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आश्चर्यः देवभूमि के इस मंदिर में पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर करते हैं पूजा, अद्भुत है मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाटू देवता मंदिर के गर्भगृह को आज पूजा अर्चना करने के कुछ घंटों बाद बंद कर दिया जाता है, जबकि कपाट आम भक्तों के लिए 6 माह तक लिए खुले रहते हैं. साथ ही भक्त भी लाटू देवता के मंदिर की परिधि से 50 मीटर दूर से ही भगवान को हाथ जोड़कर मन्नत मांगते हैं.

लाटू देवता मंदिर
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Published : Apr 20, 2019, 5:46 AM IST

Updated : Apr 20, 2019, 10:33 AM IST

चमोलीः हमारे देश में ऐसे अनेक धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी कुछ खास किवदंतियों के लिए प्रसिद्ध हैं. जहां लोग श्रद्धा भाव से आकर भगवान के चरणों में शीश नवाते हैं. राज्य के चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित लाटू देवता का मंदिर है, जो अपनी कुछ खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कपाट पूजा अर्चना के लिए सिर्फ 6 माह के लिए खुलते हैं. इसके अलावा इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य हैं, जिसका बखान यहां आने वाले भक्त अपने मुख से करते हैं. मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पूजा करने वाले पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा अर्चना करते हैं.

लाटू देवता मंदिर

काल गणना के आधार शुक्रवार को बैशाख पूर्णिमा के अवसर पर खोल दिये गए हैं. कपाट खुलने के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में भक्त वाण गांव में मौजूद रहे. इस दौरान क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी ने भी लाटू देवता के मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाटू देवता मंदिर के गर्भगृह को आज पूजा अर्चना करने के कुछ घंटों बाद बंद कर दिया जाता है, जबकि कपाट आम भक्तों के लिए 6 माह तक लिए खुले रहते हैं. यही नहीं लाटू देवता की पूजा करने वाले पुजारी भी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही भक्त भी लाटू देवता के मंदिर की परिधि से 50 मीटर दूर से ही भगवान को हाथ जोड़कर मन्नत मांगते हैं.

यह भी पढ़ेंः हनुमान जयंती: हरिद्वार में भक्तों ने बजरंगबली को चढ़ाया 51 किलो के लड्डू का भोग

ग्रामीणों की मानें तो पुजारी को छोड़कर किसी को भी मंदिर की परिधि से 50 मीटर अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है और पुजारी भी पौराणिक नियमों के तहत आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा करते हैं. आज तक भी किसी को यह पता नहीं है कि मंदिर के अंदर लाटू देवता किस रूप में विराजमान हैं. कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई मंदिर के अंदर जाने का प्रयास करता है तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है और दूसरे लोगों को कुछ बताने लायक नहीं रह जाता.

स्थानीय धर्मिक मान्यताओं के तहत लाटू देवता मां नंदा राजराजेश्वरी के धर्म भाई हैं, जो मां नंदा को अतिप्रिय हैं. मां नंदा की 12 वर्षो में आयोजित होने वाली राजजात में लाटू देवता वाण गांव से आगे निर्जन पड़ावों में मां नंदा की अगुवाई करते हैं. साथ ही प्रतिवर्ष आयोजित लोकजात के दौरान भी लाटू देवता का निशान वैदनी कुंड तक मां नंदा के आगे-आगे चलता है. लाटू देवता मां नंदा को अतिप्रिय होने के चलते ग्रामीण लाटू देवता की प्रतिवर्ष विशेष पूजा करते हैं.

चमोलीः हमारे देश में ऐसे अनेक धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी कुछ खास किवदंतियों के लिए प्रसिद्ध हैं. जहां लोग श्रद्धा भाव से आकर भगवान के चरणों में शीश नवाते हैं. राज्य के चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित लाटू देवता का मंदिर है, जो अपनी कुछ खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कपाट पूजा अर्चना के लिए सिर्फ 6 माह के लिए खुलते हैं. इसके अलावा इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य हैं, जिसका बखान यहां आने वाले भक्त अपने मुख से करते हैं. मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पूजा करने वाले पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा अर्चना करते हैं.

