और संयुक्त रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी देहरादून को सौंपा जायेगी. उन्होंने कहा कि लंढौर क्षेत्र में कई मकान काफी पुराने हो गए हैं. इसको लेकर नगर पालिका द्वारा पिछले दिनों वार्ड में प्रस्ताव लाकर कई मकानों को गिरासू घोषित कर दिया गया था. ऐसे में नगरपालिका स्तर पर गिरासू भवनों पर कार्रवाई की जानी है. उन्होंने कहा कि उनके और नगर पालिका प्रशासन द्वारा लंढौर क्षेत्र के भवनों को गिरासू घोषित किया गया है. इसको लेकर उनके द्वारा पालिका प्रशासन से रिपोर्ट तलब की गई है जिससे कि नियमानुसार कार्रवाई की जा सके.
बता दें कि जोशीमठ शहर में लगातार भू धंसाव से कई मकान खतरे की जद में हैं. कई मकानों में मोटी-मोटी दरारें आ गई हैं. लोग अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं. वहीं शासन-प्रशासन पुनर्वास और मुआवजे की व्यवस्था में लगा हुआ है. जोशीमठ आपदा के बाद प्रशासन अन्य शहरों में भी समय रहते भू धंसाव के कारणों का पता लगाने में जुट गया है.