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जंगलों की आग बुझाने में जोखिम होगा कम, फायर बॉल से काबू होगी वनाग्नि

वनाग्नि को रोकने की नई तकनीकों में शामिल फायर एस्टिंगविसर बॉल ट्रायल के लिये खरीदा गया है. उन्होंने बताया कि गेंद में उपयोग किया गया केमिकल शत प्रतिशत ईको-फ्रेंडली और बोया-डिग्रेडेबल है.

Fire Actingwiser Ball
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Published : Apr 17, 2021, 9:34 PM IST

चमोली: जिले वनाग्नि की घटनाओं पर अब 'फायर एक्टिंगविसर बॉल' से काबू पाया जाएगा. केदानाथ वन प्रभाग की ओर से यह दावा किया गया है. विभाग द्वारा जिले में वानाग्नि की रोकथाम के लिये ट्रायल के तौर पर 10 फायर एस्टिंगविसर बॉल खरीदे गए हैं. ये बॉल आग के सम्पर्क में आने पर स्वयं ही संचालित हो जाती है और बॉल से निकलने वाले केमिकल से 80 वर्ग फुट में लगी आग को नियंत्रित किया जा सकता है.

केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि वनाग्नि को रोकने की नई तकनीकों में शामिल फायर एस्टिंगविसर बॉल का ट्रायल के लिये क्रय किया गया है. उन्होंने बताया कि बॉल सामान्य तापमान अथवा हिलने-डुलने पर सक्रिय नहीं होती है. बॉल अधिक तापमान मिलने पर तीन से पांच मिनट के भीतर स्वतः सक्रिय होती है. सक्रिय होने पर गेंद में लगा 138 डेसीबल का अलार्म बजने के साथ केमिकल आसपास फैल जाता है, जिससे 80 वर्ग फुट क्षेत्र में लगी आग बुझ जाती है.

पढ़ें- महिला अपराध में पीड़ित को मुआवजा देने में उत्तराखंड फिसड्डी, ये है वजह

उन्होंने बताया कि गेंद में उपयोग किया गया कैमिकल शत प्रतिशत ईको-फ्रेंडली और बोया-डिग्रेडेबल है. उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं में चमोली जिले में अक्सर चट्टानी हिस्से में आग लगने पर काबू करना कठिन हो जाता है. ऐसे में वनकर्मियों की सुरक्षा के साथ ही फायर एस्टिंगविसर बॉल के प्रयोग से चट्टानी हिस्सों पर आसानी से आग पर काबू किया जा सकता है, जिसे देखते हुए ट्रायल के तौर पर अभी विभाग की ओर से 10 बॉल क्रय की गई हैं. आवश्यकता के अनुसार अन्य बॉल की खरीद की जाएगी.

चमोली: जिले वनाग्नि की घटनाओं पर अब 'फायर एक्टिंगविसर बॉल' से काबू पाया जाएगा. केदानाथ वन प्रभाग की ओर से यह दावा किया गया है. विभाग द्वारा जिले में वानाग्नि की रोकथाम के लिये ट्रायल के तौर पर 10 फायर एस्टिंगविसर बॉल खरीदे गए हैं. ये बॉल आग के सम्पर्क में आने पर स्वयं ही संचालित हो जाती है और बॉल से निकलने वाले केमिकल से 80 वर्ग फुट में लगी आग को नियंत्रित किया जा सकता है.

केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि वनाग्नि को रोकने की नई तकनीकों में शामिल फायर एस्टिंगविसर बॉल का ट्रायल के लिये क्रय किया गया है. उन्होंने बताया कि बॉल सामान्य तापमान अथवा हिलने-डुलने पर सक्रिय नहीं होती है. बॉल अधिक तापमान मिलने पर तीन से पांच मिनट के भीतर स्वतः सक्रिय होती है. सक्रिय होने पर गेंद में लगा 138 डेसीबल का अलार्म बजने के साथ केमिकल आसपास फैल जाता है, जिससे 80 वर्ग फुट क्षेत्र में लगी आग बुझ जाती है.

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उन्होंने बताया कि गेंद में उपयोग किया गया कैमिकल शत प्रतिशत ईको-फ्रेंडली और बोया-डिग्रेडेबल है. उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं में चमोली जिले में अक्सर चट्टानी हिस्से में आग लगने पर काबू करना कठिन हो जाता है. ऐसे में वनकर्मियों की सुरक्षा के साथ ही फायर एस्टिंगविसर बॉल के प्रयोग से चट्टानी हिस्सों पर आसानी से आग पर काबू किया जा सकता है, जिसे देखते हुए ट्रायल के तौर पर अभी विभाग की ओर से 10 बॉल क्रय की गई हैं. आवश्यकता के अनुसार अन्य बॉल की खरीद की जाएगी.

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