लाटू देवता मंदिर

काल गणना के आधार शुक्रवार को बैशाख पूर्णिमा के अवसर पर खोल दिये गए हैं. कपाट खुलने के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में भक्त वाण गांव में मौजूद रहे. इस दौरान क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी ने भी लाटू देवता के मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाटू देवता मंदिर के गर्भगृह को आज पूजा अर्चना करने के कुछ घंटों बाद बंद कर दिया जाता है, जबकि कपाट आम भक्तों के लिए 6 माह तक लिए खुले रहते हैं. यही नहीं लाटू देवता की पूजा करने वाले पुजारी भी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही भक्त भी लाटू देवता के मंदिर की परिधि से 50 मीटर दूर से ही भगवान को हाथ जोड़कर मन्नत मांगते हैं.

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ग्रामीणों की मानें तो पुजारी को छोड़कर किसी को भी मंदिर की परिधि से 50 मीटर अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है और पुजारी भी पौराणिक नियमों के तहत आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा करते हैं. आज तक भी किसी को यह पता नहीं है कि मंदिर के अंदर लाटू देवता किस रूप में विराजमान हैं. कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई मंदिर के अंदर जाने का प्रयास करता है तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है और दूसरे लोगों को कुछ बताने लायक नहीं रह जाता.

स्थानीय धर्मिक मान्यताओं के तहत लाटू देवता मां नंदा राजराजेश्वरी के धर्म भाई हैं, जो मां नंदा को अतिप्रिय हैं. मां नंदा की 12 वर्षो में आयोजित होने वाली राजजात में लाटू देवता वाण गांव से आगे निर्जन पड़ावों में मां नंदा की अगुवाई करते हैं. साथ ही प्रतिवर्ष आयोजित लोकजात के दौरान भी लाटू देवता का निशान वैदनी कुंड तक मां नंदा के आगे-आगे चलता है. लाटू देवता मां नंदा को अतिप्रिय होने के चलते ग्रामीण लाटू देवता की प्रतिवर्ष विशेष पूजा करते हैं.

Intro:चमोली जिले में देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित लाटू देवता मंदिर के कपाट पूजा अर्चना के लिए 6 माह के लिए काल गणना के आधार पर आज बैशाख पूर्णिमा के अवसर पर खोल दिये गए है ।कपाट खुलने के अवसर पर सैकड़ो की संख्या में भक्त वाण गांव में मौजूद रहे ,इस दौरान क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी ने भी लाटू देवता के मंदिर में पहुंचकर दर्शन कर पूजा अर्चना की ।


Body:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाटू देवता मंदिर के गर्भगृह को आज पूजा अर्चना करने के कुछ घंटों बाद बंद कर दिया जाता है ,जबकि कपाट आम श्रदालओ को दर्शनों के लिए 6 माह तक के लिए खुले रहते है ।यही नही लाटू देवता की पूजा करने वाले पुजारी भी मंदिर के अंदर आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा अर्चना करते है ।और श्रदालू लाटू देवता के मंदिर की परिधि से 50 मीटर दूर से ही भगवान को हाथ जोडकर मनोती मांगते है ।ग्रामीणों की माने तो पुजारी को छोड़कर किसी को भी मंदिर की परिधि से 50 मीटर अंदर जाने की अनुमति नही होती है ,और पुजारी भी पौराणिक नियमो के तहत आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश कर पूजा करते है।आज तक भी किसी को यह पता नही है कि मंदिर के अंदर लाटू देवता किस रूप में विराजमान है ।कहा तो यह भी जाता है कि अगर कोई मंदिर के अंदर जाने का प्रयास करता है तो वह मानसिक रूप से विक्ष्पित हो जाता है ।और दूसरे लोगो को कुछ बताने लायक नही राह जाता।

बाईट-मुन्नी देवी शाह-विधायक थराली।


Conclusion:स्थानीय धर्मिक मान्यतों के तहत लाटू देवता मां नंदा राजराजेश्वरी के धर्म भाई है ।जो माँ नंदा को अति प्रिय है ।माँ नंदा की 12 वर्षो में आयोजित होने वाली राजजात में लाटू देवता वाण गाँव से आगे निर्जन पड़ावों में माँ नंदा की अगुवाही करते है ।साथ ही प्रतिवर्ष आयोजित लोकजात के दौरान भी लाटू देवता का निशान वैदनी कुंड तक माँ नंदा के आगे आगे चलता है ।लाटू देवता माँ नंदा को अति प्रिय होने के चलते ग्रामीण लाटू देवता की प्रतिवर्ष विशेष पूजा करते है ।
Last Updated : Apr 20, 2019, 10:33 AM IST
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