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केदारनाथ जलप्रलय: राजनीतिक इच्छा शक्ति ने आपदा के जख्मों पर लगाया मरहम

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Published : Jun 16, 2019, 1:58 PM IST

केदारनाथ पिछले कुछ सालों में बेहद ज्यादा बदला हुआ दिखाई देता है. इसी का नतीजा है कि न केवल यात्रा पटरी पर आई है बल्कि 2013 से पहले आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के रिकॉर्ड को भी मौजूदा समय में तोड़ा जा चुका है. आपदा से हुए सैकड़ों करोड़ के नुकसान के बावजूद सरकारों की दूरगामी सोच और सकारात्मक रवैया ने केदारनाथ यात्रा को एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया है.

केदारनाथ जलप्रलय.

देहरादून: केदारनाथ में आज रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. ये वही केदारनाथ है जहां साल 2013 में 6 साल पहले जलप्रलय सब कुछ बहा ले गई थी. लेकिन आज आपदा के जख्मों को भूलकर यात्रा पटरी पर आ चुकी है. जानिए केदारघाटी के तबाह होने से लेकर केदारधाम के भव्य स्वरूप तक कि पूरी कहानी..

देश के कम ही धार्मिक स्थल हैं जिनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ की तरह तवज्जो दी है. जाहिर है कि बाबा केदार की चौखट पर पीएम मोदी को हिम्मत और बेहद ताकत मिलती है. शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 2 सालों में 4 बार भोले के दर्शन करने केदारनाथ आ चुके हैं.

केदारनाथ जलप्रलय.

पीएम मोदी 2017 में 3 मई और 20 अक्टूबर को दो बार केदारनाथ आए थे. तो 7 नवंबर 2018 को भी मोदी ने केदारनाथ के दर्शन किये. जबकि, लोकसभा चुनाव परिणामों से ठीक पहले 18 मई 2019 को पीएम मोदी ने पूरा दिन केदारनाथ में ही बिताया. ये आज की तस्वीर है जब केदारनाथ अपने भव्य रूप के लिए देश-दुनिया में जाना जा रहा है. लेकिन साल 2013 में 16-17 जून की उस तारीख के बाद केदारनाथ के हालात आज से बेहद अलग थे.

तब केदारनाथ जल प्रलय में पानी पानी हो चुका था. ना तो केदारनाथ तक पहुंचने के लिए कोई सड़क बच पाई थी और ना ही केदारनाथ के आसपास कोई भवन ही पानी के बहाव से खुद को बचा पाया थाय उस दौरान हुई भारी बारिश से प्रलय इस कदर विकराल हो गयी थी कि राज्य के 5 जिले इसकी चपेट में आ चुके थे. अकेले केदारनाथ में ही सैकड़ों करोड़ों का नुकसान होने के साथ हजारों लोगों की जान तक चली गई थी. हालांकि, इनको आज भी सरकारी रिकॉर्ड में मिसिंग के रूप में माना जाता है.

बहरहाल, केदारनाथ में 2013 के बाद मौजूदा स्थिति को देखें तो केदारनाथ पिछले कुछ सालों में बेहद ज्यादा बदला हुआ दिखाई देता है. इसी का नतीजा है कि न केवल यात्रा पटरी पर आई है बल्कि 2013 से पहले आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के रिकॉर्ड को भी मौजूदा समय में तोड़ा जा चुका है. आपदा से हुए सैकड़ों करोड़ के नुकसान के बावजूद सरकारों की दूरगामी सोच और सकारात्मक रवैया ने केदारनाथ यात्रा को एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया है.

