देहरादून: उत्तराखंड के 80 थानों में अब जल्द ही इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी का प्रभाव रहेगा. यानी शासन स्तर से अगर इस विषय पर मंजूरी मिलती है तो राज्य के 80 थानों को थाना को उच्चीकरण के तहत कोतवाली दर्जा अनुसार में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही संभालेंगे, जबकि इससे पहले वर्तमान समय में अधिकांश थानों में 3 स्टार वाले इंस्पेक्टर रैंक की जगह 2 स्टार के सब इंस्पेक्टर SO के रूप में थानों की कमान संभाल रहे हैं.
इसमें सबसे बड़ी मुश्किलें यह सामने आती है कि जिले की कमान संभालने वाले SP/SSP अपने मन मुताबिक इंस्पेक्टर रैंक को दरकिनार कर सब इंस्पेक्टर रैंक के कर्मी को तैनात करते हैं. इस व्यवस्था का दूसरा पहलू मनोबल गिराने जैसा वाला भी होता है, क्योंकि जिन थानों में 2 स्टार वाले सब-इंस्पेक्टर SO के रूप में तैनात होते हैं वहां पहले से ही कई सब-इंस्पेक्टर रैंक के सीनियर दारोगा तैनात रहते हैं. ऐसे में एक ही रैंक होने के कारण एसओ को उनसे कार्य लेने में कई तरह की मुश्किलें आती हैं.
जल्द होगा फैसला: पुलिस मुख्यालय कार्मिक आईजी अंशुमान द्वारा शासन को प्रदेश के 26 प्रमुख थानों में इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी नियुक्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. बताया जा रहा है कि इस मामले पर पहले से ही मुख्यमंत्री गृह सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दे चुके हैं. ऐसे में शासन गृह विभाग से प्रदेश के आधे से अधिक मुख्य थानों में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी तैनात करने के विषय में जल्द आदेश सामने आ सकता है.
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थाना प्रभारी सब-इंस्पेक्टर होने के कई तरह की मुश्किलें भी: उत्तराखंड में कुल 160 थाने हैं. इनमें से लगभग 54 थाने ऐसे हैं जहां पर इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी प्रभारी हैं. इन थानों को कोतवाली का दर्जा दिया गया है. जिसके चलते यहां कोतवाल एसएचओ के रूप में 3 स्टार वाले सीनियर इंस्पेक्टर की तैनाती है, जबकि दूसरी तरफ राज्य के 106 थानों में 2 स्टार वाले सब-इंस्पेक्टर (दारोगा) रैंक के अधिकारी SO के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं.
ऐसे में राज्य के देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, चमोली, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल उधम सिंह नगर, चंपावत और जीआरपी (देहरादून हरिद्वार) जनपदों के 26 थानों को पुलिस मुख्यालय द्वारा उच्चीकरण के लिए चिन्हित किया गया है. इसी विषय को देखते हुए पुलिस मुख्यालय कार्मिक अनुभाग द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. ऐसे में अगर गृह विभाग द्वारा इस मामले में मंजूरी मिल जाती है तो राज्य के 160 थानों में से आधे थानों में दारोगा रैंक के (SO) कार्यभार संभालेंगे. उच्चीकरण के तहत बाकी सभी 80 थाने कोतवाली रूप में पूर्ण दर्जा पाकर इंस्पेक्टर रैंक (SHO) अधिकारी के अधीन कार्यभार में रहेंगे.
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बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए भी निर्णय जरूरी: आईटी एक्ट नियम अनुसार के साइबर क्राइम का मुख्य विवेचक इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी ही रहता है. ऐसे में साइबर क्राइम के तेजी बढ़ते फाइनेंशल फ्रॉड के अलावा गंभीर किस्म के मामलों की संवेदनशीलता को निभाने के लिए एक सीनियर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही कुशल तरीके से केस वर्कआउट करने में ज्यादा सक्षम हैं. यही कारण है कि प्रदेश के लगभग 80 चुनिंदा थानों को कोतवाली का दर्जा देकर इंस्पेक्टर रैंक के कार्यभार वाला बनाने की कवायद चल रही है.
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इन्हें उच्चीकृत कर इंस्पेक्टरों के अधीन करने की तैयारी: हरिद्वार जनपद में बहादराबाद ,भगवानपुर, सिडकुल, कनखल, बुग्गावाला, पथरी को उच्चीकृत किया जाएगा. देहरादून में प्रेमनगर, रायपुर, रायवाला, राजपुर, नेहरू कॉलोनी को भी उच्चीकृत किया जाएगा. चमोली में गैरसैंण, गोपेश्वर, उधम सिंह नगर में केलाखेड़ा, गदरपुर, आईटीआई, पंतनगर, कुंडा, चंपावत में टनकपुर, पौड़ी गढ़वाल में लक्ष्मण झूला, टिहरी गढ़वाल में चंबा, उत्तरकाशी में कोतवाली उत्तरकाशी, नैनीताल में बनभूलपुरा, चोरगलिया, जीआरपी में देहरादून और हरिद्वार की कोतवाली को उच्चीकृत कर इंस्पेक्टरों के अधीन करने की तैयारी चल रही है.