देहरादूनः सूबे में पहाड़ी जिलों के मरीजों को अब डायलिसिस करवाने के लिए शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा. साथ ही बार-बार डायलिसिस करवाने के लिए देहरादून और हल्द्वानी समेत अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहाड़ी जिलों में 7 नए डायलिसिस सेंटर की स्थापना की है. ऐसे में अब मरीजों को सहूलियत मिलने के साथ ही उनका समय भी बच सकेगा.
बता दें कि, उत्तराखंड में अभी तक देहरादून के कोरोनेशन, दून मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी के बेस अस्पताल में ही डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध थी. पूरे राज्य में केवल 3 ही डायलिसिस केंद्र होने की वजह से पहाड़ी जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
साथ ही मरीजों को हर हफ्ते देहरादून और हल्द्वानी के चक्कर काटने पड़ते थे. इतना ही नहीं मरीजों को हल्द्वानी और देहरादून में किराए पर कमरा लेकर भी रहना पड़ता था, लेकिन अब प्रदेश में सात नए डायलिसिस केंद्र खुलने के बाद उन्हें इन परेशानियों से निजात मिलेगी. दरअसल, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्राम के तहत स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने मिलकर प्रदेश के पहाड़ी जिलों 7 नए डायलिसिस केंद्रों की स्थापना की है.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी आपदाः प्रशासन का ये सच आया सामने, ग्रामीण बोले- सुन ली होती गुहार तो बच जाती जिंदगियां
क्यों जरूरत पड़ती है डायलिसिस की ?
किडनी में समस्या और सही से काम नहीं करने के साथ ही किडनी खराब होने पर बार-बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. अमूमन एक मरीज को हफ्ते में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता है. औसतन देखा जाए तो महीने भर में मरीज को तकरीबन 8 बार डायलिसिस करवाना पड़ता है.
यहां खुले हैं नए डायलिसिस केंद्र
- राजकीय जिला अस्पताल, रुद्रपुर (उधम सिंह नगर)
- मेला अस्पताल, हरिद्वार
- कंबाइंड हॉस्पिटल, कोटद्वार
- बेस अस्पताल, अल्मोड़ा
- श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर
- जिला अस्पताल, रुद्रप्रयाग
- जिला अस्पताल, पिथौरागढ़
पहले यहां उपलब्ध थी डायलिसिस सुविधा
- दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून (दून अस्पताल)
- कोरोनेशन अस्पताल, देहरादून
- बेस अस्पताल, हल्द्वानी