ये भी पढ़ें: DM का REALITY CHECK: तीर्थयात्री बनकर पहुंचे मंगेश घिल्डियाल, मचा हड़कंप


आपदा में हुआ उत्तराखंड को भारी नुकसान
⦁ साल 2013 की आपदा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 225 लोगों की मौत हुई.
⦁ 4021 लोग केदारनाथ आपदा में आज तक लापता है.
⦁ आपदा के दौरान 238 लोग घायल हुए थे. जिनका नजदीकी अस्पतालों में इलाज करवाया गया.
⦁ 2013 की आपदा में 11,268 जानवरों की भी मौत हुई.
⦁ जल प्रलय के चलते 14,938 घरों को नुकसान हुआ तो 2295 घर पूरी तरह से तबाह हो गए थे.
⦁ साल 2013 की आपदा में 1,308 हेक्टेयर कृषि भूमि भी पानी में बह गई.
⦁ इसी आपदा में 475 सड़कें पूरी तरह से बह गई तो 65 पुल भी जल प्रलय में तबाह हो गए.
⦁ साल 2013 में आई आपदा के बाद सरकार ने सबसे पहले आपदा सिस्टम को भी सुधारने का काम किया और भारी नुकसान के बाद तमाम टीमें तैयार की गई. जो आप तो ऐसे हालातों को सुधारने में मदद कर सके.

2013 में आपदा के बाद केदारनाथ पुरी को पूरी तरीके से व्यवस्थित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास तेजी से किए गए. आपदा इतनी बड़ी थी कि देश दुनिया की निगाहें केदारनाथ पर ही टिकी हुई थी. ऐसे में न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार ने भी केदारनाथ को पुणे निर्मित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित रखा. केदारनाथ को एक बार फिर उठ खड़ा करने के लिए कई चरणों में अलग-अलग कामों को एक साथ अंजाम दिया गया.

केदारनाथ धाम की आपदा के बाद की सूरत बदलने के लिए सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता उन मूलभूत चीजों को दुरुस्त करना था. जो धाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थी. वैसे आपदा केवल केदारनाथ तक ही सीमित नहीं थी 2013 की आपदा में प्रदेश के 5 जिले प्रभावित हुए थे. ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा. जिसमें 6259.84 करोड़ का बजट स्वीकृत कर दिया गया. लेकिन 4617.27 करोड रुपए ही पुनर्निर्माण के लिए उपलब्ध कराया जा सके. खास बात यह है कि इसमें भी केवल 3708.27 करोड़ रुपए की योजनाओं पर ही काम हो सका.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

केदारनाथ में क्या-क्या हुए काम
केदारनाथ में आपदा के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक सड़क का निर्माण करवाया गया. केदारनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण करवाया गया. मंदिर के दोनों तरह बनाए भवनों का फिर से पुनर्निर्माण करवाया गया. आपदा के दौरान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों की मरम्मत और नई पाइप लाइनें डाली गई. केदारनाथ क्षेत्र को रौशनी से नहलाने के लिए सौर ऊर्जा से जुड़े लाइट्स और दूसरी कई व्यवस्थाओं को पूरी तरह से दुरुस्त किया गया. ताकि केदारनाथ में बेहतर बिजली आपूर्ति हो सके.

केदारनाथ को सुरक्षित करने के लिए 3 लेयर वाली सुरक्षा दीवार मंदिर के पीछे बनाई गई. धाम के पीछे और सामने के हेली पैड्स को फिर से दुरुस्त किया गया। केदारनाथ में घाटों के निर्माण को पूरा करवाया गया. मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों को सुंदर बनाने के लिए सौंदर्यीकरण किया गया. केदारनाथ धाम में 3000 तक श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था के लिए भवनों का निर्माण कराया गया. धाम के तीर्थ पुरोहितों के भवनों का निर्माण भी कराया गया. साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्र में कुल 27 हेलीपैड का निर्माण के अलावा रुद्र गुफा का निर्माण भी हुआ जिसमें पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के परिणामों से पहले रुके थे.

