चमोली: 17 नवंबर को भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए. इसके साथ शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विधि-विधान के साथ विराजित कर दी गई. इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु नृसिंह मंदिर में पहुंचे और शंकराचार्य की गद्दी का स्वागत किया. शीतकाल के लिए भगवान बदरीविशाल के कपाट 6 तक बंद रहने के बाद जोशीमठ और पांडुकेश्वर में ही भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना की जाएगी.
गौरतलब है कि 18 नवम्बर को जगद्गुरू शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर जी और उद्धव जी के साथ पाण्डुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में लाई गई थी. इसके बाद आज शंकराचार्य की गद्दी को योगध्यान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद 10 बजे जोशीमठ नृसिंह मंदिर के लिए रवाना किया गया. 11 बजकर 30 मिनट पर शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान हुई. इस दौरान बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी का स्थानीय लोगों ने फूल मालाओं के साथ स्वागत किया. नृसिंह मंदिर पहुंचने पर माता लक्ष्मी के मंदिर और गणेश मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई.
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वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने बताया कि शीतकालीन यात्रा भगवान के शीतकालीन प्रवासों पर ही संपन्न की जा रही है, जिसमें कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि भगवान बदरीविशाल की शीतकाल में पूजा स्वयं भगवान नारद करते हैं.
भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन यात्राएं आरंभ हो चुकी हैं. इस बार बदरीनाथ धाम में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुंचे थे. चारधामों में अकेले ही इस वर्ष बदरीनाथ धाम में लगभग 12,40,000 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए. जो अपने आप में तीर्थयात्रियों की संख्या में एक नया रिकॉर्ड है.