देहरादून: दून विश्वविद्यालय परिसर में दुग्ध सहकारिता के सुदृढ़ीकरण पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. दुग्ध एवं सहकारिता राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता के बावजूद भी इस गोष्ठी में कई अधिकारी नदारद रहे. वहीं, राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने नाराजगी जाहिर करते हुए नदारद अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.
उत्तराखंड में नौकरशाहों की मनमर्जी सरकार के मंत्रियों पर किस कदर भारी पड़ती है, इसकी एक बानगी दुग्ध विभाग द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम में दिखाई दी. दून विश्वविद्यालय में दुग्ध सहकारिताओं के सुदृढ़ीकरण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता दुग्ध एवं सहकारिता राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की. इस कार्यशाला में दूध उत्पादन को बढ़ावा और किसानों की आय में वृद्धि को लेकर चर्चा की गई.
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खास बात ये है कि इस कार्यशाला में लगभग 200 अधिकारी, एक्सपर्ट और प्रतिनिधियों को मौजूद रहना था, लेकिन कार्यशाला में अधिकारियों की मौजूदगी बेहद कम दिखाई दी. जिस पर राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गैर हाजिर अधिकारियों पर अपनी नाराजगी जाहिर की. हालांकि, कार्यशाला के दौरान विभिन्न विषयों पर तमाम लोगों से चर्चा की गई.
इस दौरान दुग्ध एवं सहकारिता राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में एक्सपर्ट लोगों को बुलाया गया था, जिसमें नाबार्ड के सीजीएम और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल रहे. इसमें किसानों की आय को किस तरीके से बढ़ाया जाए. इस पर कार्यशाला का मुख्य फोकस था.
राज्य मंत्री ने बताया कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के साथ सरकार एमआईयू करने जा रही है, जिसमें जो डेरी पालक हैं, उनको 40 दिन की नि:शुल्क ट्रेनिंग कराई जाएगी. इस ट्रेनिंग में गोमूत्र और गोबर का किस तरीके से प्रयोग के बारे में भी बताया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो. साथ ही मंत्री धन सिंह रावत से जब ये पूछा गया कि कार्यशाला में कहीं अधिकारी कर्मचारी मौजूद नहीं थे, तो उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में जो मौजूद नहीं हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.