केदारनाथ के जख्मों पर मरहम लगाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका
नई केदार पुरी के निर्माण में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका रही विजय बहुगुणा सरकार के दौरान आई आपदा के बाद यूपीए सरकार ने उत्तराखंड को विशेष तवज्जो दी. मुख्यमंत्री बदले गए और हरीश रावत ने कमान संभालते हुए केदारनाथ पर अपना फोकस रखा गया. इसके बाद 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने भी राज्य में केदारनाथ पुनर्निर्माण कामों को बारीकी से मॉनिटर किया और इसे आगे बढ़ाया. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की आपसी तालमेल का ही नतीजा था कि आज केदारनाथ अपने भव्य रूप में विद्यमान है और देश-दुनिया केदार के इस नए रूप को देखकर अचंभित है.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ त्रासदी के 6 साल: अपनों को खोने का दर्द क्या होता है, देवेंद्र से जानिए

इस बार केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड आमद
2013 की आपदा के बाद जिस केदारनाथ के लिए यह कहा गया कि अब शायद ही केदारनाथ में श्रद्धालु उस संख्या में आ पाएंगे. जिस संख्या में 2013 की आपदा से पहले आया करते थे. लेकिन राजनेताओं कि केदारनाथ को लेकर सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि आज केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. हालत यह है कि इस बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 6 लाख तक पहुंच चुका है.

अबतक बदरीनाथ धाम जो श्रद्धालुओं की आमद के लिहाज से केदारनाथ से काफी ऊपर रहता था. लेकिन इस बार केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं के चलते बदरीनाथ में पहुंचे श्रद्धालुओं के करीब तक यह संख्या पहुंच गई है. केदारनाथ में एक बार फिर श्रद्धालुओं का विश्वास बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का पैदल केदारनाथ दौरा काफी अहम रहा, तो पीएम मोदी के एक के बाद एक केदारनाथ में दौरों ने केदारनाथ धाम में सुरक्षा का संदेश देश दुनिया तक पहुंचाया.

देहरादून: केदारनाथ में आज रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. ये वही केदारनाथ है जहां साल 2013 में 6 साल पहले जलप्रलय सब कुछ बहा ले गई थी. लेकिन आज आपदा के जख्मों को भूलकर यात्रा पटरी पर आ चुकी है. जानिए केदारघाटी के तबाह होने से लेकर केदारधाम के भव्य स्वरूप तक कि पूरी कहानी..

देश के कम ही धार्मिक स्थल हैं जिनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ की तरह तवज्जो दी है. जाहिर है कि बाबा केदार की चौखट पर पीएम मोदी को हिम्मत और बेहद ताकत मिलती है. शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 2 सालों में 4 बार भोले के दर्शन करने केदारनाथ आ चुके हैं.

केदारनाथ जलप्रलय.

पीएम मोदी 2017 में 3 मई और 20 अक्टूबर को दो बार केदारनाथ आए थे. तो 7 नवंबर 2018 को भी मोदी ने केदारनाथ के दर्शन किये. जबकि, लोकसभा चुनाव परिणामों से ठीक पहले 18 मई 2019 को पीएम मोदी ने पूरा दिन केदारनाथ में ही बिताया. ये आज की तस्वीर है जब केदारनाथ अपने भव्य रूप के लिए देश-दुनिया में जाना जा रहा है. लेकिन साल 2013 में 16-17 जून की उस तारीख के बाद केदारनाथ के हालात आज से बेहद अलग थे.

तब केदारनाथ जल प्रलय में पानी पानी हो चुका था. ना तो केदारनाथ तक पहुंचने के लिए कोई सड़क बच पाई थी और ना ही केदारनाथ के आसपास कोई भवन ही पानी के बहाव से खुद को बचा पाया थाय उस दौरान हुई भारी बारिश से प्रलय इस कदर विकराल हो गयी थी कि राज्य के 5 जिले इसकी चपेट में आ चुके थे. अकेले केदारनाथ में ही सैकड़ों करोड़ों का नुकसान होने के साथ हजारों लोगों की जान तक चली गई थी. हालांकि, इनको आज भी सरकारी रिकॉर्ड में मिसिंग के रूप में माना जाता है.

