देहरादूनः हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े (Covid Testing Scam) की जांच को लेकर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाए हैं. आप नेता अजय कोठियाल ने कोरोना टेस्टिंग घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि कुंभ मेले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से पूरे उत्तराखंड में कोरोना को फैलने में मदद मिली.
बता दें कि हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा मामले में शासन ने तत्कालीन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर और प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके त्यागी को निलंबित कर दिया है, लेकिन आम आदमी पार्टी इस जांच से संतुष्ट नहीं है. आप नेता रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई है.
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आप नेता अजय कोठियाल का कहना है कि यह ना देखा जाए कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है, बल्कि यह देखा जाए कि यह घोटाला कहां पर हुआ. हरिद्वार देश और दुनिया में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यहां लोग धार्मिक भावना की वजह से आते हैं, लेकिन कुंभ में हुए इस घोटाले की वजह से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. उन्होंने आरोप लगाया कि कुंभ मेले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से पूरे उत्तराखंड में कोरोना फैला.
उन्होंने कहा कि कुंभ में इतना बड़ा घोटाला हो गया है, भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए. इसके लिए जिन्होंने घोटाले को अंजाम दिया, उनका सामने आना जरूरी है. मात्र दो स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को निलंबित करने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि मामले में संलिप्त बाकी आरोपियों को छिपा दिया गया है.
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गौर हो कि प्रदेश में हरिद्वार महाकुंभ 2021 के दौरान कोविड-19 की फर्जी कोविड टेस्टिंग का मामला देशभर में सुर्खियों में रहा. इस दौरान राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए. आम लोगों की जिंदगी के साथ किए गए खिलवाड़ पर भी सरकार को कई सवालों का सामना करना पड़ा. इस मामले में राज्य सरकार ने हरिद्वार जिला स्तर पर जांच कमेटी गठित कर इसकी जांच करवाई.
पंजाब के इस व्यक्ति ने किया था फर्जीवाड़े का खुलासा: बता दें कि हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालुओं और साधु-संतों की जांच के लिए सरकार ने 11 लैबों को अधिकृत किया था. कुंभ के दौरान कुछ कोरोना जांच रिपोर्ट फर्जी पाई गई थी. इसका खुलासा भी पंजाब के एक व्यक्ति ने किया था.
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दरअसल, पंजाब के एक व्यक्ति को फोन गया था कि उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है, जो उन्होंने हरिद्वार में कराई थी. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि उक्त व्यक्ति कुंभ के दौरान हरिद्वार ही नहीं आया था और न ही उसने कोई टेस्ट कराया था. ऐसे में उसने मामले की पूरी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
एक किट से 700 से अधिक सैंपलिंग: जानकारी ये भी सामने आई थी कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.
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करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है.
निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.