देहरादून: भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से फर्जी तौर पर योजना का लाभ लेने वाले लोगों को बैक फुट पर जाना ही होगा. यानी फर्जी लाभार्थियों को साइकिल छोड़कर पैदल ही चलना होगा. हालांकि बोर्ड ने फर्जी लाभार्थियों को एक और मौका भूल सुधारने का दे दिया है.
उत्तराखंड में श्रमिकों के नाम पर बड़ी गड़बड़ियां सामने आने के बाद शुरू हुई जांचों में कई नए तथ्य निकलकर सामने आए हैं. उधर कर्मकार कल्याण बोर्ड ने फर्जी लाभार्थियों को एक नया मौका दिया है. इसके तहत फर्जी तौर पर लाभ लेने वाले लोगों को बोर्ड से मिली साइकिल और दूसरी किट को वापस करना होगा. यदि बोर्ड से मिलने वाले लाभ को फर्जी लाभार्थी वापस कर देते हैं तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
जबकि ऐसा नहीं करने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा. श्रमिकों की संख्या को लेकर उठे सवालों के बीच उत्तराखंड में फिलहाल 4,44,000 श्रमिक संख्या बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि यह संख्या 3 साल पहले तक मात्र 80,000 से 90,000 के बीच में थी. लेकिन पिछले तीन सालों में यह संख्या 4,44,000 तक पहुंच गई. पिछले 3 सालों में ही इतनी बड़ी संख्या में श्रमिक कैसे हो गए इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं और यह भी जांच का विषय बना हुआ है.
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जिलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव को देहरादून में लाभ लेने वाले लाभार्थियों को लेकर जांच सौंपी गई थी. बताया जा रहा है कि जिले में कुल 19,000 साइकिलें बांटी गईं. इसमें से जिलाधिकारी ने 2,000 साइकिलों को लेकर अपनी जांच को पूरा किया. खबर है कि जांच के दौरान 2,000 लाभार्थियों में से 500 लाभार्थी फर्जी भी पाए गए हैं. ड्राइवरों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है. कर्मकार कल्याण बोर्ड में पांच वाहनों के लिए 9 ड्राइवर की नियुक्ति की गई थी और उसमें भी वित्त विभाग की अनुमति नहीं ली गई थी.
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कर्मकार कल्याण बोर्ड के कोटद्वार कार्यालय को बंद करने के बाद अब देहरादून कार्यालय को भी यहां से शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है. हालांकि खबर यह भी है कि निजी भवन से हटाकर अब बोर्ड का कार्यालय किसी सरकारी भवन में शिफ्ट किया जाएगा. वहीं, जानकारी यह भी मिल रही है कि देहरादून में ही यूसीएफ भवन में कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय को फिलहाल शिफ्ट किया जा सकता है.