बहरहाल, केदारनाथ में 2013 के बाद मौजूदा स्थिति को देखें तो केदारनाथ पिछले कुछ सालों में बेहद ज्यादा बदला हुआ दिखाई देता है. इसी का नतीजा है कि न केवल यात्रा पटरी पर आई है बल्कि 2013 से पहले आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के रिकॉर्ड को भी मौजूदा समय में तोड़ा जा चुका है. आपदा से हुए सैकड़ों करोड़ के नुकसान के बावजूद सरकारों की दूरगामी सोच और सकारात्मक रवैया ने केदारनाथ यात्रा को एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया है.

ये भी पढ़ें: DM का REALITY CHECK: तीर्थयात्री बनकर पहुंचे मंगेश घिल्डियाल, मचा हड़कंप


आपदा में हुआ उत्तराखंड को भारी नुकसान
⦁ साल 2013 की आपदा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 225 लोगों की मौत हुई.
⦁ 4021 लोग केदारनाथ आपदा में आज तक लापता है.
⦁ आपदा के दौरान 238 लोग घायल हुए थे. जिनका नजदीकी अस्पतालों में इलाज करवाया गया.
⦁ 2013 की आपदा में 11,268 जानवरों की भी मौत हुई.
⦁ जल प्रलय के चलते 14,938 घरों को नुकसान हुआ तो 2295 घर पूरी तरह से तबाह हो गए थे.
⦁ साल 2013 की आपदा में 1,308 हेक्टेयर कृषि भूमि भी पानी में बह गई.
⦁ इसी आपदा में 475 सड़कें पूरी तरह से बह गई तो 65 पुल भी जल प्रलय में तबाह हो गए.
⦁ साल 2013 में आई आपदा के बाद सरकार ने सबसे पहले आपदा सिस्टम को भी सुधारने का काम किया और भारी नुकसान के बाद तमाम टीमें तैयार की गई. जो आप तो ऐसे हालातों को सुधारने में मदद कर सके.

2013 में आपदा के बाद केदारनाथ पुरी को पूरी तरीके से व्यवस्थित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास तेजी से किए गए. आपदा इतनी बड़ी थी कि देश दुनिया की निगाहें केदारनाथ पर ही टिकी हुई थी. ऐसे में न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार ने भी केदारनाथ को पुणे निर्मित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित रखा. केदारनाथ को एक बार फिर उठ खड़ा करने के लिए कई चरणों में अलग-अलग कामों को एक साथ अंजाम दिया गया.

केदारनाथ धाम की आपदा के बाद की सूरत बदलने के लिए सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता उन मूलभूत चीजों को दुरुस्त करना था. जो धाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थी. वैसे आपदा केवल केदारनाथ तक ही सीमित नहीं थी 2013 की आपदा में प्रदेश के 5 जिले प्रभावित हुए थे. ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा. जिसमें 6259.84 करोड़ का बजट स्वीकृत कर दिया गया. लेकिन 4617.27 करोड रुपए ही पुनर्निर्माण के लिए उपलब्ध कराया जा सके. खास बात यह है कि इसमें भी केवल 3708.27 करोड़ रुपए की योजनाओं पर ही काम हो सका.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

केदारनाथ में क्या-क्या हुए काम
केदारनाथ में आपदा के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक सड़क का निर्माण करवाया गया. केदारनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण करवाया गया. मंदिर के दोनों तरह बनाए भवनों का फिर से पुनर्निर्माण करवाया गया. आपदा के दौरान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों की मरम्मत और नई पाइप लाइनें डाली गई. केदारनाथ क्षेत्र को रौशनी से नहलाने के लिए सौर ऊर्जा से जुड़े लाइट्स और दूसरी कई व्यवस्थाओं को पूरी तरह से दुरुस्त किया गया. ताकि केदारनाथ में बेहतर बिजली आपूर्ति हो सके.

