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कालिंदी हॉस्पिटल से वसूले जाएंगे 6 करोड़ रुपए, एसएचए ने जारी किया वसूली प्रमाण पत्र

कालिंदी हॉस्पिटल पर आयुष्मान योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप है. इसी कड़ी में अब कालिंदी हॉस्पिटल से 6 करोड़ रुपए वसूला जाएगा. कालिंदी अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण पहले ही अगले पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर चुका है.

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कालिंदी हॉस्पिटल से वसूले जाएंगे 6 करोड़ रुपए
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Published : May 10, 2023, 7:13 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले निजी अस्पतालों पर लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी क्रम में पिछले महीने कालिंदी अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अगले पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था. वहीं, इस हॉस्पिटल से क्लेम्स और पेनल्टी के रूप में कुल 6 करोड़ 6 लाख रुपए वसूलने के लिए वसूली प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है. कालिंदी हॉस्पिटल ने आयुष्मान योजना के तहत फर्ज़ी क्लेम दाखिल कर न सिर्फ योजना की छवि को भी धूमिल किया, बल्कि सरकार में फर्जी रूप से पैसे भी क्लेम किये.

आयुष्मान योजना के तहत विकास नगर स्थित कालिंदी हॉस्पिटल ने एक करोड़ 83 लाख रुपए का क्लेम किया था. जिसे निरस्त करते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने पेनल्टी के साथ 3 करोड़ 66 लाख रुपए की वसूली का पत्र जारी किया है. राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने वसूली के लिए देहरादून जिला अधिकारी को वसूली प्रमाण पत्र जारी किया है. जिसमें 1 करोड़ 83 लाख रूपये निरस्त किये गये क्लेम्स और 1 करोड़ 83 लाख रूपये पेनल्टी की धनराशि शामिल है. हालांकि, यह रिकवरी सर्टीफिकेट The Revenue Recovery (Uttar Pradesh Amendment) Act, 1965 और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की रिकवरी गाइडलाइन के तहत जारी किया गया है.

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बता दें कालिन्दी हॉस्पिटल ने 581 मरीज़ों की सर्जरी के दौरान एनेस्थेटिस्ट से एनेस्थीसिया न दिलवाकर डिप्लोमा धारी नर्स से एनेस्थीसिया मरीज को लगवाया है. जिसके आधार पर हॉस्पिटल के 1 करोड़ 22 लाख रूपये के क्लेम्स निरस्त करने के साथ ही इस क्लेम्स के बराबर की धनराशि पेनल्टी के रूप में हॉस्पिटल पर लगाई गई है. हालांकि, हॉस्पिटल ने पोर्टल पर डॉ० जीसी बौठियाल को एनेस्थेटिस्ट के रूप में दिखाया गया, लेकिन, जब इस मामले की ऑडिट किया गया तो उस दौरान डॉ बौठियाल ने लिखित में इन सभी केसेस में मरीजों को उनके द्वारा एनेस्थीसिया देने से इंकार कर दिया था.


वर्तमान समय में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार कालिंदी हॉस्पिटल का विशेष ऑडिट कर रहा है. इस ऑडिट के दौरान कालिंदी हॉस्पिटल की ओर से किए गए तमाम कारनामे सामने आते जा रहे हैं. इसी क्रम में हॉस्पिटल ने डॉ० पीयूष गोयल को पैथोलॉजिस्ट दिखा कर उनकी फर्जी मोहर का प्रयोग करके 696 केसेस के क्लेम्स प्राप्त किये. जिसके तहत हॉस्पिटल में 1 करोड़ 20 लाख रुपए के क्लेम को निरस्त कर दिया गया. साथ ही हॉस्पिटल पर 1 करोड़ 20 लाख रुपए की पेनल्टी लगाते हुए 2 करोड़ 40 लाख रुपए की वसूला जाना है. 2 करोड़ 40 लाख रुपए के भुगतान के लिए हॉस्पिटल को 16 मई तक का समय दिया गया. अगर 16 मई तक हॉस्पिटल, भुगतान नहीं करता है तो फिर इसकी वसूली के लिए देहरादून जिलाधिकारी को वसूली प्रमाण पत्र भेजा जाएगा.

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इसके अलावा कालिन्दी हॉस्पिटल ने 215 मरीज़ों की सर्जरी डॉ० एचएस रावत से कराए जाने के आधार पर क्लेम दिखाया, लेकिन, डॉ एचएस रावत ने लिखित रूप में इनमें से किसी भी सर्जरी को किये जाने के इनकार किया है. डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने कोई सर्जरी नहीं की है. जिससे पता चला कि हॉस्पिटल ने डॉ रावत के फर्जी सिग्नेचर करके 61 लाख रूपये के क्लेम्स प्राप्त कर किए. लिहाजा, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट के बाद हॉस्पिटल के इस क्लेम को निरस्त कर, क्लेम्स की धनराशि के बराबर ही धनराशि का पेनल्टी भी लगाई गई है.

