थराली: उत्तराखंड में भले ही अप्रैल महीने से शराब सस्ती होने की कवायद शुरू हो रही हो, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं शराब को पूर्णत प्रतिबंध करने के लिए मैदान में उतर चुकी हैं. इसी कड़ी में चेपड़ो गांव में महिलाओं ने नशे के खिलाफ एक बैठक आयोजित की. साथ ही रैली निकालकर लोगों को जागरूक भी किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गांव में होने वाले किसी भी सामाजिक समारोह में शराब नहीं परोसने दी जाएगी. ऐसे में कोई शराब परोसता है तो उसके खिलाफ पांच हजार रुपये जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
पहाड़ी इलाकों को नशा मुक्त बनाने के लिए विभिन्न संस्थानों और सामाजिक संगठनों के प्रयास सफल होते दिख रहे हैं. बीते महीने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से चेपड़ो गांव में उत्तराखंड नशा मुक्त शिविर का आयोजन किया गया था. जिसके बाद अब महिलाओं ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि गांव में किसी भी सामाजिक समारोह शादी, नामकरण, पूजा, पार्टी या अन्य मौकों पर नहीं शराब परोसी जाएगी.
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महिलाओं का कहना है कि कोई भी व्यक्ति गांव की सीमा के भीतर शराब पीते हुए पाया गया तो उससे पांच सौ रुपये जुर्माना वसूला जाएगा. जबकि, शराब बेचने वालों दुकानों को बंद कर उनसे पांच हजार रुपये जुर्माना वसूला जाएगा. साथ ही महिलाएं गांव में नशा मुक्ति के लिए जागरुकता रैली भी निकालेंगे.
महिलाओं का कहना है कि शराब के बढ़ते प्रभाव से आज युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. साथ ही कई परिवारों के चूल्हे बुझ गए हैं. महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि यदि गांव को खुशहाल बनाना है तो हर हाल में नशे के खिलाफ आंदोलन करना होगा. वहीं, बैठक में महिला मंगल दल का पुनर्गठन भी किया गया.