केदारनाथ को सुरक्षित करने के लिए 3 लेयर वाली सुरक्षा दीवार मंदिर के पीछे बनाई गई. धाम के पीछे और सामने के हेली पैड्स को फिर से दुरुस्त किया गया। केदारनाथ में घाटों के निर्माण को पूरा करवाया गया. मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों को सुंदर बनाने के लिए सौंदर्यीकरण किया गया. केदारनाथ धाम में 3000 तक श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था के लिए भवनों का निर्माण कराया गया. धाम के तीर्थ पुरोहितों के भवनों का निर्माण भी कराया गया. साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्र में कुल 27 हेलीपैड का निर्माण के अलावा रुद्र गुफा का निर्माण भी हुआ जिसमें पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के परिणामों से पहले रुके थे.

केदारनाथ के जख्मों पर मरहम लगाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका
नई केदार पुरी के निर्माण में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका रही विजय बहुगुणा सरकार के दौरान आई आपदा के बाद यूपीए सरकार ने उत्तराखंड को विशेष तवज्जो दी. मुख्यमंत्री बदले गए और हरीश रावत ने कमान संभालते हुए केदारनाथ पर अपना फोकस रखा गया. इसके बाद 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने भी राज्य में केदारनाथ पुनर्निर्माण कामों को बारीकी से मॉनिटर किया और इसे आगे बढ़ाया. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की आपसी तालमेल का ही नतीजा था कि आज केदारनाथ अपने भव्य रूप में विद्यमान है और देश-दुनिया केदार के इस नए रूप को देखकर अचंभित है.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ त्रासदी के 6 साल: अपनों को खोने का दर्द क्या होता है, देवेंद्र से जानिए

इस बार केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड आमद
2013 की आपदा के बाद जिस केदारनाथ के लिए यह कहा गया कि अब शायद ही केदारनाथ में श्रद्धालु उस संख्या में आ पाएंगे. जिस संख्या में 2013 की आपदा से पहले आया करते थे. लेकिन राजनेताओं कि केदारनाथ को लेकर सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि आज केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. हालत यह है कि इस बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 6 लाख तक पहुंच चुका है.

अबतक बदरीनाथ धाम जो श्रद्धालुओं की आमद के लिहाज से केदारनाथ से काफी ऊपर रहता था. लेकिन इस बार केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं के चलते बदरीनाथ में पहुंचे श्रद्धालुओं के करीब तक यह संख्या पहुंच गई है. केदारनाथ में एक बार फिर श्रद्धालुओं का विश्वास बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का पैदल केदारनाथ दौरा काफी अहम रहा, तो पीएम मोदी के एक के बाद एक केदारनाथ में दौरों ने केदारनाथ धाम में सुरक्षा का संदेश देश दुनिया तक पहुंचाया.

Intro:summary- साल 2013 की जल प्रलय के बाद केदारनाथ हुआ पहले से भी ज्यादा भव्य, राजनीतिक इच्छा शक्ति ने केदार के जख्मों पर लगाया मरहम। 

यकीन करना मुश्किल है कि केदारनाथ में आज रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं...ये वही केदारनाथ है जहां साल 2013 में 6 साल पहले जलप्रलय सब कुछ बहा ले गई थी.. लेकिन आज आपदा के जख्मों को भूलकर यात्रा पटरी पर आ चुकी है। जानिए केदारनाथ धाम के पानी-पानी होने से लेकर भव्य स्वरूप तक कि पूरी कहानी।