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कालिंदी हॉस्पिटल की ओर से फर्जी तरीके से क्लेम लिए जाने के मामले को लेकर विकास नगर स्थित पुलिस स्टेशन में 25 मार्च 2023 को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468 तथा 471 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. जिसकी विवेचना अभी जारी है. कुल मिलाकर कालिंदी हॉस्पिटल पर मरीजों को उपचार देने में लापरवाही बरतने के साथ ही पैसे के लालच में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया है. साथ ही फर्जी क्लेम दाखिल कर योजना की छवि को भी हॉस्पिटल में धूमिल किया है. इन मामलों को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने न सिर्फ अस्पताल की सूची बदलता को निरस्त कर दिया है, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के गाइडलाइन के तहत अगले 5 साल के लिए भी ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले निजी अस्पतालों पर लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी क्रम में पिछले महीने कालिंदी अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अगले पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था. वहीं, इस हॉस्पिटल से क्लेम्स और पेनल्टी के रूप में कुल 6 करोड़ 6 लाख रुपए वसूलने के लिए वसूली प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है. कालिंदी हॉस्पिटल ने आयुष्मान योजना के तहत फर्ज़ी क्लेम दाखिल कर न सिर्फ योजना की छवि को भी धूमिल किया, बल्कि सरकार में फर्जी रूप से पैसे भी क्लेम किये.

आयुष्मान योजना के तहत विकास नगर स्थित कालिंदी हॉस्पिटल ने एक करोड़ 83 लाख रुपए का क्लेम किया था. जिसे निरस्त करते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने पेनल्टी के साथ 3 करोड़ 66 लाख रुपए की वसूली का पत्र जारी किया है. राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने वसूली के लिए देहरादून जिला अधिकारी को वसूली प्रमाण पत्र जारी किया है. जिसमें 1 करोड़ 83 लाख रूपये निरस्त किये गये क्लेम्स और 1 करोड़ 83 लाख रूपये पेनल्टी की धनराशि शामिल है. हालांकि, यह रिकवरी सर्टीफिकेट The Revenue Recovery (Uttar Pradesh Amendment) Act, 1965 और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की रिकवरी गाइडलाइन के तहत जारी किया गया है.

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बता दें कालिन्दी हॉस्पिटल ने 581 मरीज़ों की सर्जरी के दौरान एनेस्थेटिस्ट से एनेस्थीसिया न दिलवाकर डिप्लोमा धारी नर्स से एनेस्थीसिया मरीज को लगवाया है. जिसके आधार पर हॉस्पिटल के 1 करोड़ 22 लाख रूपये के क्लेम्स निरस्त करने के साथ ही इस क्लेम्स के बराबर की धनराशि पेनल्टी के रूप में हॉस्पिटल पर लगाई गई है. हालांकि, हॉस्पिटल ने पोर्टल पर डॉ० जीसी बौठियाल को एनेस्थेटिस्ट के रूप में दिखाया गया, लेकिन, जब इस मामले की ऑडिट किया गया तो उस दौरान डॉ बौठियाल ने लिखित में इन सभी केसेस में मरीजों को उनके द्वारा एनेस्थीसिया देने से इंकार कर दिया था.


वर्तमान समय में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार कालिंदी हॉस्पिटल का विशेष ऑडिट कर रहा है. इस ऑडिट के दौरान कालिंदी हॉस्पिटल की ओर से किए गए तमाम कारनामे सामने आते जा रहे हैं. इसी क्रम में हॉस्पिटल ने डॉ० पीयूष गोयल को पैथोलॉजिस्ट दिखा कर उनकी फर्जी मोहर का प्रयोग करके 696 केसेस के क्लेम्स प्राप्त किये. जिसके तहत हॉस्पिटल में 1 करोड़ 20 लाख रुपए के क्लेम को निरस्त कर दिया गया. साथ ही हॉस्पिटल पर 1 करोड़ 20 लाख रुपए की पेनल्टी लगाते हुए 2 करोड़ 40 लाख रुपए की वसूला जाना है. 2 करोड़ 40 लाख रुपए के भुगतान के लिए हॉस्पिटल को 16 मई तक का समय दिया गया. अगर 16 मई तक हॉस्पिटल, भुगतान नहीं करता है तो फिर इसकी वसूली के लिए देहरादून जिलाधिकारी को वसूली प्रमाण पत्र भेजा जाएगा.

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इसके अलावा कालिन्दी हॉस्पिटल ने 215 मरीज़ों की सर्जरी डॉ० एचएस रावत से कराए जाने के आधार पर क्लेम दिखाया, लेकिन, डॉ एचएस रावत ने लिखित रूप में इनमें से किसी भी सर्जरी को किये जाने के इनकार किया है. डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने कोई सर्जरी नहीं की है. जिससे पता चला कि हॉस्पिटल ने डॉ रावत के फर्जी सिग्नेचर करके 61 लाख रूपये के क्लेम्स प्राप्त कर किए. लिहाजा, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट के बाद हॉस्पिटल के इस क्लेम को निरस्त कर, क्लेम्स की धनराशि के बराबर ही धनराशि का पेनल्टी भी लगाई गई है.

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कालिंदी हॉस्पिटल की ओर से फर्जी तरीके से क्लेम लिए जाने के मामले को लेकर विकास नगर स्थित पुलिस स्टेशन में 25 मार्च 2023 को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468 तथा 471 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. जिसकी विवेचना अभी जारी है. कुल मिलाकर कालिंदी हॉस्पिटल पर मरीजों को उपचार देने में लापरवाही बरतने के साथ ही पैसे के लालच में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया है. साथ ही फर्जी क्लेम दाखिल कर योजना की छवि को भी हॉस्पिटल में धूमिल किया है. इन मामलों को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने न सिर्फ अस्पताल की सूची बदलता को निरस्त कर दिया है, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के गाइडलाइन के तहत अगले 5 साल के लिए भी ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है.

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