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नृसिंह मंदिर पहुंची शंकराचार्य की गद्दी, अब जोशीमठ और पाण्डुकेश्वर में होगी बदरीविशाल की पूजा

18 नवम्बर को जगद्गुरू शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर जी और उद्धव जी के साथ पाण्डुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में लाई गई थी. इसके बाद आज शंकराचार्य की गद्दी को योगध्यान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद जोशीमठ नृसिंह मंदिर में शंकराचार्य की गद्दी स्थापित कर दी गई.

नृसिंह मंदिर पहुंची शंकराचार्य की गद्दी.
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Published : Nov 19, 2019, 7:00 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 8:55 PM IST

चमोली: 17 नवंबर को भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए. इसके साथ शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विधि-विधान के साथ विराजित कर दी गई. इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु नृसिंह मंदिर में पहुंचे और शंकराचार्य की गद्दी का स्वागत किया. शीतकाल के लिए भगवान बदरीविशाल के कपाट 6 तक बंद रहने के बाद जोशीमठ और पांडुकेश्वर में ही भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना की जाएगी.

नृसिंह मंदिर पहुंची शंकराचार्य की गद्दी.

गौरतलब है कि 18 नवम्बर को जगद्गुरू शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर जी और उद्धव जी के साथ पाण्डुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में लाई गई थी. इसके बाद आज शंकराचार्य की गद्दी को योगध्यान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद 10 बजे जोशीमठ नृसिंह मंदिर के लिए रवाना किया गया. 11 बजकर 30 मिनट पर शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान हुई. इस दौरान बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी का स्थानीय लोगों ने फूल मालाओं के साथ स्वागत किया. नृसिंह मंदिर पहुंचने पर माता लक्ष्मी के मंदिर और गणेश मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई.

ये भी पढ़ें: इंदिरा गांधी का उत्तराखंड से था गहरा लगाव, इस वजह से अक्सर आती थीं देहरादून

वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने बताया कि शीतकालीन यात्रा भगवान के शीतकालीन प्रवासों पर ही संपन्न की जा रही है, जिसमें कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि भगवान बदरीविशाल की शीतकाल में पूजा स्वयं भगवान नारद करते हैं.

भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन यात्राएं आरंभ हो चुकी हैं. इस बार बदरीनाथ धाम में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुंचे थे. चारधामों में अकेले ही इस वर्ष बदरीनाथ धाम में लगभग 12,40,000 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए. जो अपने आप में तीर्थयात्रियों की संख्या में एक नया रिकॉर्ड है.

चमोली: 17 नवंबर को भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए. इसके साथ शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विधि-विधान के साथ विराजित कर दी गई. इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु नृसिंह मंदिर में पहुंचे और शंकराचार्य की गद्दी का स्वागत किया. शीतकाल के लिए भगवान बदरीविशाल के कपाट 6 तक बंद रहने के बाद जोशीमठ और पांडुकेश्वर में ही भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना की जाएगी.

नृसिंह मंदिर पहुंची शंकराचार्य की गद्दी.

गौरतलब है कि 18 नवम्बर को जगद्गुरू शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर जी और उद्धव जी के साथ पाण्डुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में लाई गई थी. इसके बाद आज शंकराचार्य की गद्दी को योगध्यान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद 10 बजे जोशीमठ नृसिंह मंदिर के लिए रवाना किया गया. 11 बजकर 30 मिनट पर शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान हुई. इस दौरान बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी का स्थानीय लोगों ने फूल मालाओं के साथ स्वागत किया. नृसिंह मंदिर पहुंचने पर माता लक्ष्मी के मंदिर और गणेश मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई.

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वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने बताया कि शीतकालीन यात्रा भगवान के शीतकालीन प्रवासों पर ही संपन्न की जा रही है, जिसमें कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि भगवान बदरीविशाल की शीतकाल में पूजा स्वयं भगवान नारद करते हैं.

भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन यात्राएं आरंभ हो चुकी हैं. इस बार बदरीनाथ धाम में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुंचे थे. चारधामों में अकेले ही इस वर्ष बदरीनाथ धाम में लगभग 12,40,000 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए. जो अपने आप में तीर्थयात्रियों की संख्या में एक नया रिकॉर्ड है.

Intro:17 नवंबर को भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद वहां से लाई गई शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार को आज जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में विधिविधान के साथ विराजमान हो गई है। इस दौरान भारी संख्या में नरसिंह मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य जी की गद्दी का स्वागत किया। शीतकाल के लिए भगवान बद्रीविशाल के कपाट 6 तक बंद रहने के बाद जोशीमठ और पांडुकेश्वर में ही भगवान बद्री विशाल की पूजा अर्चना सम्पन्न की जाएगी।

वीडियो बाईट मेल पर भेजी है।


Body:गौरतलब है कि 18 नवम्बर को जगतगुरू शंकराचार्य की गद्दी ,कुबेर जी व उद्धव जी के साथ पाण्डुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में लाई गई थी।
आज मंगलवार को शंकराचार्य की गद्दी को योगध्यान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद 10 बजे जोशीमठ नृसिंह मंदिर के लिए रवाना किया गया। 11:30 बजे शंकराचार्य की गद्दी नरसिंह मंदिर में विराजमान हुई। इस दौरान बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी का स्थानीय लोगों ने फूल मालाओं के साथ स्वागत किया । नरसिंह मंदिर पहुंचने पर माता लक्ष्मी के मंदिर और गणेश मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई।

वहीं दूसरी ओर भगवान बद्रीविशाल की शीतकालीन पूजा के विवाद को लेकर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि शीतकालीन यात्रा शीतकालीन भगवान के शीतकालीन प्रवासो पर ही संपन्न की जा रही है।जिसमे कि कोई विवाद जैसी स्थिति नही होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि भगवान बद्रीविशाल की शीतकाल में पूजा स्वयं भगवान नारद बद्रीनाथ धाम में करते है।शीतकाल के दौरान श्रदालू जोशीमठ में भगवान नृसिंह ,सहित जगद्गुरु शंकराचार्य के दर्शन और पांडुकेश्वर में योगध्यान बद्री,उद्धव जी,और कुबेर जी के दर्शन कर सकते है।

बाईट-मोहन प्रसाद थपलियाल-अध्य्क्ष बद्रीकेदार मंदिर समिति।


Conclusion:भगवान बद्रीविशाल के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन यात्राएं आरंभ हो चुकी हैं ।इस बार बदरीनाथ धाम में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री पहुंचे थे ।चारधामो में अकेले ही इस वर्ष बदरीनाथ धाम में लगभग 1240000 तीर्थयात्रियो ने भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए थे ।जोकि अपने आप में तीर्थयात्रियों की संख्या में एक नया रिकॉर्ड कायम हुआ है ।मंदिर समिति का अनुमान है कि शीतकाल की यात्रा में भी हजारों की संख्या में तीर्थयात्री धामों में दर्शन करने पहुंच सकते हैं ।साथ ही केदारनाथ ,गंगोत्री, यमुनोत्री बद्रीनाथ, में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री शीतकाल में पहुंचने की संभावना है।
Last Updated : Nov 19, 2019, 8:55 PM IST
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