Body:देश के कम ही धार्मिक स्थल हैं जिनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ की तरह तवज्जो दी है...जाहिर है कि बाबा केदार की चौखट पर पीएम मोदी को हिम्मत और बेहद ज्यादा ताकत मिलती है... शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 2 सालों में 4 बार भोले के दर्शन करने केदारनाथ आ चुके हैं। पीएम मोदी 2017 में 3 मई और 20 अक्टूबर को दो बार केदारनाथ आए थे..तो 7 नवंबर 2018 को भी मोदी ने केदारनाथ के दर्शन किये... जबकि लोकसभा चुनाव परिणामों से ठीक पहले 18 मई 2019 को पीएम मोदी ने पूरा दिन केदारनाथ में ही बिताया। ये आज की तस्वीर है जब केदारनाथ अपने भव्य रूप के लिए देश-दुनिया में जाना जा रहा है... लेकिन साल 2013 में 16-17 जून की उस तारीख के बाद केदारनाथ के हालात आज से बेहद अलग थे... तब केदारनाथ जल प्रलय में पानी पानी हो चुका था.. ना तो केदारनाथ तक पहुंचने के लिए कोई सड़क बच पाई थी और ना ही केदारनाथ के आसपास कोई भवन ही पानी के बहाव से खुद को बचा पाया था। उस दौरान हुई भारी बारिश से प्रलय इस कदर विकराल हो गयी थी कि राज्य के 5 जिले इसकी चपेट में आ चुके थे। अकेले केदारनाथ में ही सैकड़ों करोड़ों का नुकसान होने के साथ हजारों लोगों की जान तक चली गई थी हालांकि इनको आज भी सरकारी रिकॉर्ड में मिसिंग के रूप में माना जाता है।

आपदा में हुआ उत्तराखंड को भारी नुकसान

साल 2013 की आपदा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 225 लोगों की मौत हुई

4021 लोग केदारनाथ आपदा में आज तक लापता है

आपदा के दौरान 238 लोग घायल हुए थे.. जिनका नजदीकी अस्पतालों में इलाज करवाया गया

2013 की आपदा में 11268 जानवरों की भी मौत हुई

जल प्रलय के चलते 14938 घरों को नुकसान हुआ तो 2295 घर पूरी तरह से तबाह हो गए।

साल 2013 की आपदा में 1308 हेक्टेयर कृषि भूमि भी पानी में बह गई

इसी आपदा में 475 सड़कें पूरी तरह से बह गई तो 65 पुल भी जल प्रलय में तबाह हो गए।

साल 2013 में आई आपदा के बाद सरकार ने सबसे पहले आप दा सिस्टम को भी सुधारने का काम किया और भारी नुकसान के बाद तमाम टीमें तैयार की गई जो आप तो ऐसे हालातों को सुधारने में मदद कर सके।

बाइट पीयूष रौतेला निदेशक आपदा एवं प्रबंधन विभाग

2013 में आपदा के बाद केदारनाथ पुरी को पूरी तरीके से व्यवस्थित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास तेजी से किए गए... आपदा इतनी बड़ी थी कि देश दुनिया की निगाहें केदारनाथ पर ही टिकी हुई थी ऐसे में न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार ने भी केदारनाथ को पुणे निर्मित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित रखा। केदारनाथ को एक बार फिर उठ खड़ा करने के लिए कई चरणों में अलग-अलग कामों को एक साथ अंजाम दिया गया।
केदारनाथ धाम की आपदा के बाद की सूरत बदलने के लिए सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता उन मूलभूत चीजों को दुरुस्त करना था जो धाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थी। वैसे आपदा केवल केदारनाथ तक ही सीमित नहीं थी 2013 की आपदा में  प्रदेश के 5 जिले प्रभावित हुए थे । ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा। जिसमें 6259.84 करोड का बजट स्वीकृत कर दिया गया। लेकिन 4617.27 करोड रुपए ही पुनर्निर्माण के लिए उपलब्ध कराया जा सके। खास बात यह है कि इसमें भी केवल 3708.27 करोड़ रुपए की योजनाओं पर ही काम हो सका।

केदारनाथ में क्या-क्या हुए काम

केदारनाथ में आपदा के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक सड़क का निर्माण करवाया गया, केदारनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण करवाया गया। मंदिर के दोनों तरह बनए भवनों का फिर से पुनर्निर्माण करवाया गया। आपदा के दौरान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों की मरम्मत और नई पाइप लाइनें डाली गई। केदारनाथ क्षेत्र को रोशनी से नहलाने के लिए सौर ऊर्जा से जुड़े लाइट्स और दूसरी कई व्यवस्थाओं को पूरी तरह से दुरुस्त किया गया ताकि केदारनाथ में बेहतर बिजली आपूर्ति हो सके। केदारनाथ को सुरक्षित करने के लिए 3 लेयर वाली सुरक्षा दीवार मंदिर के पीछे बनाई गई, धाम के पीछे और सामने के हेली पैड्स को फिर से दुरुस्त किया गया। केदारनाथ में घाटों के निर्माण को पूरा करवाया गया। मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों को सुंदर बनाने के लिए सुंदरीकरण किया गया। केदारनाथ धाम में 3000 तक श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था के लिए भवनों का निर्माण। धाम के तीर्थ पुरोहितों के भवनों का निर्माण। आपदा प्रभावित क्षेत्र में कुल 27 हेलीपैड का निर्माण, रुद्र गुफा का निर्माण जिसमे पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के परिणामों से पहले रुके।

केदारनाथ के जख्मों पर मरहम लगाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका

नई केदार पुरी के निर्माण में राजनीतिक इच्छाशक्ति की बड़ी भूमिका रही विजय बहुगुणा सरकार के दौरान आई आपदा के बाद यूपीए सरकार ने उत्तराखंड को विशेष तवज्जो दी... मुख्यमंत्री बदले गए और हरीश रावत ने कमान संभालते हुए केदारनाथ पर अपना फोकस रखा... इसके बाद 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने भी राज्य में केदारनाथ पुनर्निर्माण कामों को बारीकी से मॉनिटर किया और इसे आगे बढ़ाया। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की आपसी तालमेल का ही नतीजा था कि आज केदारनाथ अपने भव्य रूप में विद्यमान है और देश-दुनिया केदार के इस नए रूप को देखकर अचंभित है।

2013 की आपदा के बाद जिस केदारनाथ के लिए यह कहा गया कि अब शायद ही केदारनाथ में श्रद्धालु उस संख्या में आ पाएंगे जिस संख्या में 2013 की आपदा से पहले आया करते थे... लेकिन राजनेताओं कि केदारनाथ को लेकर सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि आज केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि इस बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 6 लाख तक पहुंच चुका है। अब तक बद्रीनाथ धाम जो श्रद्धालुओं की आमद के लिहाज से केदारनाथ से काफी ऊपर रहता था लेकिन इस बार केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं के चलते बद्रीनाथ में पहुंचे श्रद्धालुओं के करीब तक यह संख्या पहुंच गई है। केदारनाथ में एक बार फिर श्रद्धालुओं का विश्वास बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का पैदल केदारनाथ दौरा काफी अहम रहा तो पीएम मोदी के एक के बाद एक केदारनाथ में दौरों ने केदारनाथ धाम में सुरक्षा का संदेश देश दुनिया तक पहुंचाया।




Conclusion:केदारनाथ में 2013 के बाद मौजूदा स्थिति को देखें तो केदारनाथ पिछले कुछ सालों में बेहद ज्यादा बदला हुआ दिखाई देता है। इसी का नतीजा है कि न केवल यात्रा पटरी पर आई है बल्कि 2013 से पहले आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के रिकॉर्ड को भी मौजूदा समय में तोड़ा जा चुका है। आपदा से हुए सैकड़ों करोड़ के नुकसान के बावजूद सरकारों की दूरगामी सोच और सकारात्मक रवैया ने केदारनाथ यात्रा को एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया है।

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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